अपने दलाल दर

ओपीडी के सामने दवा दलाल : दवा दुकानों की हड़ताल के बाद पीएमसीएच अपने दलाल दर व आइजीआइएमएस में दलाल सक्रिय हो गये. ओपीडी के सामने कुछ ऐसे दलाल देखे गये जो मरीज की परची देख दवा देने की बात कह रहे थे. कुछ मरीज झांसे में आकर दलालों के चुंगल में फंस गये. मरीजों का कहना था कि दलालों को पता था कि कौन डॉक्टर कौन सी दवा लिखते हैं. ऐसे में वे कुछ दवाएं स्टाॅक में रख हुए थे, जिसे मरीजों को उपलब्ध कराया जा रहा था.
अपने दलाल दर
---रविवार विशेष---
-अपने-अपने कार्यक्षेत्र में नामी-गिरामी दोनों दिग्गजों ने धरती के दूसरे भगवान के कृत्य पर जताई चिंता
-अपने बीच हुई चर्चा को फेसबुक पर पोस्ट कर सुधार की बताई जरुरत, नववर्ष में कुछ तो लें नसीहत
बृजेश यादव
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मऊ : आधुनिक समाज में धनकमाने की होड़ है, चाहे वह जैसे आये। प्राइवेट अस्पताल व चिकित्सक भी इसमें पीछे नहीं हैं। उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि जिस मरीज से धन ऐंठा जा रहा है, वह किस परिस्थिति से गुजर रहा है। आभूषण गिरवी रखकर पैसा लाया है या खेत रेहन रखकर, वह अपने सभी चार्ज (दलाल के कमीशन सहित) वसूल करके ही छोड़ते हैं। धन अर्जित करने में मानवता को भी दरकिनार कर चुके प्राइवेट डाक्टरों को भले न फर्क पड़े, लेकिन उन्हें पड़ता है, जिन्हें समाज अपने दलाल दर की चिंता है। जिनकी सोच है कि समाज का अंतिम व्यक्ति भी खुशहाल रहे। किसी को पीड़ा में जान-सुन वह खुद उसके दर्द को महसूस कर कराह उठते हैं। सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहने वाले अपने-अपने कार्यक्षेत्र के दो नामचीनों में विमर्श हुआ तो प्राइवेट अस्पतालों में चल रहा लूट का खेल परत-दर-परत सामने आ गया। यह शख्स हैं भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष मुन्ना दूबे व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा.गंगासागर सिंह।
डेढ़ माह पूर्व हुई वार्ता आज भी मौजूं
इनके बीच वार्ता का घटनाक्रम डा.गंगासागर सिंह के निवास पर करीब डेढ़ माह पहले का है। इन दोनों दिग्गजों के बीच जो विमर्श हुआ, उसे उन्होंने अपने-अपने फेसबुक वाल पर विस्तार से रेखांकित भी किया। दोनों लोगों ने कभी धरती के दूसरे भगवान की संज्ञा से नवाजे जाने वाले निजी चिकित्सकों के कृत्य पर चिंता जताते हुए सुधार की जरुरत बताई। बुलंद आवाज दोनों विद्वतजनों के फेसबुक वाल पर लिखे लेख को इस अपेक्षा के साथ हुबहू प्रस्तुत कर रहा है कि नूतन वर्ष 2022 में चिकित्सक आत्मचिंतन कर समाज की फिक्र कर कुछ सुधार जरुर करेंगे। खबर में दोनों लोगों के फेसबुक मैटर का स्क्रीनशाट भी सबसे नीचे लगाया गया है।
सूरत : जमीन दलाल से 55 लाख के सामने फाइनेंसरों ने 1 करोड़ रुपये वसूली कर धमकी दी
सूरत के मोटा वराछा में रहने वाले एक जमीन दलाल ने अमरोली पुलिस में एक फाइनेंसर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, जिसने 2 फीसदी ब्याज पर 55 लाख रुपये का भुगतान करने के बावजूद 3 फीसदी जुर्माना अपने दलाल दर के साथ 1 करोड़ रुपये वसूल किए। चार माह में ब्याज सहित 60 लाख रुपए देने के बावजूद फाइनेंसर उसे परेशान कर रहा था।
जमीन दलाल राजू बालाभाई इटालिया ( उम्र 40 मूल रूप से वाडिया, ता. पलिताना, जिला भावनगर में रहते हैं) ने वर्ष 2019 में घंघाकीय हेतू के लिए मार्च 2019 में मोटा वराछा रॉयल स्कवेर में ऑफिस रखने वाले फायनान्सर जगदीश कानाभाई राठोड उर्फ जे.के. राजपूत से 2 प्रतिशत ब्याज पर 55 लाख रुपये लिए थे। जुलाई 2019 में, राजू ने जे.के. को ब्याज सहित 60 लाख रुपये का भुगतान किया। हालांकि, फाइनेंसर ने 3% के जुर्माने के साथ 1 करोड़ रुपये उघराणी करना शुरू कर दिया और फरवरी 2021 में, उन्होंने राजू के आवासीय फ्लैट की डीड अपने नाम कर ली।
सूरत : विधानसभा चुनाव-2022 के दौरान 1 दिसंबर को मतदान के लिए कामदारों तथा श्रमिकों को सवेतन अवकाश
छुट्टी की घोषणा के कारण संबंधित श्रमिकों/कर्मचारियों के वेतन से कोई कटौती नहीं की जायेगी
बारकोड स्कैन कर देख सकते हैं मतदाता विवरण, मतदाता पर्ची के पीछे मतदान केंद्र का गूगल मैप भी दिया है
सूरत : सरकारी कर्मचारियों ने किया मतदान के अधिकार का प्रयोग, पोस्टल बैलेटसे वोट डाला
शहर जिले के पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों ने पोस्टल बैलेट पेपर से मतदान किया
सूरत से दुकान बंद अपने दलाल दर कर फरार होकर वतन से भागे पिता-पुत्र खेतिहर मजदूर बन गए, फोटो अपलोड करने पर पता चला
Top Trending stock: निवेशकों को मुनाफा कराने के लिए क्या सारदा एनर्जी है तैयार? सालाना आधार पर दिया है 141% रिटर्न
मजबूत प्राइस एक्शन और भारी वॉल्यूम के साथ सभी तकनीकी मानकों के आधार पर सारदा एनर्जी के स्टॉक में तेजी का संकेत मिलता है। स्टॉक के शॉर्ट से लेकर मीडियम टर्म में अपने सर्वकालिक उच्च स्तर का परीक्षण करने की उम्मीद है।
कंपनी की अधिकांश हिस्सेदारी प्रमोटर्स के पास
सारदा एनर्जी की अधिकांश हिस्सेदारी प्रमोटरों के पास है, जो लगभग 72.5% है। वहीं जनता के पास लगभग 24.35% हिस्सेदारी है। संस्थानों के पास कंपनी की 3% से कम हिस्सेदारी है। उच्च प्रमोटर होल्डिंग, कंपनी के व्यवसाय प्रबंधन में प्रमोटर के भरोसे का एक सकारात्मक संकेत है।
दवा के लिए भटके दर-दर
पटना : दवा व्यापारियों की हड़ताल का असर राजधानी पटना में भी देखने को मिला. मंगलवार को शहर की करीब 90 प्रतिशत दवा दुकानें बंद रहीं. इस कारण मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. दवा कारोबारियों के मुताबिक प्रदेश भर में करीब 30 करोड़ का कारोबार बाधित हुआ. पीएमसीएच व आइजीआइएमएस के मरीज अधिक प्रभावित हुए. प्रदेश की सबसे बड़ी दवा मंडी गोविंद मित्रा रोड में भी सन्नाटा छाया रहा.
ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट (एआइओसीडी) के आह्वान पर बिहार केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन की ओर से सूबे में दवा दुकानें बंद करायी गयी थीं. एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रसन्न कुमार सिंह ने बताया कि सरकार की ओर से तय किये गये नियमों के विरोध में यह हड़ताल की गयी थी. हड़ताल 24 घंटे के लिए है. बुधवार से दवा दुकानें खुल जायेंगी.
आयोग क्या है?
आयोग के अर्थ के अनुसार, यह दलाल द्वारा लिया जाने वाला शुल्क है यावित्तीय सलाहकार ग्राहकों को कुछ सेवाएं प्रदान करने पर। वे व्यक्ति के लिए वित्तीय प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री के प्रबंधन के लिए यह शुल्क ले सकते हैं। ध्यान दें कि कमीशन और शुल्क दो अलग-अलग शर्तें हैं। दलाल जो कमीशन लेता है वह निवेश और वित्तीय लेनदेन करने के लिए ग्राहकों के पैसे का उपयोग करने के लिए जिम्मेदार है। शुल्क-आधारित प्रणाली का पालन करने वाले व्यक्ति की उनके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं पर एक निश्चित दर होगी।
परिवार के सदस्यों के बीच होने वाले लेन-देन को कमीशन-आधारित सौदों के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए। बल्कि उन्हें इक्विटी के उपहार के रूप में माना जाता है। कुछ ब्रोकर अपने मुनाफे का अधिकांश हिस्सा ग्राहकों के लेन-देन पर कमीशन चार्ज करने से उत्पन्न करते हैं। कमीशन की दर दलाल से दलाल में भिन्न हो सकती है। ऑर्डर रद्द होने पर भी व्यक्ति कमीशन ले सकता है। कभी-कभी, ब्रोकर भरे हुए ऑर्डर पर कमीशन नहीं ले सकता है।
आयोग दर
आयोग का एक बड़ा हिस्सा काट सकता हैइन्वेस्टर'एसआय. कल्पना कीजिए कि आप एक प्रसिद्ध ऑटोमोबाइल कंपनी के 100 शेयर INR 500 प्रति शेयर की निश्चित कीमत पर खरीदते हैं। आपका ब्रोकर सौदे पर 2% का कमीशन लेता है। अब, आपको कुल निवेश राशि पर अतिरिक्त 2% के साथ INR 500,00 का भुगतान करना होगा। मान लीजिए अगले 4 महीनों में इस शेयर की राशि 10% बढ़ जाती है।
ब्रोकर इन शेयरों को इच्छुक खरीदारों को बेचने पर अतिरिक्त 2% कमीशन लेता है। आपका शुद्ध लाभ आपकी कल्पना से बहुत कम होगा। ऐसा अपने दलाल दर इसलिए है क्योंकि आपका एक बड़ा हिस्साआय आयोग में जाएगा। कुछ कंपनियां कुछ प्रकार के स्टॉक और निवेश फंड के लिए कमीशन-मुक्त ट्रेडिंग सेवाएं प्रदान करती हैं।
आयोग-आधारित भुगतान प्रणाली कैसे काम करती है?
इस युग में रोबो-सलाहकारों और ऑनलाइन दलालों की मांग तेजी से बढ़ रही है। ये सेवाएं व्यक्तिगत निवेशकों के लिए उपलब्ध हैं जो आपको इन तक पहुंच प्रदान करती हैंईटीएफ,इंडेक्स फंड्स, और स्टॉक। हालाँकि, अपने दलाल दर वे विश्वसनीय हो भी सकते हैं और नहीं भी। जबकि ऑनलाइन ब्रोकर सेवाएं उपयोगकर्ता को विभिन्न वित्तीय साधनों और शेयरों के बारे में काफी मात्रा में जानकारी और समाचार प्रदान करती हैं, वे वास्तव में कोई व्यक्तिगत सुझाव नहीं देते हैं।
वैयक्तिकृत सलाह शुरुआती और शुरुआती निवेशकों के लिए एक परम आवश्यकता है, जिन्होंने अभी-अभी शेयर में प्रवेश किया हैमंडी और व्यापारिक गतिविधियों के बारे में अनिश्चित हैं। शुरुआती गलतियाँ करने की अत्यधिक संभावना रखते हैं जबम्यूचुअल फंड में निवेश, स्टॉक,बांड, और इक्विटी। इसलिए अधिकांश निवेशक अपने निवेश को संसाधित करने के लिए कमीशन-आधारित ब्रोकरेज पसंद करते हैं।