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विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण

विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण
Another 300 million $ drop in state bank reserves this week. We have lost more than half the reserves which were there when no confidence motion was filed. The crises continues to deepen as govt too busy getting their corruption cases wound up. — Asad Umar (@Asad_Umar) October 13, 2022

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए – विदेशी मुद्रा भंडार, विशेष आहरण अधिकार, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिज़र्व ट्रेंच)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्यन पेपर 3 - भारतीय अर्थव्यवस्था, मौद्रिक नीति)

चर्चा में क्यों ?

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 30 सितंबर को 532.66 अरब डॉलर हो गया, जो जुलाई 2020 के बाद से अब तक का सबसे निम्नतम स्तर है।

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार नौवें सप्ताह गिरावट दर्ज की गई।

विदेशी मुद्रा भंडार में 1.09 अरब डॉलर की आयी कमी, गोल्ड रिजर्व भी 70.5 करोड़ डॉलर घटा

विदेशी मुद्रा भंडार

LagatarDesk : भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में हमेशा उलट फेर देखने को मिलता है. एक बार फिर देश के भंडार में गिरावट आयी है. 4 नवंबर को समाप्त सप्ताह में भारत का कोष 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.99 अरब डॉलर रह गया. माना जा रहा है कि गोल्ड रिजर्व में आयी कमी के कारण विदेशी मुद्रा भंडार घटा है. इसके अलावा डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण मुकाबले रुपया लगातार गिर रहा है. इसको थामने के लिए आरबीआई लगातार डॉलर को बेच रहा है. जिसकी वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. आरबीआई ने शुक्रवार को आंकड़ा जारी कर इस बात की जानकारी दी. (पढ़ें, BREAKING : पलामू के बाल सुधार गृह से 3 कैदी फरार, तलाश में जुटी पुलिस)

विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार आ रही गिरावट

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 28 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 6.56 अरब डॉलर बढ़कर 561.08 अरब डॉलर पर पंहुच गया था. जबकि इससे पहले देश का कोष लगातार घट रहा था. 21 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 3.85 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर पर आ गया था. 14 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर पर आ गया था. 7 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 10वें सप्ताह में पहली बार अप्रत्याशित रूप से बढ़ा था. भारत का कोष 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर पंहुच गया था. वहीं 30 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में यह 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.66 अरब डॉलर पर पहुंच गया. जबकि 3 सितंबर 2021 को विदेशी मुद्रा भंडार 642.45 बिलियन डॉलर के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था.

एफसीए में भी 12 करोड़ डॉलर की आयी गिरावट

रिपोर्टिंग वीक में फॉरेन करेंसी एसेट्स (एफसीए) 12 करोड़ डॉलर घटकर 470.73 अरब डॉलर रह गयी. हालांकि इससे पहले एफसीए 5.77 अरब डॉलर बढ़कर 470.84 अरब डॉलर पर पहुंच गयी थी. वहीं 21 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में यह 3.59 अरब डॉलर घटकर 465.08 अरब डॉलर पर आ गया था. फॉरेन करेंसी एसेट्स में डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड और येन जैसी मुद्राओं को भी शामिल किया जाता है.

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गोल्ड रिजर्व, आईएमएफ में मिला एसडीआर और आरक्षित विदेशी मुद्रा भंडार भी घटा

आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में गोल्ड रिजर्व में भी गिरावट आयी है. 4 नवंबर को समाप्त सप्ताह में स्वर्ण भंडार 70.5 करोड़ विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण डॉलर घटकर 37.057 अरब डॉलर रह गया. इससे पहले 28 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में स्वर्ण भंडार 55.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 37.762 अरब डॉलर हो गया. वहीं आलोच्य सप्ताह में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी आईएमएफ (IMF) में मिला देश का एसडीआर यानी स्पेशल ड्राइंग राइट 23.5 करोड़ डॉलर घटकर 17.39 अरब डॉलर रह गया. जबकि आईएमएफ में रखा देश का आरक्षित विदेशी मुद्रा भंडार 2.7 करोड़ डॉलर घटकर 4.82 अरब डॉलर रह गया.

कर्ज से डूबे पाकिस्तान का खजाना हुआ खाली, अब सिर्फ इतना पैसा बाकी

आर्थिक तंगी झेल रहे पाकिस्तान के लिए और बुरी खबर है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले तीन सालों में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में अब सिर्फ 7.59 अरब डॉलर बचा है, जो शहबाज शरीफ सरकार के लिए खतरे की घंटी है.

फोटो- पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2022,
  • (अपडेटेड 14 अक्टूबर 2022, 1:13 PM IST)

आर्थिक तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान तंगहाली के ऐसे दलदल में फंसता जा रहा है, जहां से बाहर निकलने की राह अब आसान नहीं है. अंतराष्ट्रीय मंचों पर लगातार मदद मांग रहे पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले तीन सालों में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. सेंट्रल बैंक के डाटा अनुसार, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 303 मिलियन डॉलर गिरकर 7.50 बिलियन डॉलर पहुंच गया है. जुलाई 2019 से लेकर अब तक पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सबसे निचले स्तर पर है.

जियो न्यूज के मुताबिक, बीते 30 सितंबर को पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 7.89 अरब डॉलर रिकॉर्ड किया गया था, जो सिर्फ एक सप्ताह यानी 7 अक्टूबर तक ही घटकर 7.59 अरब डॉलर रह गया.

पाकिस्तान के खजाने में सिर्फ 6 सप्ताह तक ही आयात लायक पैसा बचा है. सेंट्रल बैंक ने एक बयान में कहा कि विदेशी मुद्रा में कमी का कारण बाहरी देशों का कर्जा चुकाना है, जिसमें कमर्शियल लोन और यूरोबोंड का ब्याज शामिल है.

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कर्ज से डूबे पाकिस्तान ने डिफॉल्टर होने से बचने और मुद्रा भंडार मजबूत करने के लिए अंतराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक मदद भी मांगी थी, लेकिन सहायता से पहले ही बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई, जिसने एक तिहाई पाकिस्तान को तहस-नहस कर दिया.

बाढ़ की वजह से पाकिस्तान की डूबती हुई अर्थव्यवस्था को काफी तगड़ा झटका लगा. बाढ़ को लेकर भी पाकिस्तान सरकार ने दुनिया से मदद की मांग की. यूएन ने भी पाकिस्तान को बाढ़ से उबरने के लिए दूसरे देशों से जल्द से जल्द फंड जारी करने की अपील की थी.

पाकिस्तान के लिए बज गई खतरे की घंटी
वर्तमान में पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी होने की वजह से देश की आर्थिक व्यवस्था गंभीर चुनौतियों का सामना कर ही है. खासतौर पर पाकिस्तान के लिए चिंता की बात यह है कि आयात बढ़ाने की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार हर सप्ताह 300 से 400 मिलियन डॉलर घटता जा रहा है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 8 अरब डॉलर से नीचे आ गया है, जो वाकई देश के लिए खतरे की घंटी है.

विपक्षी नेता ने शहबाज शरीफ सरकार को घेरा
पीटीआई नेता और पूर्व योजना मंत्री असद उमर ने कहा कि शहबाज सरकार के आने के बाद से पाकिस्तान अपना आधे से ज्यादा भंडार खत्म चुका है. असद उमर ने आगे कहा कि यह संकट और ज्यादा गहरा होगा क्योंकि सरकार फिलहाल अपने भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने में व्यस्त है.

पाकिस्तान सरकार के पूर्व मंत्री असद उमर ने दावा किया कि इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने तक भी विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति इतनी गंभीर नहीं थी. जैसे ही शहबाज सरकार सत्ता में आई तो विदेशी मुद्रा भंडार कुछ ही दिनों में आधा हो गया.

Another 300 million $ drop in state bank reserves this week. We have lost more than half the reserves which were there when no confidence motion was filed. The crises continues to deepen as govt too busy getting their corruption cases wound up.

— Asad Umar (@Asad_Umar) October 13, 2022

बाढ़ ने मचाई तबाही तो और कमजोर हुआ पाकिस्तान
पाकिस्तान के कई इलाकों में लगातार बारिश की वजह से लाखों लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ा. हालात ऐसे हो गए कि हजारों लोगों को अपने घर, गांव छोड़कर दूसरे सुरक्षित ठिकानों पर ले जाया गया और काफी तादाद में लोगों ने अपनों को इस बाढ़ में खो दिया.

खासतौर पर पहाड़ी इलाकों में स्थिति और ज्यादा भयानक रही और काफी लंबे समय तक पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने वहां फंसे लोगों को बाहर निकाला. बाढ़ का असर एक तिहाई पाकिस्तान में देखने को मिला, जिसने अर्थव्यवस्था की नाव में एक बड़ा छेद कर दिया.

पाकिस्तान में पिछले कई महीनों से सबकुछ ठीक नहीं
पाकिस्तान में पिछले विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण कुछ महीनों में ही इमरान खान से शहबाज शरीफ की सत्ता तक, जहां एक ओर, पाकिस्तान राजनीतिक अस्थिरता का सामना करता रहा तो वहीं बाढ़ की वजह से लाखों लोगों को जीवन अस्त-व्यस्त हो गया. ऐसे में पाकिस्तान की आर्थिक गाड़ी ने और ज्यादा धीमी रफ्तार पकड़ ली.

हालांकि, अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए अगस्त में पाकिस्तान को आईएमएफ ( इंटरनेशनल मोनेटरी फंड ) से 1.1 अरब डॉलर की आर्थिक मदद मिल गई. लेकिन वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलेपमेंट बैंक से फंड का अभी इंतजार है. वहीं अरब देशों की ओर से भी पाकिस्तान को पांच लाख डॉलर के निवेश के वादे किए जा चुके हैं, जो शायद साल 2023 से पूरे होने शुरू होंगे.

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  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2022,
  • (अपडेटेड 14 अक्टूबर 2022, 1:13 PM IST)

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जियो न्यूज के मुताबिक, बीते 30 सितंबर को पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 7.89 अरब डॉलर रिकॉर्ड किया गया था, जो सिर्फ एक सप्ताह यानी 7 अक्टूबर तक ही घटकर 7.59 अरब डॉलर रह गया.

पाकिस्तान के खजाने में सिर्फ 6 सप्ताह तक ही आयात लायक पैसा बचा है. सेंट्रल बैंक ने एक बयान में कहा कि विदेशी मुद्रा में कमी का कारण बाहरी देशों का कर्जा चुकाना है, जिसमें कमर्शियल लोन और यूरोबोंड का ब्याज शामिल है.

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कर्ज से डूबे पाकिस्तान ने डिफॉल्टर होने से बचने और मुद्रा भंडार मजबूत करने के लिए अंतराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक मदद भी मांगी थी, लेकिन सहायता से पहले ही बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई, जिसने एक तिहाई पाकिस्तान को तहस-नहस कर दिया.

बाढ़ की वजह से पाकिस्तान की डूबती हुई अर्थव्यवस्था को काफी तगड़ा झटका लगा. बाढ़ को लेकर भी पाकिस्तान सरकार ने दुनिया से मदद की मांग की. यूएन ने भी पाकिस्तान को बाढ़ से उबरने के लिए दूसरे देशों से जल्द से जल्द फंड जारी करने की अपील की थी.

पाकिस्तान के लिए बज गई खतरे की घंटी
वर्तमान में पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी होने की वजह से देश की आर्थिक व्यवस्था गंभीर चुनौतियों का सामना कर ही है. खासतौर पर पाकिस्तान के लिए चिंता की बात यह है कि आयात बढ़ाने की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार हर सप्ताह 300 से 400 मिलियन डॉलर घटता जा रहा है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 8 अरब डॉलर से नीचे आ गया है, जो वाकई देश के लिए खतरे की घंटी है.

विपक्षी नेता ने शहबाज शरीफ सरकार को घेरा
पीटीआई नेता और पूर्व योजना मंत्री असद उमर ने कहा कि शहबाज सरकार के आने के बाद से पाकिस्तान अपना आधे से ज्यादा भंडार खत्म चुका है. असद उमर ने आगे कहा कि यह संकट और ज्यादा गहरा होगा क्योंकि सरकार फिलहाल अपने भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने में व्यस्त है.

पाकिस्तान सरकार के पूर्व मंत्री असद उमर ने दावा किया कि इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने तक भी विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति इतनी गंभीर नहीं थी. जैसे ही शहबाज सरकार सत्ता में आई तो विदेशी मुद्रा भंडार कुछ ही दिनों में आधा हो गया.

Another 300 million $ drop in state bank reserves this week. We have lost more than half the reserves which were there when no confidence motion was filed. The crises continues to deepen as govt too busy getting their corruption cases wound up.

— Asad Umar (@Asad_Umar) October 13, 2022

बाढ़ ने मचाई तबाही तो और कमजोर हुआ पाकिस्तान
पाकिस्तान के कई इलाकों में लगातार बारिश की वजह से लाखों लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ा. हालात ऐसे हो गए कि हजारों लोगों को अपने घर, गांव छोड़कर दूसरे सुरक्षित ठिकानों पर ले जाया गया और काफी तादाद में लोगों ने अपनों को इस बाढ़ में खो दिया.

खासतौर पर पहाड़ी इलाकों में स्थिति और ज्यादा भयानक रही और काफी लंबे समय तक पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने वहां फंसे लोगों को बाहर निकाला. बाढ़ का असर एक तिहाई पाकिस्तान में देखने को मिला, जिसने अर्थव्यवस्था की नाव में एक बड़ा छेद कर दिया.

पाकिस्तान में पिछले कई महीनों से सबकुछ ठीक नहीं
पाकिस्तान में पिछले कुछ महीनों में ही इमरान खान से शहबाज शरीफ की सत्ता तक, जहां एक ओर, पाकिस्तान राजनीतिक विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण अस्थिरता का सामना करता रहा तो वहीं बाढ़ की वजह से लाखों लोगों को जीवन अस्त-व्यस्त हो गया. ऐसे में पाकिस्तान की आर्थिक गाड़ी ने और ज्यादा धीमी रफ्तार पकड़ ली.

हालांकि, अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए अगस्त में पाकिस्तान को आईएमएफ ( इंटरनेशनल मोनेटरी फंड ) से 1.1 अरब डॉलर की आर्थिक मदद मिल गई. लेकिन वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलेपमेंट बैंक से फंड का अभी इंतजार है. वहीं अरब देशों की ओर से भी पाकिस्तान को पांच लाख डॉलर के निवेश के वादे किए जा चुके हैं, जो शायद साल 2023 से पूरे होने शुरू होंगे.

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