मार्केटिंग चाल

असहिष्णुता की मार्केटिंग
नयी नवेली वैश्विक ,बाजारीकृत और सोशल नेटवर्क से सजी-धजी भारतीय बाजार पर ,शायद बाजार और अर्थशास्त्र के नियम काफी सटिकता से बैठ रहे हैं|”मांग और पूर्ति “का नियम हमारे नूतन बाजार को ना सिर्फ नचा रहे हैं वरन सबकी दुकानो को भी इन त्योहारों चाहे वो धार्मिक होया चुनाव सरीखा राजनितिक ,चकाचौध की बरसात करा रहे हैं चाहे वो “दाल “हो या असहिष्णुता|i
सभी मिल इसे बिभिन्न मशालों के साथ किसी व्यंजन की तरह परोसे जा रहे हैं |
बाजार अटा पड़ा हैं ,कमेंट ,वक्तव्य ,मार्च ,विरोध ,ट्वीट ,ब्लॉग ,और ना जाने क्या क्या सबको बेचने का अवसर मिल रहा है …कोई दशको बाद सत्ताशीन होने पर टीवी पर कथाकथित विवादित पर “प्रचारक “,विकाऊ कंमेंट द्वारा अपना face बेच रहा हैं ,कोई आलाकमान की नज़रों में आने हेतु अपनी वफ़ादारी बेच रहा है ,कोई गुमनामी और कलम की थकाऊ-उबाऊ दुनिया छोड़ने का मोल बेच रहा ,तो कोई TRP के लिए प्राइम टाइम बेच रहा …कही लडखडाती पार्टी का मार्च करा उसकी दुरुस्त चाल होने का भान बेजा जा रहा ,तो कुछ चुनावों की गर्मी में नए-नए पैतरें ,जुमले यहाँ तक की “धुत्त बुरबक “का गरम बोल बेच रहा …
इन सभी के बीच आम आदमी काम से थका -हारा ,शाम को श्रीमती की मीठी चाय लिए सुकून के दो पल दुनिया से दो-चार होने न्यूज़ मार्केटिंग चाल देखने बैठता है तो खुद को जंग के मैदान में ,ऐंकरों के हुंकार ,पक्ष-विपक्ष के तर्कों के तलवार और जयघोषों के बीच पाता है ऐसा प्रतीत होता हैं मानो कोई धर्म युद्ध चाल रहा हो….पूरा देश गृह -युद्ध जैसी भयावह स्थिति में हो..कोई ना कुछ बोल पा रहा ना ही स्वतंत्र महसूस कर पा रहा..सारा संगठन चरमरा चूका हो | चाय कषैली और जिंदगीअचानक “दूभर ” और असुरक्षित लगने लगती है |
मन करता हैं कहीं ना चला जाये, कुछ ना करे ,कुछ ना सुने ,बस दुनिया से खुद को छुपा कर यों कहें तो मार्केटिंग चाल बचा कर “खोल ” में पड़ा रहे ..
अनायाश ही मुख परमेश्वर को याद करने लगता है और ज्ञात हो आता है की आज के दौर में भी शताब्दियों पहले लिखी गयी कबीरवाणी “दुख में सुमिरन सब करे सुख में करे ना कोई ” कितनी प्रशांगिक है |
पर “मरता क्या नहीं करता ‘,आजीविका और पापी पेट की खातिर सुबह होते ही बिना किसी पशोपेश ,बिना किसी “कवच-कुण्डल “निकल पड़ता है ,शाम की चिंताओं और घबराहट को छोड़ ,समाज ,देश और खुद की भय से दो-चार होने |
यहाँ उसे ना कोई मजहब दीखता है ,ना कोई धर्म-घोष …ऑफिस ,बाजार ,या फिर सड़क कहीं भी उसे धर्म आधारित खरोज भी नहीं लगती |
चाहे वो अपने बाल कटवाए ,चिकन की दूकान पर मांस कटवाए ,अथवा किसी कपडे की दुकानपर कैची से कपडे काटते देखे ,कभी भी यह भय नहीं सताता की कही वो भी ना कट जाये या कोई आघात हो |
वो तो आज भी हर संप्रदाय के मित्रों ,जानने वालो ,ठोकर लगते ,चलते ,यात्रा के दौरान अजनबियों तक से सहृदयता से मिल लेता हैं ,क्षमा मांग लेता हैं ,उनके त्योहारों में शरीक हो जाता हैं |
तो फिर इतना हल्ला क्यों …किस बात पर …क्या ऐसा होता आया है या फिर कभी हुआ है .
तो चिंता और मनुष्य जिज्ञासा से मारा भूत की तरफ नज़र फिरता है जहाँ इतिहास के पन्नों की नमी ,उसमे सिमटे आंशूं ,खून और त्रासद की “सीलन” भरी सरांद्ध बू से दो-चार होता है की कैसे”किसी बड़ा पेड़ गिरने से ” हजारों-हजार सिख क़त्ल कर दिए गए थे ,जिनकी चीत्कारों से यदा-कदा आज भी देश का “दिल” डोल उठता है..
या कैसे 1966 – 77 के कालखण्ड में ही 39 बार जनमत को ,उनके अधिकारों को उखाड़ फेंका गया ..कैसे कोई समाजवाद का “प्रहरु”सैकड़ों को “समाजविहीन ‘ कर उन्हें कल के गाल में धकेल देता है और जिनका अता-पाता किसी को नही ..
या फिर साबरमती एक्सप्रेस की आग कैसे “क्रिया की प्रतिकिया “(जिसकी कल्पना शायद न्यूटन महोदय ने भी नही की होगी ) बन जाती हैं और पूरा गुजरात उसमे आहूतिस्वरूप जल उठता है ..
खैर ..भूत हो या वर्तमान डर हमेशा लगता है ..
. कहीं आज की स्थिति भी वैसी ना हो जाये वाली घबराहट पैदा कर ही देती है .और आम आदमी का हाथ अनायास ही सहायतार्थ उठ जाता है..
की कोई आये ..शायद “अंगुलिमालनुमा “परिवर्तन करवा सकने वाला कोई बुद्ध या सही रास्ता दिखलाता कोई पैगम्बर …या फिर ईसा जिसके बलिदान ने विश्व को नयी प्रेरणा और मर्म दिया…नहीं तो हे कृष्णा तुम्ही फिर से “गीता का ज्ञान “से इस अंधकार को उजाले में परिवर्तित कर दो…कोई तो नव निर्माण हेतु पधारो.
भले ,आज की असहिष्णुता भूत जैसी ना दिखे पर असहिष्णुता को यदि “थर्मामीटर” से माप कर इलाज करें तो ये घोर मूर्खता ही होगी ..
भगवान के अवतरण की जरूरत या संभावना भले ना हो ..लेकिन भय जाहे वो अल्प हो या बहुल निवारण जरूरी है |
चाहे घृणा ,असुरक्षा और असहिष्णुता की बैतरणी ना बहती नज़र आये ,पर अगर यह 24 घंटे की मार्केटिंग का “रायता ” भी है तब भी साफ-सफाई (जोकि आज-कल फैशन में भी हैं ) जरूरी है ..
भूत का भय ,वर्तमान मार्केटिंग चाल की तुलना का नहीं अपितु सिंहावलोकन का मानक होना चाहीये ,नहीं तो समय बदलते देर नही लगेगी जो हमारे “विकास” के गर्भपात का करक होगा ….
अतः”सावधानी हटी दुर्घटना घाटी “को समझने की जरूरत है …
पर ,शायद इन सब का भी “तंत्र “के जाल में उलझे रहने में ही “कुछ ” की भलाई हैं (भाई उनकीभी तो दुकान इसी से चलती है|)
और हमारा क्या ….हम तो इसके आदि हैं ही … !!
तो फिर अंततः अपना हाथ जगरनाथ ,”खुद के सामान की रक्षा स्वयं करें ” असहिष्णुता व्यक्तिगत से ही सामूहिक बनती हैं सो स्वयं को सहिष्णु बनाये रखें ..भारत सहिष्णु बना रहेगा ..
मार्केटिंग चाल
दो प्रगामी ध्वनि-तरंगे जिसमे प .
दो प्रगामी ध्वनि-तरंगे जिसमे प्रत्येक की आवृत्ति 165 है, वायु में विपरीत दिशाओ में चलते हुए अप्रगामी तरंगे उत्पन्न करती है। वायु में ध्वनि की चाल 330 मीटर/सेकंड है। (i) दो निस्पन्दो, (ii) दो प्रस्पंदों तथा (iii) एक निस्पंद व उसके पास वाले प्रस्पंद के बीच दूरी कितनी है?
Updated On: 27-06-2022
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Aap ko kya acha nahi laga
प्रश्न है कि दो प्रगामी ध्वनि तरंगें जिनमें से प्रत्येक क्या वटी 155 पार्ट्स है वह में विपरीत दिशा में चलते हुए हैं प्रगामी तरंगे उत्पन्न करते हैं भाई मैं धोनी की चाल 330 मीटर प्रति सेकंड है तो दो निस्पंद 22 552 सदा एक निस्पंद और उसके पास वाली पसंद के बीच की दूरी कितनी है भाई हर करते स्पेशल को क्योंकि हम जानते हैं कि दोनों बंधुओं के इस बंधुओं के बीच दूरी हटा दो क्रमागत निस्पंद होगे ठीक है पर इसमें भी हमसे मार्केटिंग चाल जो दो निस्पंद पूछे हैं वे दोनों निष्फल और दो क्रमागत पसंद है दो क्रमागत स्पंदो के बीच दूरी बराबर होती है दो क्रमागत 552 के बीच दूरी
कितनी होगी लौंडा बाई फोर मार्केटिंग अहमदाबाद टू अब तो कैलेंडर कैलेंडर क्या होता है तरंग दर्द है सिलेंडर तरंग दर्द है जोकि जोकि बराबर होगा जो ध्वनि की चाल है बी बटा धोनी की आवृत्ति न्यू के दैनिक वेतन देने की हम इसकी जगह लिख सकते हैं बराबर करके भी बटन न्यू * 20 बटा 2 न्यू हम आसानी से जो पहला भाग एक कॉल कर सकते हैं कि धोनी की चाल दे रखी है मैं 330 मिनट पर दे सके और 2 गुना आवर्ती 16510 330 बटा 165 को 2 से गुणा करेंगे तो 330 बराबर 1 मीटर तथा दो क्रमागत निस्पंद होता तो दो क्रमागत 552 के बीच की दूरी हमारे पास 1 मिनट में निकल के आती
है बात करते हैं कि एक निष्पक्ष मैं उसके पास वाले पास वाले पसंद की दूरी जो कि हम जानते हैं कि एक क्रमागत विषम तथा उसके एकदम बाद वाले पास वाले पसंद की के बीच की दूरी क्या होगी वह दूरी होगी दो क्रमागत निबंधों के बीच या दो क्रमागत 552 के बीच की दूरी का आधार है निकेल अंबाबाई फोटोज कम लिखूंगी वीवो का फोन 9000 का 330 बटा 4 गुना 165 से 0 पॉइंट 5 मीटर और 55 के बीच की दूरी हमारे पास जीरो पॉइंट 5 मीटर निकल कर आती है
BYJU की मेस्सी चाल दीया बुझने से पहले आखिरी झिलमिलाहट है
अक्सर यह कहा जाता है कि शीर्ष पर बने रहने की तुलना में मार्केटिंग चाल शीर्ष पर पहुंचना आसान है। लोकप्रिय वाक्यांश एड-टेक की दिग्गज कंपनी BYJU के लिए उपयुक्त है। कोविड महामारी से पहले भी, BYJU एड-टेक क्षेत्र में पहला यूनिकॉर्न (मूल्यांकन $ 1 बिलियन या अधिक) और डेकाकॉर्न (मूल्यांकन $ 10 बिलियन या अधिक) बन गया। लेकिन अनियोजित अधिग्रहण, वित्तीय कुप्रबंधन और हिंसक बाजार प्रथाओं के कारण यह भारी नुकसान उठा रहा है और अपनी शीर्ष स्थिति को बनाए रखने में विफल रहा है।
क्या लियोनेल मेस्सी को शामिल करना, BYJU की नई मार्केटिंग नौटंकी है?
BYJU एक बार फिर गलत कारणों से खबरों में है। एड-टेक की दिग्गज कंपनी बहुत लंबे समय से वित्तीय नुकसान झेल रही है। लेकिन वे इस तथ्य को नकारते रहे और मीडिया घरानों पर उनके खिलाफ कलंक अभियान चलाने का आरोप लगाते रहे।
अब उनका असली चेहरा सबके सामने है. पिछले हफ्ते कंपनी ने 2500 से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी की थी। उन्होंने अब मार्केटिंग चाल फुटबॉल विश्व कप से ठीक पहले सबसे अधिक भुगतान पाने वाले एथलीटों में से एक लियोनेल मेस्सी को काम पर रखा है।
और पढ़ें: BYJU के सह-संस्थापक, TFI ने आपको हमें गलत साबित करने की चुनौती दी
मेस्सी कोई छोटा नाम नहीं है और न ही उनकी एंडोर्समेंट कॉस्ट। पिछली बार जिस भारतीय कंपनी ने उन्हें एक विज्ञापन के लिए काम पर रखा था, वह टाटा टियागो के लिए टाटा थी। लेकिन उस समय BYJU के विपरीत TATA बहुत अच्छी आर्थिक स्थिति में था।
क्या यह विडंबना नहीं है कि हजारों कर्मचारियों को निकालने वाली कंपनी ने दुनिया के सबसे अधिक वेतन पाने वाले फुटबॉलरों में से एक को काम पर रखा है। और वह भी 2702.14 करोड़ के नुकसान के बाद और एक महीने में 3 कार्यालय बंद करने के बाद।
क्या यह BYJU’s है या Oppo/Vivo?
हां, मार्केटिंग जरूरी है लेकिन पहले आपको अपना बिजनेस बढ़ाना होगा। BYJU के मामले में, इसके उच्च अधिकारी बस ऐसा नहीं कर रहे हैं। वे सिर्फ एक प्रसिद्ध चेहरा चाहते हैं कि वे अपनी औसत से कम अध्ययन सामग्री बेचें।
पहले इसने शाहरुख खान के साथ साझेदारी की थी और अब इसने लियोनेल मेसी को अनुबंधित किया है। हालांकि कंपनी में चीनी निवेशक हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें ओप्पो और वीवो की तरह काम करना होगा।
समय आ गया है मार्केटिंग चाल कि उन्हें यह समझने की जरूरत है कि उत्पाद की गुणवत्ता में निवेश करना मार्केटिंग में निवेश करने से कहीं बेहतर है। हमने ओप्पो और वीवो जैसी कुछ कंपनियां देखी हैं जो केवल मार्केटिंग में निवेश करती हैं, उत्पाद पर नहीं। दूसरी ओर हमारे पास उन लोगों के भी कुछ उदाहरण हैं जो उत्पाद में निवेश करते हैं और मार्केटिंग पर नहीं जैसे हल्दीराम, बीकानो, आरएसपीएल समूह और बहुत कुछ।
क्या BYJU का कदम नौटंकी है और क्या यह बूमरैंग करेगा?
BYJU’s इससे पहले भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी पर अपना नाम छापकर मार्केटिंग का काम कर चुका है। लेकिन हम देख सकते हैं कि यह कदम BYJU की दयनीय स्थिति से बचाने के लिए पर्याप्त प्रभावी नहीं है। हो सकता है, मेस्सी के इस कदम से वे पश्चिमी देशों में भी अपना परिचय देना चाहते हों। लेकिन पहले भारत के भीतर अपनी स्थिति मजबूत नहीं करना और फिर विदेश जाने की योजना बनाना एक बेहतर विचार होगा।
हमारी शुरुआती भविष्यवाणी के मुताबिक मौजूदा स्थिति कंपनी के पक्ष में नहीं है। अब हम एक और बात की भविष्यवाणी कर रहे हैं। संगठन में यह सारी अराजकता निश्चित रूप से आने वाले महीनों में इसके आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के शुभारंभ को प्रभावित करेगी।
और पढ़ें: BYJU के बारे में TFI की विस्फोटक कहानी के बाद, कंपनी ने आकाश सौदे के लिए ब्लैकस्टोन को भुगतान किया
BYJU सोच रहा है कि किसी सेलिब्रिटी का चेहरा होना ही काफी होगा। लेकिन आज के दौर में लोग ज्यादा जागरूक और समझदार हो गए हैं। इसलिए, उन्हें अपने उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार करना होगा। अपने उत्पाद पर किसी फ़ुटबॉल खिलाड़ी या फ़िल्म स्टार का चेहरा होने से लाभ नहीं होगा। आने वाले भविष्य में यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि क्या यह कदम कंपनी के लिए अच्छा है या यह दीया बुझने से पहले की आखिरी झिलमिलाहट है।
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Guru Vakri 2022: बदलने वाली है सबसे बड़े ग्रह की चाल, 4 महीने में मालामाल होंगे 3 राशियों के लोग
ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति ग्रह का संबंध ज्ञान, गुरु, वृद्धि शिक्षक संतान, धन, दान और पुण्य से जुड़ा हुआ है. इसलिए गुरु की चाल बदलते ही इसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा. हालांकि तीन राशियां ऐसी हैं जिन्हें वक्री गुरु मालामाल करने वाले हैं.
Guru Vakri 2022: बदलने वाली है सबसे बड़े ग्रह की चाल, 4 महीने में मालामाल होंगे 3 राशियों के लोग (Photo: Getty Images)
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 27 जुलाई 2022,
- (अपडेटेड 27 जुलाई 2022, 7:12 PM IST)
गुरुदेव बृहस्पति 29 जुलाई को स्वराशि मीन में वक्री होने जा रहे हैं. जब भी कोई ग्रह वक्री होता है तो उसकी चाल उल्टी हो जाती है. गुरु 24 नवंबर तक उल्टी चाल चलेंगे. ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति ग्रह का संबंध ज्ञान, गुरु, वृद्धि शिक्षक संतान, धन, दान और पुण्य से जुड़ा हुआ है. इसलिए गुरु की चाल बदलते ही इसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा. हालांकि तीन राशियां ऐसी हैं जिन्हें वक्री गुरु मालामाल करने वाले हैं. आइए ज्योतिषविद श्रीपति त्रिपाठी से जानते हैं वो तीन लकी राशियों कौन सी हैं.
वृषभ राशि- वक्री चाल के साथ गुरु वृषभ राशि वालों के लिए लाभकारी सिद्ध होंगे. आपकी राशि से गुरु ग्रह 11वें भाव में वक्री होंगे. आय और वृद्धि का भाव कहा जाता है. इस दौरान आपकी आय में बढ़ोतरी हो सकती है. आय के नए स्रोत भी उत्पन्न हो सकते हैं. कारोबार में अच्छा मुनाफा हो सकता है. कोई नई व्यावसायिक डील भी मिल सकती है. आपकी कार्यशैली में निखार आएगा जिससे कार्यस्थल पर आपकी खूब प्रशंसा होगी. जो लोग नया स्टार्टअप करने की प्लानिंग कर रहे हैं, उनके लिए भी समय उत्तम रहने वाला है.
मिथुन राशि- गुरु ग्रह के वक्री होते ही मिथुन राशि वालों के जीवन में अच्छे बदलाव आ सकते हैं. गुरु ग्रह आपके 10वें स्थान में वक्री होने जा रहे हैं. इसे नौकरी, कारोबार और कार्यक्षेत्र का स्थान कहा जाता है. इसलिए आपको नई नौकरी का प्रस्ताव मिल सकता है. पद-प्रतिष्ठा बढ़ सकती है. इस दौरान धन लाभ के योग भी बनेंगे. आपकी राशि में नए व्यवसायिक संबंध भी बन सकते हैं. मार्केटिंग, मीडिया जैसे पेशे में कार्यरत लोगों के लिए समय बहुत ही अच्छा रहेगा.