RSI के साथ

[Ultimate Guide] Relative Strength Index Indicator in Hindi | RSI Indicator क्या है?
RSI Indicator in Hindi: क्या आप जानते है की RSI Indicator क्या है और इसे कैसे उपयोग किया जाता है? यहाँ हमने RSI Indicator की सभी महत्वपूर्ण जानकारी Hindi में आपसे शेयर की है| अगर आप स्टोक मार्केट में टेक्निकल एनालिसिस को सीखना चाहते है तो आपको यह इंडिकेटर के बारेमे अवश्य जानना चाहिए|
RSI Indicator in Hindi
शेयर मार्किट में स्टॉक के एनालिसिस के लिए कई तरह के इंडिकेटर का उपयोग होता है लेकिन उनमे से कुछ अधिक प्रचलित इंडिकेटर कुछ ही है, RSI Indicator उन्ही प्रचलितो में से एक है| यहाँ हमने आपसे RSI Indicator की सभी महत्वपूर्ण जानकारी आपसे शेयर की है जैसे की RSI Indicator क्या है?, उसका FullForm क्या है?, RSI की गणना के पीछे का Maths Formula क्या है और उसकी गणना कैसे की जाती है?, RSI की मदद से हम क्या जान सकते है?, RSI का विश्लेषण कैसे किया जाता है?, RSI में Divergences क्या है?, RSI की क्या क्या मर्यादाओ है? इत्यादि
What is RSI Indicator in Hindi?
RSI Indicator का full form Relative Strength Index Indicator होता है जिसे हिंदी में “सापेक्ष शक्ति सूचकांक संकेतक” कहा जाता है| हिंदी अर्थ से ही उसकी परिभाषा समजमे आ जाती है की यह सापेक्ष शक्ति(Relative Strength) को सूचित करता है| टेक्निकल एनालिसिस में उपयोग होने वाला यह मोमेंटम इंडिकेटर है| RSI Indicator सबसे पहले जे वेल्स वाइल्डर जूनियर द्वारा विकसित किया गया था और उनकी सेमिनल 1978 की पुस्तक, “न्यू कॉन्सेप्ट्स” में पेश किया गया था।
इस इंडिकेटर के माध्यम से हम कोई भी स्टॉक या एसेट्स की कीमत में ओवरबॉट या ओवरसोल्ड स्थितियों का मूल्यांकन हाल के मूल्यों में हुए परिवर्तन पर मापता है| यह एक ग्राफ की तरह दर्शाया जाता है जिसमे ऊपर निचे एक एक लाइन होती है और बिच में एक ग्राफ की रचा चलती है| ऊपर की लाइन ओवरबॉट और निचे की लाइन ओवरसोल्ड की स्थिति को दर्शाते है|
What is Formula and Calculation of RSI Indicator in Hindi?
RSI Indicator के बारे माँ जानने के बाद अब हम उसके गाणितिक सूत्र और गणना के बारे में आपको जाणारी देते है|
आरएसआई की गणना दो हिस्सों में की जाती है| निचे हमने आपसे दोनों हिस्सों में कैसे RSI की गणना होती है उसकी जानकारी दी है|
Step one: इस स्टेप की गणना में एवरेज लाभ और एवरेज हानि का उपयोग होता है| एवरेज हानि के किस्से में मूल्य को पॉजिटिव ही लिया जाता है| इसमे स्टैण्डर्ड गणना के लिए पिछली 14 अवधि को लिया जाता है|
Step Two: एक बार पिछली 14 अवधि की गणना हो जाती है तब दुसरे सूत्र की मदद से RSI की कैलकुलेशन होती है| यहाँ निचे हमने दुसरे स्टेप का RSI Formula आपसे शेयर किया है|
ऊपर हमने आपसे RSI Indicator की कैलकुलेशन कैसे होती है और उसके फार्मूला क्या है उसकी जानकारी दी है| आपको अगर यह समज में न आये तब भी कोई चिंता का विषय नहीं है क्योंकि आपको किसी भी सॉफ्टवेर या ट्रेडिंग प्लेटफार्म में RSI Indicator Graph free में दिया होता है|
RSI की मदद से हम क्या जान सकते है?
किसी भी टूल की मदद से एनालिसिस करने से पहले हमें उस टूल के बारे में सभी जानकारी होना आवश्यक है| RSI Indicator के माध्यम से हम कोई भी एसेट्स या स्टॉक में ओवरबॉट या ओवरसोल्ड स्थितियों को जान सकते है| सामान्य रूप से RSI का graph 70 से अधीक हो तब ओवरबॉट और RSI का graph 30 से कम हो तब ओवरसोल्ड स्थिति को माना जाता है| अधिक समजने के लिए निचे के चार्ट की सहायता ले|
RSI और RSI Range का विश्लेषण कैसे किया जाता है?
RSI और RSI Range का विश्लेषण करने के लिए ओवरबॉट या ओवरसोल्ड स्थितियों को जानना आवश्यक है| अगर आपको अभी भी उस विषय में कुछ प्रश्न है तो उसे फिरसे पढ़े, क्योंकि ओवरबॉट या ओवरसोल्ड को जाने के बिना RSI और RSI Range का विश्लेषण नहीं हो सकता|
आरएसआइ इंडिकेटर में सामान्य तौर पर 30 की लाइन को ओवरसोल्ड और 70 की लाइन को ओवरबॉट के रूप में देखा जाता है| जब भी RSI का ग्राफ निचे से 30 की लाइन को पार करके ऊपर आता है तब यह स्टॉक या एसेट्स में तेजी के संकेत देता है| वेसे ही जब RSI का ग्राफ 70 की लाइन को ऊपर से निचे की तरफ क्रॉस करता है तब स्टॉक या एसेट्स में मंदी के संकेत मिलते है|
जब भी स्टॉक या एसेट्स कोई ट्रेंड में रहता है तब वह 30 से 70 के बिच में रहेगा| जब वह अपट्रेंड में 70 को टच करता है या 70 के ऊपर निकालता है तब यह बहुत संभावना है की एक करेक्शन या पुलबेक आ सकता है| वेसे ही जब स्टॉक डाउनट्रेंड में निचे की और 30 की लाइन को टच करता है तब ओवरसोल्ड की स्थिति बनती है अथावा तो स्टॉक की प्राइस अंडरवैल्यू मानी जाती है| इसी लिए बहुत संभावना है की स्टॉक एक पुल बेक ले सकता है या अपना ट्रेंड बदल सकता है|
What is Divergences in RSI Indicator in Hindi?
अगर आप ने पहले इस इंडिकेटर को देखा हो और उसका एनालिसिस किया हो तब कभी कभी आपको चार्ट में पैटर्न और ट्रेंड तथा RSI के ग्राफ में भिन्नता देखने को मिलती है| अर्थात जब स्टॉक का ट्रेंड ऊपर हो तब भी ग्राफ निचे की और दिखता है, उसे RSI Divergences कहते है| मुख्यत्वे 2 प्रकार के Divergences होते है|
- Bullish Divergence
- Bearish Divergence
Bullish Divergence
बुलिश डाइवर्जेंस को समजने के लिए पहले निचे दिए गए ग्राफ को देखे| यहाँ चार्ट में आप आसानी से देख सकते है की चार्ट में ट्रेंड डाउन साइड का दिख रहा है और पिछले दो लो लोअर लो बने है लेकिन RSI Graph में उससे विपरीत है| उसी अवधि में RSI ग्राफ ऊपर की और है| इससे यह जब भी बनता है स्टॉक या एसेट्स का ऊपर की और भागना संभव बनता है|
Bearish Divergence
यह बुलिश डाइवर्जेंस से विपरीत होता है| इस तरह की पैटर्न में जब भी स्टोक हायर हाई बनता हो और उसी दरमियान RSI Graph लोअर हाई बनाता है तब Bearish Divergence बनता है| Bearish Divergence बनाने के बाद स्टॉक की निचे की और भागने की संभावना बढ़ जाती है| आसानी से समजने के लिए निचे दिया गया चार्ट देखे|
Limitation of RSI Indicator in Hindi?
दुसरे इंडिकेटर के मुकाबले यह इंडिकेटर अच्छा है लेकिन फिर भी इसकी कुछ लिमिटेशन है| रिवर्सल सिग्नल को देखना काफी मुश्किल है और बहित बार इसमे फेक सिगनल भी मिल सकते है| यह कम समय की अवधि के बजाय लम्बें समय की अवधि में अच्छा कार्य देता है| कम समय में RSI ka ओवरबोट और ओवरसोल्ड का कांसेप्ट फेक सिग्नल अधिक देता है|
Summary
यहाँ हमने आपसे RSI Indicator in Hindi की जानकारी आपसे शेयर की है जिसमे RSI Indicator क्या है?, RSI Indicator की गणना कैसे की जाती है और उसके गाणिति सूत्र क्या है?, RSI मे Divergence क्या है और इसे कैसे चार्ट में देखते है साथ ही चार्ट में RSI Indicator का कैसे विश्लेषण करते है जैसी महत्वपूर्ण जानकारी दी है| अगर आपको यहाँ दिए गए किसी भी लेख से प्रश्न है तो आप निचे दिए गए कमेंट बॉक्स में हमें पूछ सकते है|
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rsi indicator in hindi – RSI से पता करे स्टॉक उपर जायेगा या निचे।
नमस्ते दोस्तों। आज हम समझने वाले है की rsi indicator in hindi में क्या होता है। और इसका ट्रेडिंग में का महत्त्व है। क्या हम rsi इंडिकेटर का इस्तेमाल करके ट्रेडिंग में अच्छे खासे पैसे कमा सकते है। और आखिर rsi इंडिकेटर का इस्तेमाल करते कैसे है। इन सब के बारे में हम आज विस्तार में जानने वाले है।
rsi indicator एक leading indicator है। जो की स्टॉक के ट्रेंड चेंज होने के पहले ही सिग्नल दे देता है। की स्टॉक ऊपर जानेवाला है या फिर निचे। इसीलिए इसे लीडिंग इंडिकेटर भी बोलते है। अगर आपको leading indicators के बारे में नहीं पता तो आप हमारी पिछली पोस्ट पढ़ सकते है। उसमे हमने leading indicators के बारे में विस्तार में बताया है।
rsi indicator in hindi / rsi indicator kya hota hai
rsi का full फॉर्म होता है relative strength index .यानि की ये इंडिकेटर स्टॉक की strength यानि की ताकद बताता है। की स्टॉक ऊपर जा सकता है की निचे। अगर interday trading में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला इंडिकेटर हे तो वो rsi indicator है।
rsi indicator स्टॉक्स के चार्ट में होने वाले मोमेंटम का ट्रेंड को दर्शाता है। और इसे oscillator भी कहा जाता है। क्युकी ये इंडिकेटर ० ते १०० के बिच में घूमता रहता है। और स्टॉक overbought हे या फिर oversold है। ये दर्शाने का काम rsi indicator करता है।
स्टॉक में उसके टाइम फ्रेम के हिसाब से मार्केट में strength हे या weakness है। ये rsi indicator दर्शाता है। उसेही rsi indicator कहा जाता है ,अभी हमने जाना की rsi indicator क्या होता है (rsi indicator in hindi).अभी हम जानेंगे की rsi indicator काम कैसे करता है।
rsi indicator कैसे काम करता है
rsi indicator ० ते १०० के बिच में ट्रेंड दिखने के कारन ये कभी ० के निचे और १०० के ऊपर नही जाता। इसके में तीन स्तर होते है। जैसे की ३०,५०,और ७० ये इसके महत्वपूर्ण स्तर है। इनका मतलब होता है की। अगर rsi अगर ५० से १०० के बिच है मतलब स्टॉक का मोमेंटम अभी पॉजिटिव यानि की बुलिश है। और अगर rsi का स्तर ० से लेकर ५० के बिच होता है तो इसका मतलब स्टॉक का मोमेंटम नेगेटिव यानि की बेयरिश है।
rsi indicaor १४ दिनों का average निकाल के आपको स्टॉक की strength बताता है। हलाकि हम उसका average चेंज भी कर सकते है। जाइए की हम 20 दिनों का भी average निकल सकते है। या आप अपने हिसाब से इसका average निकल सकते है। लेकिन डिफ़ॉल्ट १४ दिनों का average निकलने ये सही होता है। ये इंडिकेटर ज्यादातर technical analysis में इस्तेमाल किया जाता है।
अगर rsi ५० के ऊपर जा रहा है इसका मतलब शेयर में तेजी आने की संभवना होती है। या स्टॉक की प्राइज भी ऊपर जाने लगाती है। लेकिन अगर rsi ५०के निचे अपना ट्रेंड बना रहा होता है ,यानि की शेयर में बिकवाली होना शुरू हुआ है ,यानि स्टॉक निचे जाने की संभावना होती है।
RSI indicator के फायदे
ये एक मोमेंटम indicator होने के कारन ये आपको स्टॉक के चार्ट का मोमेंटम बताता है। और अगर मार्केटover bought (औसत से ज्यादा खरीद ) हे तो ये आपको outbought का सिग्नल पहले ही दे देता है। इससे आप पहल की स्टॉक का रिवर्सल पता करके के स्टॉक में short selling भी कर सकते है। आपको अच्छ मुनाफा कमाने का मौका ये इंडिकेटर देता है।
और अगर मार्केट over sold यानि की औसत से ज्यादा बिकवाली स्टॉक में है तो ये इंडिकेटर आपको over sold का सिग्नल पहले ही दे देता है। और ऐसा मन जाता है की स्टॉक जब भी over bought होता है। या फिर over sold होता है। तो मार्केट में रिवर्सल जरूर आता है। तो इसी रिवर्सल को पहलेही पहनके आप इसमें अच्छा मुनाफा काम सकते है।
निष्कर्ष
rsi indicator एक ऐसा इंडिकेटर हे जो आपको मार्किट की ताकत बुलिश है या फिर बेयरिश है ये दर्शाता है। फिर उसके हिसाब से आप अपना ट्रेड ले सकते है। लेकिन इसे समझने के लिए आपको इसे candle stick chart पर लगाना जरुरी है। उससे ही आपको इसका अंदाजा हो जायेगा की ये काम कैसे करता है।
ऐसा नहीं हे की rsi indicator हमेशा ही आपको सही सिग्नल दिखायेगा। आपको सिर्फ एक ही इंडिकेटर पर डिपेंड नहीं रहना आपको rsi indicatorके साथ साथ prize action और candle stick chart pattern ,ये भी देखना होता है।
टिप ; किसीभी इंडीकेटर्स को समझने के लिए आपको उन्हें अच्छे से समझना होगा। और ये मुमकिन हे आपके अनुभव से। कोई भी इंडीकेटर्स एक्यूरेट सिग्नल नहीं दिखता। ये आपको आपके अनुभव से पता चलेगा की कोनसा इंडीकेटर्स किस तरीके से काम करता है।
आज हमने क्या सीखा
आज हमने सीखा की rsi indicator in hindi में क्या होता है। rsi indicator कैसे काम करता है। RSI के साथ rsi indicator in hindi के फायदे क्या है। इन सब के बारे में हमने आज जाना। और rsi indicator का सही से इस्तेमाल हम ट्रेडिंग में करेंगे।
यकीं है की आपको rsi indicator in hindi में क्या होता है। समझ आगया होगा। और साथ ही आपके ये हमरा आर्टिकल काफी फायदेमंद भी साबित RSI के साथ रहा होगा। और अगर आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आये तो कृपया इसे अपने फॅमिली और दोस्तों के साथ जरूर शेयर कीजियेगा।
और अगर आपको ऐसेही शेयर बाजार के विषय में कोई जानकारी चाहिए हो तो आप हमें कमेंट बोस में क्यूमेंट करके पूछ सकते है। और अगर आपको इस आर्टिकल के सम्भंधि कोई भी सवाल हो तो आप हमें कमेंट में भेज सकते है। हम जरूर आपको सावल का जवाब देने की कोशिश करेंगे। धन्यवाद !
१. इंडिकेटर क्या है?
इंडिकेटर का मतलब होता है शेयर मार्किट के चार्ट पर लगाया जाने वाला एक सिग्नल होता है। जैसे की RSI (rsi indicator in hindi)RSI के साथ ये किसी भी स्टॉक के चार्ट पर लगा कर आप उसके ट्रेंड का पता कर सकते है। उसेही इंडिकेटर कहा जाता है।
२. शेयर मार्केट में आर एस आई क्या होता है?
RSI (rsi indicator in hindi)ये एक शेयर मार्किट का लीडिंग इंडिकेटर होता है। इससे आप किसी भी स्टॉक का ट्रेंड पता कर सकते है। और आप इस इंडिकेटर की सहायता से ट्रेडिंग कर सकते है। जो आप स्टॉक में आ रही गिरावट या तेजी के बारे में पूर्व सूचना देता है।
३.RSI सूचक का उपयोग कैसे करे ?
RSI (rsi indicator in hindi) इंडिकेटर में अगर rsi ३० के निचे हे इसका मतलब मार्किट में मंडी कहल रही है ऐसा होता है।और अगर rsi ७० के ऊपर कहल रहा होता है तो मार्किट में तेजी चल रही है ऐसा कहा जाता है। और अगर rsi ५० चला रहा है तो मार्किट sideways चला रहा होता है।
Connors RSI Trading Strategy For MT4
Please note: This strategy was publicly published in the trading community and is free to use. We do NOT make an attempt to decide if this strategy is profitable or not, because we know that the major factors regarding trading results are the skills/experience of the trader who executes the strategy. Therefore, we are mainly explaining the components and rules of the strategy. If applicable, we are highlighting advantages, disadvantages and possible improvements of the strategy.
Connors RSI Trading Strategy For MT4 एक उन्नत ट्रेडिंग तकनीक है जो ज्यादातर अनुभवी निवेशकों द्वारा पसंद की जाती है। हालांकि, इस प्रणाली को एक सरल टेम्पलेट में सरल बनाया RSI के साथ गया है और उपयुक्त ट्रेडों को खोजने के लिए हमें अब संकेतक को मैन्युअल रूप से समायोजित करने की आवश्यकता नहीं है।
टेम्पलेट बनाने के लिए ACBB की अवधि 20 विचलन 2.5, RSI कनेक्टर और 12 अवधि के साथ चलती औसत का उपयोग किया जाता है। आप में से कुछ एसीबीबी संकेतक के साथ जुड़े हो सकते हैं क्योंकि संकेतक बोलिंगर बैंड को बारीकी से दर्शाते हैं। हालांकि, इसका कार्य सिद्धांत अधिक उन्नत है और आप ध्यान देंगे कि बैंड का अचानक चौड़ा होना अब मौजूद नहीं है।
यह प्रणाली विदेशी मुद्रा, सूचकांक, वस्तुओं और ETF बाजार का व्यापार करने की आदी है। लेकिन व्यापारियों को सावधानीपूर्वक ट्रेडिंग घंटे का चयन करना होगा क्योंकि इस पद्धति की सफलता दर सत्र पर बहुत निर्भर करती है। संपत्ति के आधार पर संपत्ति या बाजार का चयन किया जाना चाहिए। मान लीजिए, आपने GBPUSD जोड़ी का व्यापार करना चुना। इसलिए, इसे लंदन या NY सत्र के दौरान कारोबार किया जाना चाहिए ताकि बाजार की अस्थिरता पर्याप्त हो।
स्टॉप लॉस के बारे में, हमारे पास नुकसान को सीमित करने के लिए कई तरीके हैं। लेकिन सामान्य सूत्र प्रति घंटा चार्ट के लिए 25 पिप्स SL और दैनिक चार्ट के लिए 35 पिप्स SL रखने का है। हालांकि, यह नियम बदमाशों के लिए है, हम व्यापार प्रबंधन क्षेत्रों में स्टॉप को कसने के लिए सिखाएंगे। और जिस स्तर पर आप व्यापार कर रहे हैं, उसके आधार पर टीपी का स्तर अलग-अलग होगा। अभी के लिए, आइए देखें कि लंबे और छोटे सेटअप प्राप्त करने के लिए इस पद्धति का उपयोग कैसे किया जा सकता है।
लंबा व्यापार सेटअप
हमारे लंबे व्यापार के लिए, हम एक बहुत ही सरल विधि का उपयोग करेंगे। हम अपट्रेंड का निर्धारण करेंगे और एसीबीबी संकेतक समर्थन की अस्वीकृति की तलाश करेंगे। ACBB संकेतक समर्थन परिसंपत्ति को गतिशील खरीद दबाव देता है। यदि समर्थन स्तर मजबूत है, तो हमें पहले प्रयास में समर्थन बैंड के ऊपर पट्टी को बंद करना चाहिए।
उत्तर की ओर इशारा करते हुए एक छोटा नीला तीर हमें संकेत देगा कि बैल तैयार हैं। कॉनर आरएसआई में, हमें सिग्नल लाइन में एक स्थिर लाभ देखना चाहिए जो हमारे व्यापारिक विचार को मजबूत करेगा। जैसा कि सिस्टम सत्र पर बहुत निर्भर करता है, व्यापारी अक्सर इस महत्वपूर्ण तथ्य की अनदेखी करते हैं कि सिस्टम ट्रेडिंग सत्र से संबंधित है। यदि आप ट्रेडिंग सत्र से संबंधित परेशानी को नजरअंदाज करना चाहते हैं, तो आपको इस प्रणाली के साथ चयन करना चाहिए।
स्केलपर्स के लिए, लाभ 15 पिप्स है और एसएल केवल 8 पिप्स है। लेकिन इस विधि के लिए, आपको प्रमुख समाचार से बचना चाहिए। परिसंपत्ति का औसत पिप्स आंदोलन एक घंटे में 30 पिप्स से कम होना चाहिए। यदि यह 30 पिप्स से अधिक है, तो स्केलिंग एक महान विचार नहीं होगा।
हालांकि स्केलिंग विधि लंबे और छोटे व्यापार को लेने के लिए एक शक्तिशाली तरीका प्रदान कर सकती है लेकिन व्यापारियों को केवल प्रति घंटा चार्ट में व्यापार करने के लिए परामर्श दिया जाता है जब तक कि वे बहुत तंग स्टॉप लॉस के साथ ट्रेडों को लेने का अनुभव नहीं करते हैं। अनुशंसित समय सीमा 1-घंटे का चार्ट है क्योंकि व्यापार निष्पादन के लिए स्थिर डेटा देता है।
लघु व्यापार सेटअप
हमारे लघु व्यापार के लिए, हम उन्नत तकनीक के साथ जाएंगे। इसका मतलब है कि हम प्रवृत्ति का विश्लेषण नहीं करेंगे बल्कि हम उलट-पुलट करना सीखेंगे। परिसंपत्ति की कीमत उच्च रैली करेगी और प्रमुख प्रतिरोध करेगी। क्षैतिज रेखा का उपयोग करके प्रतिरोध स्तर निर्धारित किया जाना चाहिए। ज्यादातर मामलों में, प्रतिरोध क्षेत्र ACBB संकेतक के साथ मेल खाएगा।
ACBB इंडिकेटर एक प्रीमियम SR लेवल डिटेक्टर है। लंबे व्यापार के विपरीत, हम प्रतिरोध स्तर पर एक अच्छा समेकन देखेंगे। समेकन हमें बताता है कि खरीदार अब कीमत को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए तैयार नहीं हैं। समेकन होने के बाद, अतिव्यापी सत्र में ब्रेकआउट की उम्मीद की जाती है।
जब आपने व्यापार को उलट-पुलट करने के लिए चुना है, तो आपके पास स्कैल्पिंग विधि के साथ संपत्ति को कम करने का विकल्प नहीं है। समेकन क्षेत्र में लाल तीर के बनने की प्रतीक्षा करें। कॉनर आरएसआई रीडिंग संकेतक पैनल के शीर्ष पर होना चाहिए जो संपत्ति को ओवरबॉट में रखता है। एक मानक 25 पिप्स SL के साथ अपनी संपत्ति को कम करें।
कभी-कभी 25 पिप्स एसएल समेकन क्षेत्र को कवर नहीं कर सकता है और हमें एक निश्चित सीमा तक एक स्थिर रिट्रेसमेंट का इंतजार करना होगा। ऐसे मूल्य स्तर पर लंबित विक्रय आदेश को सेट करें ताकि स्टॉप लॉस 25 पिप्स से अधिक न हो।
लंबित विक्रय आदेश का इस तरह का उपयोग बहुत आम है जब ट्रेडों को प्रवृत्ति के खिलाफ लिया जाता है। लेकिन SL के बारे में सावधान रहें क्योंकि नौसिखिए व्यापारी अक्सर उपयुक्त स्थिति पर SL सेट करना भूल जाते हैं।
ट्रेडों का प्रबंधन
यह इस गाइड का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। व्यापार निष्पादन मॉडल कहीं भी जटिल नहीं है, लेकिन व्यापार प्रबंधन है। हमने रेंज के बड़े होने पर पहले ही लघु व्यापार में SL को प्रबंधित करने के लिए छोटे सुझाव दिए हैं। निवेशकों को कीमत की गतिशीलता के बारे में जानना होगा और जब परिसंपत्ति उच्च अस्थिरता का सामना कर रही हो तो उन्हें कोई व्यापार नहीं करना चाहिए।
विषम बाजार को निर्धारित करने का सबसे आसान तरीका प्रमुख समाचारों की सीमा है। यदि आपने समाचार का व्यापार करना चुना है, तो सिस्टम अब काम करने वाला नहीं है। आपको एसएल को 50 पिप्स तक बढ़ाना होगा RSI के साथ RSI के साथ और लाभ को 150+ पिप्स तक ले जाना होगा। व्यापारियों को केवल प्रवृत्ति के पक्ष में लिया जाना चाहिए। लेकिन व्यापक स्टॉप लॉस उस स्थिति व्यापारी के लिए है जिसे बाजार के उतार-चढ़ाव से निपटने का अनुभव है।
सिस्टम को सरल रखने के लिए, आपको मानक एसएल के रूप में 25 पिप्स का उपयोग करना चाहिए और टेक प्रॉफिट 70 पिप्स होगा। कुछ मामलों में, आप एसीबीबी बैंड को लाभ-लाभ क्षेत्र के रूप में उपयोग कर सकते हैं। लेकिन सुनिश्चित करें कि आप प्रवृत्ति के साथ व्यापार कर रहे हैं। जब आप बड़े स्टॉप लॉस के साथ व्यापार करने का इरादा रखते हैं, तो उच्च समय सीमा डेटा को आपके पसंदीदा विश्लेषणात्मक क्षेत्र चाहिए।
और जोखिम जोखिम के लिए, इसे 1% से कम होना चाहिए ताकि आप अधिक ट्रेड खोल सकें। लेकिन अगर आपने इंट्राडे ट्रेडर के रूप में व्यापार करना चुना है, तो आप प्रत्येक व्यापार में 2% जोखिम पसंद कर सकते हैं और घाटे को ठीक करते समय यह एक मुद्दा होना चाहिए।
स्टोकैस्टिक आरएसआई का उपयोग करते हुए मोमेन्टम ट्रेडिंग
यह इंडिकेटर अपनी वैल्यू तक पहुँचने के लिए आरएसआई वैल्यू पर स्टोक़ैस्टिक ओसिलेटर फोर्मूला लगाता है, यह गणना खुद प्राइज़ की जगह प्राइज़ के इंडिकेटर पर आधारित है, इसे प्राइज़ का दूसरा डेरिवेटिव या इंडिकेटर का इंडिकेटर कहा जाता है। इसका अर्थ यह है कि स्टोक आरएसआई बनने के लिए प्राइज़ दो बदलावों से गुज़री है। प्राइज़ को आरएसआई में कन्वर्ट करना एक बदलाव है। आरएसआई को स्टोक़ैस्टिक ओसिलेटर में बदलना दूसरा बदलाव है।
परिणामित इंडिकेटर आरएसआई की तरह ही 0 और 100 के बीच झूलती है। पहले वैल्यू 0 और 1 के बीच थी लेकिन अधिकतर आधुनिक तक्निकी विश्लेषण इसे स्पष्टीकरण की सुविधा के लिए इसे 0 और 100 में कन्वर्ट करते हैं।
यह इंडिकेटर तुषार चंदे और स्टेनली क्रॉल ने बनाया था और 1994 में इसे अपनी पुस्तक “द न्यू टेक्निकल ट्रेडर” में इसका परिचय दिया। चंदे और क्रॉल ने समझाया RSI के साथ कि बिना छोर तक पहुंचे, आरएसआई की लंबे समय तक 80 और 20 के बीच झूलने की प्रकृति होती है।इसीलिए आरएसआई में ओवर बॉट और ओवर सोल्ड आरएसआई रीडिंग के आधार पर किसी स्टॉक में प्रवेश करने की इच्छा रखनेवाले ट्रेडर्स बिना किसी ट्रेड सिग्नल के खुद को साइड लाइंस में पा सकते हैं। दूसरी तरफ स्टोक आरएसआई, आरएसआई की संवेदनशीलता बढ़ा कर अधिक ओवर बॉट/ओवर सोल्ड सिगनल्स उत्पन्न करता है।
स्टोकैस्टिक आर.एस.आई. के चार परिवर्ती कारक हैं :-
1. आर.एस.आई. अवधि : स्टोकैस्टिक गणना में उपयोग की जाने वाली आर.एस.आई. अवधियों की संख्या। (डिफ़ॉल्ट : 14)
2. स्टोकैस्टिक अवधि : यह स्टोकैस्टिक गणना में उपयोग किए जाने वाले समय की संख्या है। (डिफ़ॉल्ट : 14)
3. %K अवधि : यह मान एक सरल गतिशील औसत के साथ स्टोकैस्टिक अवधि को निर्बाध बनाता है। एक (1) का मान स्टोकैस्टिक अवधि को बनाए रखता है। (डिफ़ॉल्ट : 3)
4. %D अवधि : %K का एक गतिशील औसत (डिफ़ॉल्ट : 3)
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इंटरप्रिटेशन
स्टोक आरएसआई में अधिकतर बाउंड मोमेंटम ऑसिलेटर के गुण होते हैं।
पहला, इसका उपयोग ओवर बॉट और ओवर सोल्ड स्थितियों की पहचान करने में होता है। 80 से ऊपर की चाल को ओवर बॉट माना जाता है और 20 से नीचे की चाल को ओवर सोल्ड। जब बड़ा ट्रेंड ऊपर हो तब ओवर सोल्ड स्थिति को देखना महत्वपूर्ण होता है है और जब बड़ा ट्रेंड नीचे हो तो ओवर सोल्ड स्थिति को देखना। दूसरे शब्दों में, बड़े ट्रेंड की दिशा में ट्रेंड्स देखें क्योंकि, स्टोक़ैस्टिक आरएसआई एक शॉर्ट टर्म इंडिकेटर है।
दूसरा, इसका उपयोग शॉर्ट टर्म ट्रेंड्स की पहचान करने के लिए किया जाता है। एक बाउंड ओसिलेटर के रूप मे मध्य रेखा 50 पर है। स्टोक आरएसआई जब लगातार 50 से ऊपर होता है तो अप ट्रेंड दर्शाता है और जब लगातार 50 से नीचे होता है तो डाउन ट्रेंड।
ट्रेंड्स और रिवर्सल्स का सिग्नल देनेवाले एक प्रमुख इंडिकेटर के रूप में आप इस ओसिलेटर के साथ क़ॉन्वर्जेंसेस और डाइवर्जेंसेस भी देख सकते हैं।
केस स्टडी
कोई भी रिलायंस के डेली चार्ट का अध्ययन यह देखने के लिए कर सकता है कि कैसे बढ़िया ट्रेडिंग के अवसर देने के बाद यह स्टोक़ैस्टिक ओसिलेटर कैसे ओवर बॉट और ओवर सोल्ड स्थितियों से बचाता है।
कंक्लूजन
स्टोक आरएसआई स्टीरॉइड्स पर आरएसआई की तरह है। आरएसआई अपेक्षाकृत कम सिग्नल उत्पन्न करता है और स्टोक आरएसआई नाटकीय रूप से सिगनल्स की संख्या बढ़ाता है। यहाँ ज़्यादा ओवर बॉट/ओवर सोल्ड रीडिंग्स, ज़्यादा मध्य रेखा कटाव,ज़्यादा अच्छे सिग्नल और ज़्यादा बुरे सिगनल्स होंगे। स्पीड की कीमत होती है। इसका मतलब यह है कि पुष्टि के लिए तकनीकी विश्लेषण के अन्य पहलुओं के साथ स्टोक आरएसआई का उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
ऊपर दिए गए उदाहरण गैप, सपोर्ट/रेजिस्टेंस ब्रेकेएस और प्राइज़ पैटर्न का उपयोग करके स्टोक आरएसआई सिगनल्स की पुष्टि करते हैं। चार्टिस्ट ऑन बैलेंस वॉल्यूम (ओबीवी) या अक्युमुलेशन डिस्ट्रीब्यूशन लाइन जैसेपूरक इंडिकेटर्स का भी उपयोग कर सकते हैं। ये वॉल्यूम- आधारित इंडिकेटर्स, मोमेंटम ऑसिलेटर्स के साथ ओवरलैप नहीं होते हैं। चार्टिस्ट को विभिन्न सेटिंग्स के साथ प्रयोग करना चाहिए और वास्तविक दुनिया में उपयोग करने से पहले स्टोक आरएसआई की बारीकियों को सीखना चाहिए।
Note: This article is for educational purposes only. Kindly learn from it and build your knowledge. We do not advice or provide tips. We highly recommend to always trade using stop loss.
Arshad Fahoum
Arshad is an Options and Technical Strategy trader and is currently working with Market Pulse as a Product strategist. He is authoring this blog to help traders learn to earn.
RSI क्या है,
4. RSI से OVER BOUGHT का पता चलता है, और ऐसा माना जाता है कि OVER BOUGHT के बाद ट्रेंड में REVERSAL आ सकता है, और इसलिए OVER BOUGHT की सिचुएशन के बाद मार्केट में TREND बदलने से स्टॉक BEARISH हो सकता है, और इसलिए ट्रेडर ऐसी सिचुएशन में SHORT SELLING के मौके की तलाश करता है,
5. RSI से OVER SOLD का पता चलता है, और ऐसा माना जाता है कि OVER SOLD के बाद ट्रेंड में REVERSAL आ सकता है, और इसलिए OVER SOLD की सिचुएशन के बाद मार्केट में TREND बदलने से स्टॉक BULLISH हो सकता है, और इसलिए ट्रेडर ऐसी सिचुएशन में अपनी पोजीशन को LONG रखना चाहिए,
RSI को कैसे कैलकुलेट किया जाता है ?
RSI को कैलकुलेट करने का फार्मूला है
RSI Calculation formula Hindi
ऊपर दिए गए फोर्मुले में Average Gain और Average Loss को निकालने का नियम इस प्रकार है –
Average Gain : जितने दिन का RSI निकालना है, उसमे पिछले दिन के बाद, स्टॉक के भाव में ऊपर की तरफ होने वाला बदलाव का औसत
Average Profit: जितने दिन का RSI निकालना है, उसमे पिछले दिन के बाद, स्टॉक का जितने दिन कम हुआ, तो कम हुए भाव के पॉइंट्स का औसत,
जैसे – अगर किसी स्टॉक का भाव 85 है, और अगले 14 दिन का भाव कुछ इस प्रकार है तो हम मैन्युअली RSI निकाल कर देखते है –
RS CALCULATION SHEET
इस तरह Average Gain = 29/14=2.07
और Average Loss= 10/4 =0.714
इस तरह RS = 2.07/0.714 =2.8991
इसलिए अब RSI = 100- 100/100+2.8991
= 74.3531 RSI के साथ
RSI का AUTOMATIC कैलकुलेशन
RSI को हम टेक्निकल एनालिसिस के सॉफ्टवेयर की हेल्प से दो सेकंड में कैलकुलेशन कर सकते है,
सिर्फ हमें RSI (INDICATOR TOOL) को सेलेक्ट करना है, और INPUT में सॉफ्टवेयर को दिनों की संख्या के बारे में बताना है, कि हम कितने दिन का RSI निकालना चाहते है,
जैसे- अगर 14 दिन का RSI निकलना चाहते है तो हमें 14 इनपुट करना है,
और सॉफ्टवेयर तुरंत चार्ट पर एक RSI इंडिकेटर की लाइन खीच देगा, जो 0 से 100 के बीच कुछ भी हो सकता है,
RELATIVE STRENGTH INDEX (RSI) के नियम और इसका इस्तेमाल
1. RSI एक 0 से 100 के बीच BAND में घूमता है, RSI न तो 0 से नीचे जा सकता है और न ही 100 से ऊपर,
2. जब RSI 70 से उपर जाता है, तो ये हमें OVERBOUGHT के बारे में बताता है, और स्टॉक में STRONG POSITIVE MOMENTUM के टॉप का पता चलता है, जहा से आगे CORRECTION या मार्केट नीचे आने की संम्भावना की जा सकती है,
और ये हो सकता है कि जब CORRECTION तो भाव नीचे आएगा और ऐसे में कुछ ट्रेडर SHORT SELLING या अपनी पोजीशन को SQUARE OFF करने का सोच सकते है,
3. जब RSI 30 से नीचे जाता है, तो ये हमें OVERSOLD के बारे में बताता है, और स्टॉक में STRONG NEGATIVE MOMENTUM के टॉप का पता चलता है, जहा से आगे CORRECTION या मार्केट के ऊपर की संम्भावना की जा सकती है,
ऐसी सिचुएशन में कुछ ट्रेडर खरीददारी का मौका तलाश कर सकते है, और अपनी पोजीशन को लॉन्ग बनाने की कोशिश कर सकते है,
RELATIVE STRENGTH INDEX (RSI) नियम के अपवाद और सावधानिया
1. अगर कोइ स्टॉक बहुत समय से UPTREND में है, तो चार्ट पर उसका RSI भी 70 से ऊपर हो सकता है, और ऐसे में ये जरुरी नहीं कि तुरंत कोई करेक्शन आने वाला है,
क्योकि RSI 100 से ऊपर नहीं जाता है, और स्टॉक जब तक UP TREND में तब तक RSI 70 या उस से ऊपर ही बताएगा,
और ऐसे में अगर आपने स्टॉक में अपनी पोजीशन बनाई हुई है, तो जब तक कोई ट्रेंड् REVERSAL नहीं आता, तब तक सिर्फ RSI के आधार पर मार्केट के करेक्शन की RSI के साथ संभवना सही नहीं मानी जाएगी,
2. इसी तरह, अगर कोइ स्टॉक बहुत समय से DOWN TREND में है, तो चार्ट पर उसका RSI भी 30 के आस पास या उस नीचे हो सकता है, और ऐसे में ये जरुरी नहीं कि तुरंत कोई करेक्शन आने वाला है, क्योकि हो सकता है स्टॉक में लम्बे समय का डाउन ट्रेंड बना रहने वाला हो,
ध्यान देने वाली बात है कि क्योकि RSI 0 से नीचे नहीं जाता है, और इसलिए स्टॉक जब तक DOWN TREND में तब तक RSI 30 या उस से नीचे ही बताएगा,
और ऐसे में अगर आपने स्टॉक में अपनी पोजीशन को लेकर सावधान रहना चाहिए, और ट्रेंड के खिलाफ RSI के भरोसे किसी तरह का ट्रेड नहीं लेना चाहिए,
3. अगर एक लम्बे समय के बाद RSI 0 से 30 से ऊपर जाने लगे यानी OVERSOLD से बाहर निकलने के संकेत मिले तो ये एक ट्रेंड रेवेर्सल सूचक हो सकता है और RSI के साथ ऐसे में कुछ अन्य टूल्स की मदद से कन्फर्मेशन लेते हुए अपनी लॉन्ग पोजीशन बना सकते है,
4. और इस तरह अगर एक लम्बे समय के बाद RSI 70 से नीचे जाने लगे यानी OVERBOUGHT से बाहर निकलने के संकेत मिले तो ये एक ट्रेंड रेवेर्सल सूचक हो सकता है और ऐसे में कुछ अन्य टूल्स की मदद से कन्फर्मेशन लेते हुए अपनी पोजीशन को क्लोज कर सकते है या short selling कर मौका बना सकते है,
RELATIVE STRENGTH INDEX (RSI) : SUMMARY
RELATIVE STRENGTH INDEX हमें बताता है –
अगर RSI 0 से 20 के बीच है तो OVERSOLD सिचुएशन है, इसलिए BUY करो
अगर RSI 80 से 100 के बीच है तो OVERBOUGHT सिचुएशन है, इसलिए SELL करो
RSI का बेस्ट तरीके से इस्तेमाल करने से पहले कुछ बातो का ध्यान रखना जरुरी है –
1. कोई भी टेक्निकल एनालिसिस टूल 100 % सही सही नहीं बता सकता , इस बात को ध्यान में रखना चाहिए, और इसी लिए RSI भी हमेशा सही नहीं हो सकता, ये सिर्फ एक सम्भावना को बताने की कोशिस करता है,
2. सिर्फ RSI के भरोसे कभी भी TRADE न ले, आपको इसके साथ टेक्निकल एनालिसिस के अन्य tools और इंडीकेटर्स को भी जरुर इस्तेमाल करे, जैसे – VOLUME, कैंडलस्टिक पैटर्न, सपोर्ट and रेजिस्टेंस, मूविंग एवरेज,
3. टेक्निकल RSI के साथ एनालिसिस के नियमो के साथ फ्लेक्सिबल रहो, और थोड़े बहुत बदलाव के साथ अपना खुद का पॉइंट ऑफ़ व्यू बनाने की कोशिश करो,
आशा करता हु कि TECHNICAL ANALYSIS के ये टॉपिक, आपको जरुर पसंद आया होगा, और आपसे REQUEST कि आप अपने सुझाव, सवाल और कमेंट को निचे जरुर लिखिए,