फॉरेक्स ट्रेडर्स पोर्टल

अब कमा रहे लाखों रुपए

अब कमा रहे लाखों रुपए
इन दोनों ही उपरकरणों को सब्सिडी पर खरीदकर किसान और ग्रामीण इन्हें दूसरे किसानों को किराये पर उपलब्ध करवाते हैं. जाहिर है कि धान की खेती बड़े-बड़े खेतों में की जाती है. जहां बिना मशीनों के पराली प्रबंधन करना नामुमकिन है. ऐसी स्थिति में ये उपकरण ट्रैक्टर के साथ जोड़ दिये जाते हैं और किसान चंद समय में खेतों में फसल अवशेषों का प्रबंधन कर लेते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

Stubble Management: आग की भेंट चढ़ने वाली पराली से अब लाखों रुपये कमा रहे हैं किसान, इन उपायों से मिले शानदार परिणाम

By: ABP Live | Updated at : 07 Oct 2022 01:43 PM (IST)

फसल अपशेष प्रबंधन (फाइल तस्वीर)

Crop Residue Management: भारत में अक्टूबर आते-आते पराली (Stubble) एक बड़ी समस्या बन जाती है. फसल के इस कचरे का सही निपटारा ना कर पाने के कारण कई किसान इसे आग की भेंट चढ़ा देते हैं. गैर कानूनी काम होने के बावजूद पराली जलती (Stubble Burning) है और पर्यावरण के साथ-साथ पशु-पक्षी और लोगों को भी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्यायें हो जाती है. इससे मिट्टी की भी उर्वरता पर भी बुरा असर पड़ता है.

हरियाणा सरकार (Haryana Government) इस अब कमा रहे लाखों रुपए समस्या की रोकथाम के लिये किसानों को प्रति एकड़ 1,000 रुपये का अनुदान अब कमा रहे लाखों रुपए भी दे रही है. इतने प्रयासों के बावजूद पराली जलाने के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे. दूसरी तरफ राज्य के कैथल जिले में कई किसान ऐसे भी है, जो फसल अवशेष प्रबंधन (Crop Waste Management) करके 10 से 20 लाख रुपये तक की आमदनी ले रहे हैं.

Lac Cultivation: वैज्ञानिक तरीकों से लाख की खेती कर रही हैं झारखंड की महिलाएं, सालाना कमाई अब लाखों में

लाख की खेती

लाख की खेती

gnttv.com

  • नई दिल्ली ,
  • 31 अक्टूबर 2022,
  • (Updated 31 अक्टूबर 2022, 11:25 AM IST)

महिलाओं को वैज्ञानिक तरीकों से लाख (Lac) की खेती का प्रशिक्षण दिया गया

झारखंड की राजधानी रांची से 40 किलोमीटर दूर खूंटी के सियांकेल गांव की 40 वर्षीया सुशना कंदिर की जिंदगी दो साल पहले बिल्कुल अलग थी. कभी कच्चे घर में रहने वाली सुशना के पास आज न सिर्फ पक्का घर है बल्कि उनके बच्चे भी अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं.

और यह संभव हो पाया है झारखंड सरकार की महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना (एमकेएसपी) और जौहर परियोजना के कारण. इन परियोजनाओं के तहत सुशना जैसी कई महिलाओं को वैज्ञानिक तरीकों से लाख (Lac) की खेती का प्रशिक्षण दिया गया. जिससे उनका मुनाफा पहले की तुलना में कई गुना बढ़ गया.

लाख की खेती से लाखों में कमाई
झारखंड में लाख की खेती एक पारंपरिक खेती हुआ करती थी और यह विलुप्त होने के कगार पर थी. ऐसे में, राज्य सरकार ने एमकेएसपी और 'जौहर' परियोजना के तहत स्थानीय ग्रामीणों को वैज्ञानिक प्रशिक्षण दिलाया और इस खेती पर फिर से काम किया. झारखंड के अंदरूनी इलाकों में रहने वाले 73 लाख से अधिक परिवार इस परियोजना से जुड़े हैं और वे सालाना 3 लाख रुपये तक का लाभ कमा रहे हैं.

Dragon Fruit: सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने वर्क फ्रॉम होम के दौरान उगाए ड्रैगन फ्रूट, अब कमा रहे लाखों रुपये

ड्रैगन फ्रूट के खेत में प्रदीप चौधरी

आगरा के अकोला के समीप नगला परमाल गांव में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने वर्क फ्रॉम होम के दौरान खेत में ड्रैगन फ्रूट के पेड़ लगाए। आज वह इसकी खेती से लाखों रुपये कमा रहे हैं। परमाल अब कमा रहे लाखों रुपए गांव के प्रदीप चौधरी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग के साथ-साथ खेताबाड़ी में भी हाथ आजमाया। इसमें भी कामयाबी मिली। प्रदीप चौधरी ने बताया कि वह एक अमेरिकन कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। गुरुग्राम में कार्यरत थे। कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन से ही वह वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समय मिला तो करीब डेढ़ साल पहले एक एकड़ में ड्रैगन फ्रूट के करीब 3200 पौधे लगाए। अब उन पौधों में फल आ रहे हैं। इन फलों को ऑनलाइन ऑर्डर पर गुरुग्राम, दिल्ली, नोएडा आदि स्थानों पर बेच रहे हैं। प्रदीप ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती में करीब 20 लाख रुपये की लागत आई है। एक बार पौधा लगाने पर यह 20 वर्ष तक फल देता है।

‘मन की बात’ से मिली प्रेरणा

प्रदीप चौधरी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम को सुनने के बाद उन्हें ड्रैगन फ्रूट की खेती करने की प्रेरणा मिली। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने बताया थ कि गुजरात में बड़ी संख्या में लोग ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं।

ड्रैगन फ्रूट

संक्रमण से बचाने में मददगार

ड्रैगन फ्रूट में एंटी ऑक्सीडेंट व एंटी वायरल गुण पाए जाते हैं। जो संक्रमण से बचाने में मदद कर सकते हैं। प्रदीप चौधरी ने बताया कि कैंसर व डेंगू आदि के मरीज भी इस फल का सेवन करते हैं।

ड्रैगन फ्रूट के खेत में प्रदीप चौधरी

इस तरह कर सकते हैं खेती

प्रदीप चौधरी ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए मिट्टी की अच्छी तरह से जुताई कर लेना चाहिए। उसके बाद जमीन को समतल करके जैविक खाद डालना चाहिए। भुरभुरी मिट्टी में ड्रैगन फ्रूट के पेड़ से कलम को काटकर लगाया जाता है।

ड्रैगन फ्रूट

पौधों को लगाने के लिए करीब 70 सेंटीमीटर गहरा व 60 सेंटीमीटर चौड़ा गड्ढा खोद लिया जाता है। कलम को लगाते समय मिट्टी डालने के बाद 100 ग्राम सुपर फास्फेट डालना चाहिए। इसके बगल सीमेंट के पोल लगाया जाता है। इस पर लता फैलती है। एक वर्ष में फल आना शुरू हो जाते हैं। अच्छी बात यह है कि इसमें कोई रोग नहीं लगता।

जैविक खेती और डेयरी फार्मिंग से 30 लाख रुपए सलाना कमा रहा यह किसान, पीएम मोदी कर चुके हैं सम्मानित

जैविक खेती और डेयरी फार्मिंग से 30 लाख रुपए सलाना कमा रहा यह किसान, पीएम मोदी कर चुके हैं सम्मानित

Updated on: May 19, 2022 | 8:38 AM

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बैतूल में एक किसान ने खेती को लाभ का धंधा बना दिया है. बैतूल के बघोली गांव में रहने वाले जयराम गायकवाड पढ़े-लिखे किसान हैं. उन्होंने एमए इतिहास से की है. पढ़ाई के बाद उनको 3 सरकारी नौकरी का ऑफर मिला था, लेकिन उन्होंने इन नौकरी को ठुकरा दिया और खेती को चुना. पारंपरिक खेती की जगह उन्होंने कुछ अलग चुना. उन्होंने खेती को चुना. आज वे जैविक खेती (Organic Farming) और डेयरी फार्मिंग से 30 लाख रुपए सालाना कमा रहे हैं. जयराम का जब यह सफर शुरू हुआ तो उनके पास 2 गाय थी और 30 एकड़ खेत. उन्होंने डेयरी फार्मिंग (Dairy अब कमा रहे लाखों रुपए Farming) की शुरुआत की और आज 60 से अधिक गायों के मालिक हैं. 30 एकड़ भूमि में से 9 एकड़ पर जैविक खेती और दुग्ध उत्पादन करने वाले इस अब कमा रहे लाखों रुपए किसान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम रहते हुए भी सम्मानित कर चुके हैं.

ये भी पढ़ें

भारत से एक्सपोर्ट बैन के बाद विदेशी बाजारों में गेहूं की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर, G7 देशों ने की दिल्ली की आलोचना तो चीन आया साथ

भारत से एक्सपोर्ट बैन के बाद विदेशी बाजारों में गेहूं की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर, G7 देशों ने की दिल्ली की आलोचना तो चीन आया साथ

सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने से बच जाएंगे किसान, UP सरकार लॉन्च कर रही खास पोर्टल, मिलेंगी तमाम सुविधाएं

सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने से बच जाएंगे किसान, UP सरकार लॉन्च कर रही खास पोर्टल, मिलेंगी तमाम सुविधाएं

बिना तालाब के इस खास विधि से करें मछली पालन, लागत से पांच गुना अधिक तक होगी कमाई

करेला और टमाटर की खेती से लाखों रुपए कमा रहे है किसान

गौरेला पेंड्रा मरवाही। जिला उद्यान विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन पर मरवाही विकासखण्ड के ग्राम सेखवा के किसान घासीराम करेला और टमाटर की खेती से लाखो रूपए की कमाई कर रहे है। सहायक संचालक उद्यानिकी ने बताया कि विभागीय तकनीकी मार्गदर्शन से सब्जी की खेती से किसान घासीराम खुश है। वे वित्तीय वर्ष 2022-23 में सरकारी मदद से एक एकड़ क्षेत्र में करेला और एक एकड़ क्षेत्र में टमाटर की खेती कर रहे है। वे अभी तक 8 क्विंटल करेला की बिक्री कर चुके है। टमाटर की भी पैदावार अच्छी हो रही है। उन्होने बताया कि करेला और टमाटर की बिक्री से 4 से 5 लाख रूपए लाभ होने की उम्मीद है।

छत्तीसगढ़ में अब तक 1214.0 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज

राज्य शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा बनाए गए राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष द्वारा संकलित जानकारी के मुताबिक एक जून 2022 से अब तक राज्य में 1214.0 मिमी औसत वर्षा दर्ज की जा चुकी है। राज्य के विभिन्न जिलों में 01 जून से आज 26 सितम्बर तक रिकार्ड की गई वर्षा के अनुसार बीजापुर जिले में सर्वाधिक 2348.6 मिमी और सरगुजा में जिले में सबसे कम 563.7 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गयी है। राज्य स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक जून से अब तक सूरजपुर में 933.6 मिमी, बलरामपुर में 929.0 मिमी, जशपुर में 961.7 मिमी, कोरिया में 855.4 मिमी, रायपुर में 871.2 मिमी, बलौदाबाजार में 1128.2 मिमी, गरियाबंद में 1217.7 मिमी, महासमुंद में 1130.4 मिमी, धमतरी में 1267.5 मिमी, बिलासपुर में 1412.2 मिमी, मुंगेली में 1274.3 मिमी, रायगढ़ में 1154.8 मिमी, जांजगीर-चांपा में 1334.2 मिमी, कोरबा में 1177.8 मिमी, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में 1054.3 मिमी, दुर्ग में 933.2 मिमी, कबीरधाम में 1100.3 मिमी, राजनांदगांव में 1198.9 मिमी, बालोद में 1260.0 मिमी, बेमेतरा में 700.3 मिमी, बस्तर में 1739.3 मिमी, कोण्डागांव में 1236.9 मिमी, कांकेर में 1501.8 मिमी, नारायणपुर में 1406.9 मिमी, दंतेवाड़ा में 1773.7 मिमी और सुकमा में 1525.9 मिमी औसत वर्षा रिकार्ड की गई।

रेटिंग: 4.58
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 466
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *