शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे

Share Market : शेयर बाजार से हुई है आमदनी तो देना होगा टैक्स, जान लेंगे तो होगा फायदा
Share Market : शेयर बाजार में निवेश करने से पहले इस बात की भी जानकारी हासिल करें कि शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर कितना टैक्स देना होता है.
By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 23 Aug 2021 11:30 PM (IST)
Share Market: शेयर बाजार में अगर आपका निवेश का इरादा है तो ऐसा जरूर करें लेकिन उससे पहले शेयर बाजार से जुड़ी सभी जानकारियां हासिल जरूर कर लें. शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो सिर्फ ज्यादा से ज्यादा कमाई के बारे में नहीं सोचें. बल्कि इस बात की भी जानकारी हासिल करें कि शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर कितना टैक्स देना होता है. हम आपको बता रहे हैं कि शेयर बाजार से हुई कमाई पर कितना टैक्स लगता है और कैसे.
इंट्रा-डे ट्रेडिंग
- एक ही दिन में शेयर खरीद कर उसी दिन शाम तक बेच देने को इंट्रा-डे ट्रेडिंग कहा जाता है.
- इंट्रा-डे ट्रेडिंग से जो कमाई होती है उसे स्पेक्युलेटिव बिजनेस इनकम कहते हैं.
- फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई को नॉन-स्पेक्युलेटिव बिजनेस इनकम कहा जाता है.
कितना देना होगा टैक्स
- इंट्रा-डे और फ्यूचर-ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है.
- 5 लाख रुपये तक की कुल कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.
- इससे ज्यादा की कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा.
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन
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- 1 साल से कम और 1 दिन से अधिक के लिए शेयर खरीदते हैं तो इससे हुए कमाई शॉर्ट टर्म कैपिल गेन कहलाती है.
- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर आपको फ्लैट 15 फीसदी टैक्स देना होता है.
- कुल कमाई 5 लाख रुपये तक होने पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.
- इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि आप कौन से टैक्स स्लैब में आते हैं.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन
- 1 साल से अधिक की अवधि के लिए शेयर खरीदते हैं तो 1 साल बाद उसे बेचने से हुई कमाई लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहते हैं.
- लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 1 लाख रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता है.
- इससे अधिक की कमाई पर फ्लैट 10 फीसदी का टैक्स लगता है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं.
- अगर आपकी कुल कमाई 5 लाख रुपये तक है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना है.
डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना ज़रूरी है की मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)
आप भी करते हैं 10 रुपये से कम वाले शेयर में निवेश, जानें- पेनी स्टॉक के रिस्क और फायदे?
बाजार में उतार-चढ़ाव के समय में सबसे ज्यादा नुकसान पेनी स्टॉक्स के निवेशकों को उठाना पड़ता है. कई बार ऐसा भी होता है कि एक बार में सारे पैसे डूब जाते हैं. साथ ही कई पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले भी निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी शेयर खरीद कर दाम बढ़ाते हैं.
सरबजीत कौर
- नई दिल्ली,
- 19 अक्टूबर 2021,
- (अपडेटेड 19 अक्टूबर 2021, 9:18 PM IST)
- पेनी स्टॉक्स से निवेशक को दूर रहने की सलाह
- बेस्ट क्वालिटी शेयरों में निवेश करना चाहिए
- बाजार में गिरावट आने से पेनी स्टॉक्स सबसे ज्यादा प्रभावित
पिछले दो साल से शेयर बाजार में आ रही तेजी ने कई नए निवेशकों को निवेश के लिए आकर्षित किया है. ऐसे में सिर्फ लंबी अवधि के निवेशक ही नहीं, बल्कि ट्रेडिंग करने वालों को भी काफी फायदा मिल रहा है. लेकिन कई लोग जो बाजार में नए हैं उनके के पास सेविंग के ज्यादा पैसे नहीं होते हैं. ऐसे में वो लोग कम कीमत वाले शेयरों में पैसा लगाना चाहते हैं. जिनमें निवेश से उन्हें पैसे भी ज्यादा न लगाने पड़े और फायदा भी ज्यादा मिल जाए. लेकिन ऐसे शेयरों में मुनाफे से ज्यादा रिस्क बहुत होता है. इन्ही कम कीमत वाले शेयरों को जिनका मार्केट कैप भी कम होता है, उन्हें हम पेनी स्टॉक या भंगार शेयर कहते हैं. साधारण भाषा में जानें तो ज्यादातर जिन कंपनियों के शेयर 10 रुपये या उससे कम के होते हैं उन्हें पेनी स्टॉक्स कहा जाता है.
कितना रिस्क है:
पेनी स्टॉक्स सस्ते जरूर होते हैं लेकिन इनमें रिस्क बहुत ज्यादा होता है.
एस्कॉर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड- आसिफ इकबाल का मानना है कि जैसे कि-बाजार अपने नए स्तर को छू रहा है और अबतक शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे की सबसे ज्यादा तेजी है. ऐसे में निवेशकों को संभलकर रहने की जरूरत और बेस्ट क्वालिटी शेयरों पर निवेश करना चाहिए. अगर बाजार में यहां से गिरावट आई तो पेनी स्टॉक्स में सबसे ज्यादा नुकसान होगा. ये एक तरह से बर्निंग ट्रेन में यात्रा करने के समान है. इसलिए, इससे बेहतर हैं कि आप ट्रेन में बोर्ड करने से पहले ही संभल जाएं. पेनी स्टॉक्स में निवेश से पहले कंपनी के गुड मैनेजमेंट, बिजनेस और आउटलुक को देखना बहुत जरूरी है. साथ ही ये देखना अनिवार्य होता है कि कंपनी के पास जीरो डेट या कर्ज ना के बराबर है.'
बाजार में उतार-चढ़ाव के समय में सबसे ज्यादा नुकसान पेनी स्टॉक्स के निवेशकों को उठाना पड़ता है. कई बार ऐसा भी होता है कि एक बार में सारे पैसे डूब जाते हैं. साथ ही कई पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले भी निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी शेयर खरीद कर दाम बढ़ाते हैं. ऐसे समय में निवेशकों को बड़ी बारीकी से पेनी स्टॉक्स के रिस्क और मुनाफे को समझना होगा. बिना सही जानकारी के निवेश करने से भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
आसिफ के मुताबिक-‘पेनी स्टॉक्स में 5 फीसदी से ज्यादा निवेश न करें. हमेशा किसी भी स्टॉक में पोजिशन लेने से पहले अपने स्टॉप लॉस को ध्यान में रखकर ही निवेश करें’.
पेनी स्टॉक की कीमत बहुत कम होती है. जिसकी वजह से पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले लोग शेयर में खुद ही पैसा लगाकर उसकी कीमत बढ़ा देते हैं. जिसकी वजह से बाजार में निवेश रिटर्न और कीमत देखकर और निवेश करने लगते हैं. जिसका कारण है कि पेनी शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे स्टॉक्स के शेयरों में तेजी आने लगती है. ऐसे समय में पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले शेयर को बेचकर निकल जाते हैं और मुनाफा कमा लेते हैं. इन सब बातों से कई बार नए निवेशक को भारी नुकसान उठाना पड़ता है.
कितना फायदा:
पेनी स्टॉक्स की कीमत कम होने के कारण उनमें निवेश आसान होता है. कई बार बाजार में तेजी का फायदा ज्यादा होता है.
मान लिजिए उदाहरण के तौर पर X निवेशक ने किसी कंपनी के 5 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से 10000 शेयर लिए. इन्वेस्टर ने कुल 50,000 रुपये का निवेश किया. अब शेयर की कीमत एक दिन में प्रति शेयर 10 रुपये तक गई. निवेशक को 5 रुपये प्रति शेयर का मुनाफा हुआ. कुल निवेश 50,000 रुपये का था जो बाजार में आई तेजी से बढ़कर 1,00,000 रुपये हो गया. यानी की एक दिन में 50,000 रुपये से अधिक का फायदा संभव है. बाजार में तेजी के रूख से सबसे ज्यादा फायदे की संभानवा होती है.
प्रॉफिटमार्ट सिक्योरिटी के डायरेक्टर, अविनाश गोरक्षकर के मुताबिक-‘आमतौर पर बाजार में जब तेजी का रुख आता है तो पेनी स्टॉक्स ही सबसे पहले भागते हैं और बाजार के गिरते ही लोग पेनी स्टॉक्स को भूलना शुरू कर देते हैं. ऐसा नहीं है कि सभी पेनी स्टॉक्स में निवेश करना खराब होता है. बिजनेस मॉडल कैसा है, फ्यूचर कैसा है, कितना कर्ज है ये सब पहले देख लें उसके बाद ही उस पेनी स्टॉक में निवेश करें’.
लेकिन कई बार स्थिति काफी अलग होती है. अविनाश का मानना है कि-‘पेनी स्टॉक्स जिनका बिजनेस मॉडल खराब है, जिस पर कर्ज है वो सबसे ज्यादा क्लासिक केस होते हैं जिनकी अंडरलाइंग वैल्यू बिना किसी कारण या सही तर्क के बढ़ जाती है. सबसे बेहतरीन उदाहरण है दीवान हाउसिंग, सुजलॉन, यस बैंक जैसी कंपनियां का, जहां रिटेल इन्वेस्टर्स ने अपने हिस्से को अचानक से बढ़ा दिया और इन कंपनियों के शेयर में इंस्टीट्यूशनल निवेशक आज बाहर हैं.’
अगर किसी के पास सीमित कैपिटल है और जिनके पास 100 फीसदी कैपिटल नुकसान को झेलने की शक्ति न हो तो ऐसे में उन लोगों को पेनी स्टॉक्स में निवेश नहीं करना चाहिए. इससे साफ है कि मुनाफ या रिवार्ड 5x या 20x संभव है. लेकिन, रिस्क की बात करें तो अगर पेनी स्टॉक्स सही परफॉर्म नहीं करेंगे तो निवेशक को 100 फीसदी कैपिटल नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
आगे अविनाश कहते हैं कि-‘जहां तक पेनी स्टॉक में रिस्क और मुनाफे का सवाल है इसमें कोई मार्जिन की सुरक्षा गारंटी नहीं होती. साथ ही शेयर से जुड़े सभी उतार-चढ़ाव बाजार की खबरों पर निर्भर करता है. बहुत ही कम देखा गया है कि पेनी स्टॉक्स मल्टी बैगर के रूप में सामने आया. सबसे बेहतरीन उदाहरण है Symphony कंपनी का शेयर. कुछ साल पहले Symphony का शेयर 10 रुपये के नीचे था और आज की तारीख में देखें तो कंपनी का शेयर 2000 रुपये का शेयर है. लेकिन, ध्यान रहे कि पेनी स्टॉक्स में सक्कसेस रेट केवल 1 से 2 फीसदी के बीच का ही होता है.’
पेनी स्टॉक्स में निवेश करने से पहले रखें ध्यान:
·पेनी स्टॉक्स में निवेश करना हमेशा जोखिम भरा होता है. इसमें निवेशकों को लाभ से ज्यादा नुकसान का रिस्क होता है.
·लो-लिक्विडिटी की वजह से खरीद-बिक्री में मुश्किल होता है. साथ ही, उतार-चढ़ाव काफी होता है जिसकी वजह से अचानक कीमत के गिरने के निवेशकों को नुकसान सा सामना करना पड़ता है. इसलिए निवेशकों के लिए इन सब बातों का ध्यान देना जरूरी है.
·कई बार निवेशकों कंपनी के बिना किसी भविष्य की योजना को देखे निवेश कर देते हैं. ऐसे में निवेशकों को कंपनी की ग्रोथ का सही अंदाजा नहीं होता है और उन्हें नुकसान झेलना पड़ता है. इसका ध्यान देना बहुत जरूरी है.
·पेनी स्टॉक्स की ऊपर जाने की सीमा नहीं इसलिए गिरावट का भी उतना खतरा रहता है.
·केवल 2-3 शेयरों में निवेश करना बुद्धिमानी, केवल शॉर्ट-टर्म के लिए करें निवेश.
·पेनी स्टॉक से जुड़े अफवाहों पर ना जाएं. साथ ही, जल्दबाजी में निवेश करने के बचें.
·याद रखें, पेनी स्टॉक "उच्च जोखिम वाले" स्टॉक की तरह. खुदरा निवेशकों के लिए,म्यूचुअल फंड्स अधिक सुरक्षित हैं.
·कई बार पेनी स्टॉक ऑपरेट करने वाले शेयर में पैसा लगाकर कीमत बढ़ाते है. जिसके कारण रिटर्न और कीमत से होते हैं निवेशक आकर्षित. इसपर ध्यान दें.
· स्टॉक ऑपरेटर तेजी का फायदा उठाकर बाद में बेच देते हैं शेयर. इसलिए स्टॉक ऑपरेटर की चाल से निवेशक रहें सावधान.
·हमेशा कंपनी की ग्रोथ, योजनाओं को ध्यान में रखकर करें निवेश. साथ ही, बिजनेस मॉडल, फ्यूचर, कर्ज देखकर करें पेनी स्टॉक में निवेश
·पेनी स्टॉक्स में अगर ट्रेडिंग कर रहें हैं तो बच कर रहें. लंबी अवधि के निवेशक हमेशा रहें दूर.
लोगों को यही सलाह है कि वो पेनी स्टॉक्स में अगर ट्रेडिंग कर रहे हैं तो बच कर रहें और कोई लालच ना करें. बिना स्टॉपलॉस के ट्रेड ना करें और अपना सौदा हमेशा टारगेट के पूरा होते ही काट लें वरना भारी नुकसान बाद में झेल सकते हैं. अच्छे निवेशकों को यही सलाह है कि पेनी स्टॉक्स में निवेश से दूर रहें और फंडामेंटल मजबूत कंपनियों में निवेश करें. कंपनी की आर्थिक, बैलेंस शीट जरूर चेक करें. सबसे अहम बात है कि बिना किसी निवेश सलाहकार के कभी निवेश न करें. अगर अधूरे ज्ञान के साथ आप निवेश करेंगे तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए हमेशा समझदारी से सोच-समझकर निवेश करें.
Hot Stocks- Angel One समीत चाव्हाण शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे की शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग पिक्स जिनमें हो सकती है जोरदार कमाई
पिछले हफ्ते के करेक्शन के बाद बाजार आज अपने आप को संभालता नजर आ रहा है।
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Sameet Chavan,Angel One
अच्छे ग्लोबल संकेतों के बीच आज भारतीय बाजारों ने तेजी के साथ शुरुआत की है। पिछले हफ्ते की बात करें तो 25 अक्टूबर को बाजार ने बढ़त शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे के साथ शुरुआत की थी, लेकिन यह ऊपरी स्तरों पर अपने को संभालने में कामयाब नहीं रहा और यह लाल निशान में बंद हुआ। 25 अक्टूबर के बाद अगले दो शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे कारोबारी सत्रों में कुछ रिकवरी देखने को मिली। लेकिन बाजार के ओवरऑल मोमेटम में सुस्ती रही। अक्टूबर सिरीज का एक्सपायरी सेशन बुल्स के लिए बहुत खराब साबित हुआ। इस दिन लगभग सभी सेक्टरों में भारी गिरावट देखने को मिली और एक के बाद लगभग सभी अहम सपोर्ट लेवल टूट गए। फाइनली निफ्टी अक्टूबर एक्सपायरी के दिन 17,900 के नीचे फिसल गया और यह करीब 2 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ। जो कि 12 अप्रैल 2021 के बाद आई सबसे बड़ी गिरावट थी। इसके बाद भी बाजार में गिरावट थमती नजर नहीं आई और इसके अलगे दिन निफ्टी 17,600 के नीचे फिसल गया।
पिछले हफ्ते के करेक्शन के बाद बाजार आज अपने आप को संभालता नजर आ रहा है। चूंकि इस समय मार्केट ओवर सोल्ड स्थिति में नजर आ रहा है। अब इसमें कुछ तेजी आती दिख सकती है। लेकिन ट्रेडर्स को सलाह है कि वो इस उछाल में भावनाओं में न बहें और सोच समझ कर निवेश निर्णय लें। अगर कोई बाउंस बैक आता है तो अपनी पोजीशन हल्की करें। ऊपर की तरफ निफ्टी के लिए 18000-18,100 पर हर्डल नजर आ रहा है। किसी उछाल की स्थिति में पोजीशन हल्की करने की सलाह होगी।
दूसरी तरफ अगर निफ्टी में और कमजोरी आती है तो फिर यह हमें 17,450,17200 और हालत ज्यादा खराब होने पर 17,000 तक भी जा सकता है। इसको देखते हुए हमारी सलाह है कि बाजार में अपनी शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे पोजीशन हल्की रखें और फिलहाल अभी किसी बॉटम फिशिंग से बचें।
शॉर्ट-टर्म वर्किंग कैपिटल क्या है
शॉर्ट-टर्म वर्किंग कैपिटल फंड को दर्शाता है जो आपको आपके बिज़नेस के दैनिक ऑपरेशन को फाइनेंस करने में मदद करता है. इनमें इन्वेंटरी या कच्चे माल की खरीद, स्टाफ सेलरी, वेयरहाउस या ऑफिस रेंट, बिजली और मेंटेनेंस, शॉर्ट-टर्म डेब्ट और भी बहुत कुछ शामिल हैं.
आप शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे बजाज फिनसर्व का शॉर्ट-टर्म बिज़नेस लोन ले सकते हैं और शॉर्ट-टर्म वर्किंग कैपिटल कम होने पर अपने बिज़नेस के दैनिक चलने को मैनेज कर सकते हैं. हमारे शॉर्ट-टर्म कार्यशील पूंजी लोन आसान पात्रता मानदंडों और न्यूनतम डॉक्यूमेंट के साथ एप्लीकेशन को आसान बनाते हैं और पुनर्भुगतान को किफायती बनाते हैं. लंबी अवधि आपको छोटी मासिक किश्तों का भुगतान करने में मदद करती है, और आकर्षक ब्याज़ दर आपको तनाव-मुक्त पुनर्भुगतान करने की सुविधा देती है.
हमारी फ्लेक्सी सुविधा भी आपकी कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं को प्रभावी रूप से मैनेज करने में मदद करती है, जहां आप अपनी स्वीकृति से केवल आवश्यक राशि निकालकर उपयोग कर सकते हैं, और बिना किसी अतिरिक्त शुल्क इसे पार्ट-प्री-पे भी कर सकते हैं. आप ईएमआई के रूप में केवल ब्याज़ का भुगतान करना भी चुन सकते हैं और ईएमआई को 45% तक कम कर सकते हैं*.
शेयर ट्रेडिंग से हुई इनकम पर कैसे टैक्स लगता है?
साल में एक लाख रुपये तक के एलटीसीजी पर कोई टैक्स नहीं पड़ता है. इसके अलावा 31 जनवरी 2018 से पहले तक खरीदे गए शेयरों पर एलटीसीजी ग्रैंडफादरिंग क्लॉज के तहत आता है. यानी इस तारीख तक शेयरों से हुआ मुनाफा भी टैक्स के दायरे में नहीं आता है.
शेयर ट्रेडिंग से हुए फायदे या नुकसान को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (एसटीसीजी) या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के तौर पर क्लासिफाई करना होगा.
एकेएम ग्लोबल में पार्टनर अमित माहेश्वरी कहते हैं, चूंकि पार्थ की शेयर ट्रेडिंग से इनकम है. इसलिए उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने के लिए आईटीआर-2 का इस्तेमाल करना होगा.
हालांकि, पार्थ अगर इंट्रा-डे ट्रेडिंग कर रहे हैं तो उसे स्पेकुलेटिव बिजनेस के तौर पर देखा जाएगा. उस स्थिति में उन्हें आईटीआर-3 में अपना रिटर्न फाइल करने की जरूरत होगी. इसके अलावा शेयर ट्रेडिंग से हुए फायदे या नुकसान को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (एसटीसीजी) या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के तौर पर क्लासिफाई करना होगा. शेयर से हुए गेंस को अगर एक साल तक रखा जाता है तो उसे शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे एसटीसीजी में वर्गीकृत किया जाता है. वहीं, अगर इसे एक साल से ज्यादा समय के लिए रखा जाता है तो यह एलटीसीजी में क्लासिफाई होता है.
एसटीसीजी पर 15 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. दूसरी ओर एलटीसीजी पर टैक्स की यह दर 10 फीसदी होती है. हालांकि, साल में एक लाख रुपये तक के एलटीसीजी पर कोई टैक्स नहीं पड़ता है. इसके अलावा 31 जनवरी 2018 से पहले तक खरीदे गए शेयरों पर एलटीसीजी ग्रैंडफादरिंग क्लॉज के तहत आता है. यानी इस तारीख तक शेयरों से हुआ मुनाफा भी टैक्स के दायरे में नहीं आता है.
आइए, अब शौर्य का सवाल लेते हैं.
शौर्य ने दिल्ली में चार साल पहले एक फ्लैट खरीदा था. इसके लिए उन्होंने एसबीआई से लोन लिया था. उन्होंने गुरुग्राम में एक और फ्लैट बुक कराया था. यह पजेशन के लिए तैयार है. वह इस फ्लैट को बेचना चाहते हैं. इसकी बिक्री से मिली रकम से वह होम लोन खत्म कर देना चाहते हैं. उन पर किस तरह टैक्स देनदारी बनेगी?
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर होम मिस्त्री कहते हैं कि अगर शौर्य पजेशन लेने से पहले घर को बेचते हैं तो फायदा उस स्थिति में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में आएगा अगर उन्होंने इस पर कम से कम तीन साल अधिकार रखा है. इस पर 20 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा. साथ ही लागू सरचार्ज और सेस भी वसूला जाएगा. ऐसा नहीं होने पर इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस के तौर पर उनकी इनकम पर लागू स्लैब रेट से टैक्स लगेगा.
वहीं, शौर्य अगर घर का पजेशन लेने के तुरंत बाद इसे बेचते हैं तो इस बात की ज्यादा संभावना है कि इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाए. इस पर स्लैब रेट के अनुसार टैक्स लगेगा. शौर्य को कोई भी फैसला लेने से पहले इन पहलुओं को देख लेना चाहिए.
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