विश्‍व के बाजारों में ट्रेड करें

ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है

ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है
  • ऑप्शन चैन क्या होती है? (What is option chain)
  • ऑप्शन चैन को कैसे समझते है ? (How to read option chain)

EazeeTraders.com

ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading) में शुरुआत करने से पहले ऑप्शन चैन चार्ट (Option Chain Chart) को समझना बहोत जरुरी है, हलाकि शुरवात में आपको ऑप्शन चैन चार्ट का डेटा एक जटिल भूलभुलैया की तरह लग सकता है। और इसे समझना भी काफी कठिन लग सकता है । इस आर्टिकल में हम समझेंगे की ऑप्शन चैन को कैसे समझते है और ये आर्टिकल पढ़ने के बाद आप ऑप्शन चैन को अच्छी तरह से समझ पाएंगे ।

काफी सारे ट्रेडर्स के मन में ये सवाल आते है की..

“स्टॉक ऑप्शन चैन कैसे पढ़ें”? (How to read option chain?)

“ऑप्शन चैन को कैसे खोजे” ? (How to Find Option Chain?)

” ऑप्शन चैन चार्ट का विश्लेषण कैसे करे “?

ऑप्शन चैन एक ऐसा चार्ट है, जो महत्वपूर्ण जानकारी से भरा है , जो एक ट्रेडर को लाभदायक निर्णय लेने में मदद करता है। यदि आप OPTIONS में लाभदायक ट्रेडर बनाना चाहते हैं तो आपको ऑप्शन चैन चार्ट में महारत हासिल करना आवश्यक है।यह आर्टिकल आपको ऑप्शन चैन की अच्छी समझ हासिल करने में मदद करेगा, उपलब्ध विभिन्न आंकड़ों से आपकी समझ बढ़ाएगा और सही निर्णय लेने में मदद करेगा ।

CONTENTS:

  • ऑप्शन चैन क्या होती है? (What is option chain)
  • ऑप्शन चैन को कैसे समझते है ? (How to read option chain)

आइए सबसे पहले देखते हैं कि ऑप्शन चेन कैसा दिखता है और इसमें उपलब्ध विभिन्न डेटा को कैसे समझते हैं। एनएसए इंडिया (Option Chain in NSE) आपको सभी ट्रेडिंग विकल्पों के लिए ऑप्शन चैन चार्ट (Option Chain Chart) प्रदान करता है। चलिए देखते है की ऑप्शन चैन को कैसे ढूंढा जाता है।

A) ऑप्शन चैन क्या होती है? What is Option chain?

ऑप्शन चैन चार्ट एक ऐसी लिस्टिंग है जहा पे उपलब्ध कॉल (Call) और पुट (Put) विकल्पों की एक सूची होती है। लिस्टिंग में अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस के लिए प्रीमियम, वॉल्यूम, ओपन इंटरेस्ट आदि की जानकारी शामिल होती है।

१) www.nseindia.com पर जाएं और निचे चार्ट में दिखाए गए इक्विटी डेरिवेटिव्स (Equity Derivatives) पर क्लिक करे।

२) इक्विटी डेरिवेटिव्स (Equity Derivatives) पर क्लिक करने पर, मुझे इस पृष्ठ ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है पर ले जाया गया। यह वह है जिसे हम खोज रहे थे- OPTION CHAIN.

यह जुलाई ३१ , २०२० को समाप्त होने वाले निफ्टी 50 के लिए OPTION CHART चार्ट है।

३)चार्ट कॉल (Call)और पुट (Put) ऑप्शन में विभाजित है। बाईं ओर, हमारे पास कॉल ऑप्शन और दाईं ओर पुट ऑप्शन के लिए डेटा है।

४)चार्ट के सेंटर में, हमारे पास विभिन्न स्ट्राइक मूल्य हैं।

५) स्ट्राइक मूल्य के दोनों किनारों पर, हमारे पास विभिन्न डेटा हैं जैसे कि OI, Chng in OI, Volume, IV, LTP, Net Chng, Bid Qty, Bid Price, Ask Price और Ask Qty .

६)हम यह भी देखते हैं कि दोनों तरफ डेटा का एक हिस्सा गुलाबी रंग की छाया में हाइलाइट किया गया है और बाकी सफेद रंग में है।

B) ऑप्शन चैन को कैसे समझते है ? How to understand Option Chain?

ये ऑप्शन चैन चार्ट के विभिन्न घटक है।आईये,अब ऑप्शन चैन के प्रत्येक घटक को विस्तार से समझे (Option chain Explained) :

१) ऑप्शन के प्रकार (Options Types) :

ऑप्शन दो प्रकार के होते हैं; कॉल ऑप्शन (Call Option) और पुट ऑप्शन (Put Option) ।कॉल ऑप्शन एक ऐसा है कॉन्ट्रॅक्ट जो आपको एक निश्चित मूल्य पर और ऑप्शन की समाप्ति तिथि के भीतर अंतर्निहित खरीदने का अधिकार देता है। कृपया याद रखें कि कॉन्ट्रॅक्ट आपको अधिकार देता है लेकिन आपके लिए अंतर्निहित खरीदना अनिवार्य नहीं है। दूसरी ओर, एक पुट (Put) ऑप्शन, एक कॉन्ट्रॅक्ट है जो आपको अधिकार देता है लेकिन निर्दिष्ट मूल्य पर और ऑप्शन की समाप्ति तिथि के भीतर अंतर्निहित बेचने की बाध्यता नहीं है। यहां फिर से कॉन्ट्रॅक्ट आपको अधिकार देता है लेकिन आपके लिए अंतर्निहित बेचना अनिवार्य नहीं है।

२) स्ट्राइक मूल्य (Strike Price) :

स्ट्राइक मूल्य वह मूल्य होता है जिस पर आप ऑप्शन के खरीदार और विक्रेता के रूप में कॉन्ट्रॅक्ट का पालन करने के लिए सहमत होते हैं। आपका ऑप्शन ट्रेड तभी लाभदायक होगा जब किसी कॉन्ट्रॅक्ट की कीमत इस स्ट्राइक मूल्य को पार कर जाती है।

ऑप्शन चैन के दोनों तरफ डाटा होता है जैसे की, OI, Change in OI, Volume, IV, LTP, Net Change, Bid Qty, Bid Price, Ask Price और Ask Qty , आइए समझते हैं कि उनमें से प्रत्येक का क्या मतलब है ।

३) ओपन इंट्रेस्ट (OI) :

ओपन इंटरेस्ट एक डेटा है जो किसी ऑप्शन के एक विशेष स्ट्राइक मूल्य में ट्रेडर्स के हित को दर्शाता है। ओपन इंट्रेस्ट आपको बताए गए कॉन्ट्रॅक्ट की चालू संख्या के बारे में बताता है जो कि मार्किट में ट्रेड किए जाते हैं। किसी ऑप्शन के विशेष स्ट्राइक मूल्य के लिए ट्रेडर्स के बीच संख्या जितनी अधिक होगी, उतना ही अधिक ब्याज होगा। और इसलिए वांछित होने पर आप अपने ऑप्शन का ट्रेड करने में सक्षम होने के लिए उच्च तरलता रखते हैं।

४)ओपन इंट्रेस्ट में बदलाव (Change in OI) :

यह आपको समाप्ति अवधि के भीतर ओपन इंटरेस्ट में बदलाव के बारे में बताता है। ओपन इंट्रेस्ट में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन की सावधानीपूर्वक निगरानी की जानी चाहिए।

५) ओपन इंट्रेस्ट वॉल्यूम (Open Interest Volume) :

यह ऑप्शन में ट्रेडर्स के हित का एक और संकेतक है। यह हमें बताता है कि बाजार में किसी विशेष स्ट्राइक मूल्य पे सम्पूर्ण कितने ऑप्शन कॉन्ट्रॅक्ट का कारोबार किया जाता है। इसकी गणना दैनिक आधार पर की जाती है। वॉल्यूम आपको ट्रेडर्स के बीच मौजूदा रुचि को समझने में मदद कर सकता है ।

६) अंतर्निहित अस्थिरता (Implied Volatility):

अंतर्निहित अस्थिरता का मतलब है IMPLIED VOLATILITY। ये हमें मूल्य की हलचल के बारे में बताता है । एक उच्च अंतर्निहित अस्थिरता (Implied Volatility) का मतलब है कि कीमतों में उच्च झूलों की संभावना और कम अंतर्निहित अस्थिरता (Implied Volatility) का मतलब है कम झूलों की संभावना । अंतर्निहित अस्थिरता आपको ऊपर की ओर हो या नीचे की ओर की दिशा के बारे में नहीं बताता है।

७) अंतिम ट्रेडेड मूल्य (Last Traded Price) :

अंतिम ट्रेडेड मूल्य का मतलब है की आखरी ट्रेड मूल्य जो भी मूल्य पे स्टॉक ट्रेड कर रहा है ।

८) शुद्ध परिवर्तन (Net Change) :

यह अंतिम ट्रेडेड मूल्य में शुद्ध परिवर्तन है। सकारात्मक परिवर्तन, मतलब मूल्य में वृद्धि, हरे रंग में रंगीत किए जाते हैं जबकि नकारात्मक परिवर्तन, मूल्य में कमी, लाल रंग में रंगीत किए जाते हैं ।

९) बोली मात्रा (Bid Qty) :

यह किसी विशेष स्ट्राइक मूल्य के लिए ट्रेड खरीदने की संख्या है। यह आपको एक ऑप्शन के स्ट्राइक मूल्य की मौजूदा मांग के बारे में बताता है।

१०) बोली मूल्य (Bid Price) :

ये वो मूल्य है जिस रेट पे आखरी खरीददार ने ऑप्शन ख़रीदा है। इसलिए अंतिम ट्रेडेड मूल्य से अधिक कीमत बता सकती है कि ऑप्शन की मांग बढ़ रही है या कम हो रही है ।

१२) पूछा हुवा मूल्य (Ask Price)

ये वो मूल्य है जिस रेट पे आखरी खरीददार ने ट्रेड बेचा हुवा है।

१३)पूछी हुवी मात्रा (Ask Qty) :

यह एक विशेष स्ट्राइक मूल्य के लिए खुले विक्रय आदेशों की संख्या है। यह आपको ऑप्शन के लिए सप्लाई के बारे में बताता है ।

अब समझते हैं तारीख का एक हिस्सा ऐसे अलग कलर में क्यों हाइलाइट किया जाता है जबकि बाकी सफेद रंग में होता है। इसे समझने के लिए, हमें पहले ITM, ATM और OTM सीखने की आवश्यकता है ।

इन-द-मनी (ITM): आईटीएम में एक कॉल ऑप्शन है, अगर इसका स्ट्राइक प्राइस मौजूदा बाजार मूल्य से कम है तो उसे ITM CALL केहते है । एक पुट OPTION ITM है यदि इसका स्ट्राइक मूल्य के मौजूदा बाजार मूल्य से अधिक है तो उसे ITM PUT कहते है ।

एट-द-मनी (ATM): जब भी कोई कॉल या पुट OPTION का स्ट्राइक मूल्य वर्तमान बाजार मूल्य के बराबर होता है तब उसे एटीएम कहते है ।

आउट-द-मनी (OTM): अगर स्ट्राइक मूल्य मौजूदा बाजार मूल्य से अधिक होने पर उस कॉल ऑप्शन को OTM केहते है । और ऐसे ही एक पुट ओटीएम का मूल्य मौजूदा बाजार मूल्य से अधिक होने पर उस पुट ऑप्शन को OTM केहते है |

हाइलाइट किया गया हिस्सा आईटीएम में है जबकि सफेद रंग में हिस्सा ओटीएम हैं। इसलिए कॉल ऑप्शंस के लिए, अंतर्निहित कीमतों की तुलना में कम स्ट्राइक मूल्य को हाइलाइट किया जाता है जबकि पुट ऑप्शन के लिए अंतर्निहित की मौजूदा कीमत से अधिक ऑप्शन स्ट्राइक की कीमतों को हाइलाइट किया जाता है ।

C) निष्कर्ष

ऑप्शन चैन के बारे में एक अछि जानकारी और समझ आपको एक अच्छा एक सूचित निर्णय लेने में मदद कर सकता है ! तो बेहतर ट्रेडिंग निर्णय लेने के लिए एक ऑप्शन चैन पढ़ने में एक अच्छी महारत हासिल करें।

Gold Options: गोल्ड ऑप्शंस क्या है, जानिए कैसे हो सकती है बंपर कमाई

What Is Gold Options

What Is Gold Options: गोल्ड को अपने पोर्टफोलियो में रखने की चाहत हर किसी की होती है. बहुत से निवेशक और ट्रेडर कम रिस्क के साथ ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने की इच्छा रखते हैं. ऐसे लोगों के लिए ऑप्शंस (How To Buy Gold Options) से बेहतर कुछ नहीं हो सकता है. दरअसल, ऑप्शंस में निवेश के जरिए अपने रिस्क को सीमित किया जा सकता है और अधिक से अधिक मुनाफा भी कमाया जा सकता है.

आज की इस रिपोर्ट में हम गोल्ड ऑप्शंस की बारीकियों को समझने की कोशिश करेंगे और साथ में यह भी समझेंगे कि इसमें निवेश से हमें क्या फायदा मिल सकता है और क्या नुकसान है.

कैसे कर सकते हैं गोल्ड ऑप्शंस में ट्रेडिंग
कमोडिटी ऑप्शंस में ट्रेडिंग के लिए सबसे पहले जरूरी यह है कि आपके पास ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए और अगर आपके पास अकाउंट पहले से हैं तो ब्रोकर को बोलकर ऑप्शंस (Gold Futures & Options) की ट्रेडिंग के लिए उसे एक्टिव करा सकते हैं. निवेशक ऑनलाइन और ऑफलाइन के जरिए ऑप्शंस में ट्रेडिंग कर सकता है. ऑप्शंस वायदा कारोबार के तहत आने वाला एक अनोखा प्रोडक्ट है और इसमें ट्रेडिंग के जरिए जोखिम कम होने के साथ ही असीमित मुनाफा कमाया जा सकता है. मान लीजिए कि आप ऑप्शंस के खरीदार हैं तो बेहद कम प्रीमियम चुकाकर पूरा कॉन्ट्रैक्ट उठा सकते हैं. मतलब यह हुआ कि आपका जोखिम आपके द्वारा जमा किया गया प्रीमियम ही है और मुनाफा अनलिमिटेड. हालांकि इसके विपरीत बिकवाल होने की स्थिति में जोखिम असीमित और मुनाफा सीमित हो जाता है.

ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे
आखिर में हम आपको बताते हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग क्या फायदे होते हैं. जानकारों का कहना है कि मान लीजिए कि अगर कोई निवेशक गोल्ड ऑप्शंस के कॉन्ट्रै्क्ट में कॉल खरीदता है तो तेजी होने पर निवेशक को फायदा मिलेगा और अगर पुट ऑप्शंस खरीदता है तो गिरावट पर लाभ मिलेगा. वहीं कॉल ऑप्शंस को बेचने वाले कॉल राइटर्स को गिरावट पर फायदा मिलता है और पुट ऑप्शंस को बेचने वाले पुट राइटर्स को तेजी पर फायदा मिलता है. बता दें कि कॉल राइट करने वालों की कमाई सिर्फ प्रीमियम होती है लेकिन उनका नुकसान असीमित होता है. जानकार कहते हैं कि वायदा बाजार के मुकाबले ऑप्शंस में रिस्क कम और रिटर्न ज्यादा मिलता है. इसके अलावा हेजिंग का टूल भी होने की वजह से निवेशकों की भागीदारी काफी ज्यादा होती है.

स्टॉक मार्केट में Out of the Money ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे शुरू करें ?

दूर के ऑप्शन्स (Out Of The Money Options)

दूर का ऑप्शन, जी हाँ दोस्तों, जो की हमेशा एक्ट्रॅक्टिव्ह दिखता है। हमें ललचाता भी है अपने परफॉर्मन्स से! यह हो जाता है 5 रूपये से 50 का 100 का या उससे भी ज्यादा। है ना?

दूर का छोटा ऑप्शन याने की ऐसा ऑप्शन जो अंडरलेयिंग असेट (शेअर,इंडेक्स) के "चालू कीमत से काफी दूर होता है।" यह हम सभी को मालूम है। कीमत के उतार-चढ़ाव से ऑप्शन में हलचल होती है। "तेज और बड़े बदलाव से" ही दूर के ऑप्शन में बड़ी बढ़त या गिरावट आती है। इस पर हमारा एकमत हो सकता है।

और इस पर भी की बड़े मुव्ह किसी बड़े फंडामेंटल या टेक्निकल के कारण ही आतें है। इसलिए स्ट्रॉन्ग फंडामेंटल न्यूज़ या टेक्निकल सेट अप को बनते हुए देखकर ही Out Of The Money ऑप्शन्स में B.T.S.T. का ट्रेड लिया जाता है।

दूर का कॉल ऑप्शन ( Out Of The Money Call Option)

उदाहरण

1 ) कंपनी के शेअर की कीमत Rs. 500 है। ऑप्शन के लिए स्ट्राइक प्राइस 5 रूपये के फर्क से है। तो Rs. 500 से ज्यादा की स्ट्राइक प्राइसेस जैसे की 505, 510, 515, . कॉल ऑप्शन आउट ऑफ़ द मनी कहलातीं है। यहाँ दूर का छोटा कॉल ऑप्शन Rs. 550 स्ट्राइक प्राइस का हो सकता है।

2 ) बॅंक निफ़्टी अगर 36,000 पर है तो 36,100, 36,200, 36,300, . यह कीमतें कॉल ऑप्शन के लिए आउट ऑफ़ मनी कहलातीं है। इसमें दूर का छोटा कॉल ऑप्शन 37,000 के स्ट्राइक प्राइस का हो सकता है।

दूर का पुट ऑप्शन ( Out Of The Money Put Option)

उदाहरण

1 ) कंपनी के शेअर की कीमत Rs. 500 है। Rs. 500 से कम की स्ट्राइक प्राइसेस जैसे की 495, 490, 485, . यह आउट ऑफ़ द मनी पुट ऑप्शन कहलातीं है। यहाँ दूर का छोटा पुट ऑप्शन Rs. 450 स्ट्राइक प्राइस का हो सकता है।

2 ) बॅंक निफ़्टी अगर 36,000 पर है तो 35,900, 35,800, 35,700, . यह कीमतें पुट ऑप्शन के लिए आउट ऑफ़ मनी होतीं है। इसमें दूर का छोटा पुट ऑप्शन 35,000 तक के स्ट्राइक प्राइस का हो सकता है।

सुचना

स्टॉक मार्केट इंडेक्स का दूर का ऑप्शन

अब आतें है स्टॉक मार्केट में। और अपना अकाउंट खोलकर उसमें थोडासा पैसा डालतें है। और अपने अकाउंट पर "F&O Trading की सुविधा" चालू करतें है। हमने यह किया है तो चलिये आगे बढ़ते है। फंडामेंटल एनालिसिस अच्छे से करके हम आसानी से इंडेक्स के दूर के छोटे ऑप्शन्स में ट्रेडिंग करके बड़ा मुनाफा कमा सकतें है।

1 ) इंडेक्स जैसे की "निफ़्टी, बॅंक निफ़्टी" इनमें दूर के ऑप्शन्स में ट्रेडिंग करना अच्छा होता है। इसमें आवश्यक " व्होल्युम होता है।" इंडेक्स के ऑप्शन्स में बायिंग, सेलिंग आसानी से कर सकतें है।

2 ) इंडेक्स के ऑप्शन्स का लॉट साइज छोटा है। जैसे की निफ़्टी का एक लॉट 50 और बॅंक निफ़्टी का तो सिर्फ 25 क्वान्टिटी का एक लॉट आता है। कम कॅपिटल में हम "ज्यादा लॉट लें सकतें है।" एवरेज कर सकतें है। और थोड़ा-थोड़ा बेच सकतें है।

3 ) इंडेक्स के ऑप्शन्स में बहुत बड़े मात्रा में ट्रेडिंग होती है। इस लिए "कोई व्यक्तिगत मनमानी नहीं कर सकता।" कोई तय करके अपने हिसाब से भाव बढ़ा या गिरा नहीं सकता।

कंपनी के शेअर का दूर का छोटा ऑप्शन

1 ) कंपनी का शेअर "F&O लिस्ट में होना आवश्यक है।" हमें इसपर ध्यान देना चाहिये की जिन शेअर्स के दूर वाले ऑप्शन्स में व्होल्युम नहीं है। उन में ट्रेडिंग करने से हमें बचना चाहिये।

2 ) कंपनी से जुड़ा कोई "विशेष कारण होना चाहिये" जैसे की न्यूज़। न्यूज़ अच्छी हो या बुरी, उसका हमें शीघ्र पता लगाके दूर का ऑप्शन लेना होता है। अच्छी खबर के चलते कॉल लेना है। बुरी खबर हो तो पुट ऑप्शन लेना चाहिये। इस तरह की सारी न्यूज़ हम इन्व्हेस्टिंग इंडिया पर पढ़ सकतें है।

3 ) "ओपन इंटरेस्ट और चेंज इन ओपन इंटरेस्ट" को हम N.S.E.India पर कंपनी का नाम सर्च करके, डेरीव्हेटिव्हज में, ऑप्शन चेन में देख सकतें है। उनका जिक्र Change IN OI और OI ऐसा किया गया है।

4 ) टेक्निकल एनालिसिस का महत्व ध्यान में लेतें हुए ट्रेड के लिए टेक्निकली राइट एन्ट्री पॉइन्ट ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है तय करना है। टेक्निकल एनालिसिस शेअर के चार्ट का करना होता है। सपोर्ट,रेजिस्टन्स और ट्रेन्ड लाइन तो शेअर के चार्ट पर ही लगानी है। दूर के छोटे ऑप्शन का चार्ट "मुव्ह की तुलना करने के लिये" देखा जा सकता है।

D ) "दोन स्टॉप लॉस की कीमतों में जो छोटी है, वह स्टॉप लॉस चुनें।" और जाहिर सी बात है की इससे लॉस कम होगा।

स्मॉल ऑप्शन स्टॉक्स इन इंडिया

लॉट साइज के बड़े होने से एकदम छोटा ऑप्शन लेने जायें तो भी बहुत कॅपिटल की जरूरत होती है। हमें ट्रेडिंग करने के लिए कम क्वांटिटी वाला अच्छा शेअर चुनना होता है। "जिस शेअर का प्राइस ज्यादा है उसका लॉट साइज कम होता है।" समय-समय पर लॉट साइज में बदलाव होतें रहतें है।

छोटे ऑप्शन का स्टडी

इसमें क्या-क्या स्टडी करना है। कौन-कौन से टॉपिक समज़ने है। यह समझ लें तो बहुत आसान है। तो आइये मिलकर शुरू करतें है।

1 ) पहला कदम यह है की Stock Market क्या है यह प्राथमिक जानकारी लेना। यह हमें मालूम है तो आगे बढ़ते है।

2 ) फिर हमें फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस के बारें में जानना है। इससे हमें ऑप्शन्स ट्रेडिंग करते वक्त आसानी होतीं है। लगातार बनते चार्ट पर सही तरीके से "टेक्निकल सेट-अप" लगाना फायदेमंद होता है।

3 ) चार्ट्स के अलग अलग प्रकार होतें है। इनका स्टडी करके अपने हिसाब से चार्ट सिलेक्ट करना है। ज्यादातर ट्रेडर्स "कॅंडल स्टिक चार्ट" का इस्तेमाल करतें है। शेअर के चार्ट में व्होलॅटिलिटी कम होनी चाहिये। शेअर में रिव्हर्सल में ट्रेड लेना और नयी पोजीशन के लिये ट्रेड लेना मुमकिन होना चाहिये। याने की जिन चार्ट पर एक तरफा के अच्छे मुव्ह दिखतें है। उनमें छोटा ऑप्शन ट्रेड लें सकतें है।

4 ) चार्ट सिलेक्ट करने के बाद चार्ट पर "सपोर्ट, रेजिस्टेन्स और ट्रेन्ड लाइन" का इस्तेमाल करना, सीखना चाहिये। हमें यह सही से करना आता है। तो अब यहाँ से आगे बढ़ते है।

5 ) कंपनी के शेअर का छोटा ऑप्शन लेने के लिये उस "कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस" करना चाहिये। ताकि उभरते हुए ट्रेन्ड के साथ तालमेल बनाके काम किया जाये।

इन बातों का स्टडी करके हम आत्मविश्वास के साथ छोटा ऑप्शन लें सकतें है। मन में सवाल यह उठेगा की थोड़ा पैसा ही तो लगाना है इसके लिये इतना स्टडी क्यों करना है। जवाब में कहते है की स्टडी, "थोड़ा पैसा लगाने के लिये और बड़ा पैसा कमाने के लिये करना है।" यह स्टडी करके हम छोटा ही क्या बड़े से बड़ा ऑप्शन लें सकेंगे। है की नहीं? और मुझे पूरी उम्मीद है की हम मिलकर यह कर सकतें है। कुछ डिफिकल्टी आये तो कमेंट में लिखना। अभी पूरा नहीं हुआ है। आगे हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध है। तो चलिये आगे बढ़ते है।

छोटे ऑप्शन्स ट्रेडिंग की स्टाइल

स्टाइल याने की "काम करने का तरीका।" अपनी चाहत के अनुसार हम शेअर या इंडेक्स का चुनाव करतें है। उसके बारें में सारा स्टडी करतें है। और अपनी एक खास स्टाइल बनातें है। यहाँ पर एक स्टाइल दी गयी है। जिसके जरिए हम, फियर और ग्रीड को कंट्रोल करके ट्रेडिंग कर सकतें है।

future & option क्या होता हे ?

future & option kya hota he

future & option kya hota he

future & option

future and option ट्रेडिंग ये एक डेरीवेटिव होते हे। और ये कॉन्ट्रैक्ट होता हे जिसकी एक्सपायरी होती हे। फ्यूचर और ऑप्शन को मार्किट में लानेका उदेश्य risk managment के लिए हे ,लेकिन दोनों में बहुत फरक हे ,फ्यूचर और ऑप्शन दोनों अलग अलग कॉन्ट्रैक्ट्स या derivetives हे। और ये सिर्फ ट्रेडिंग के लिए बनाये गए हे।

future market

फ्यूचर मार्किट एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट होता हे। जैसे की हमें लगता हे शेयर का प्राइज फ्यूचर में बढ़ेगा तो हम उस स्टॉक को खरीद लेते हे और फायदा होने पे बेच देते हे। लेकिन इसकी एक्सपायरी होती हे जोकि हमें हमारा शेयर एक्सपायरी के पहले बेचना होता हे। चलो अभी इसे एक उदाहरन लेके समजते हे –

example

जैसे की एक किसान ने अपने खेत में आलू लगाया हे। और आलू की कीमते घटती बढाती रहती हे तो उस किसान को चिंता रहती हे की मेरे आलू को बाजार में क्या भाव मिलेगा। क्युकी उसको आलू उगने में १० रु का खर्च्या आया हे. तो उसे लगता हे की मुझे २० या २५ रु मिल जाये तो बहुत बढ़िया रहेगा। यह सोचकर वो बाजार में चला जाता हे। और उसी बाजार में व्यापारी भी होते हे। उन्हें भी आलू लेने होते हे उनको लगता हे की कम से कम दाम में हमें आलू मिल जाये तो अच्छा रहेगा। क्युकी उन्हें भी आगे बाजार में उन आलू को ज्यादा भाव में बेचकर प्रॉफिट कमाना हे।

अब वह व्यापारी उस किसान से वो आलू ३० रु के भाव में खरीद लेता हे। अभी किसान का तो काम हो गया उसको उसके मुताबिक जितना चाहता था उतने से अच्छा भाव मिल गया। अभी वो बाजार से बहार हो गया। अभी बारी आती हे व्यापारी की अभी उसका जो प्रॉफिट हे वो तो अभी बाजार पैर निर्भर हे. जैसे बाजार में भाव बढ़ा उसको प्रॉफिट मिलेगा। और अगर बाजार का भाव गिरा तो उसको नुकसान होता , अब यही संकल्पना शेयर मार्किट में समझते हे।

शेयर मार्किट में जो खरीदने (buyers) वाले होते हे वो होते हे व्यापारी। इसका मतलब buyers ने अभी शेयर्स खरीद लिए अभी उनका प्रॉफिट मार्किट पे निर्भर रहता हे. जब मार्किट में शेयर का भाव ऊपर जायेगे तब उनको प्रॉफिट होगा। और अगर मार्किट निचे गिरा तो buyers को नुकसान होगा। और ये सिमित रहता हे एक्सपायरी दीन तक, इस पूरी संकल्पना को ही फ्यूचर मार्किट या फ्यूचर ट्रडिंग कहते हे।

फ्यूचर मार्किट ये eqity market एडवांस लेवल होता हे। फ्यूचर मार्किट एक standerlized कॉन्ट्रैक्ट होता हे। जो मार्किट के एक्सपायरी पे निर्भर होता हे और उसकी एक्सपायरी निच्छित होती हे। फ्यूचर मार्किट में हम स्टॉक की खरेदी और विक्री मार्जिन लेकर कर सकते हे इसके लिए हम पुरे पैसे देने की कोई जरुरत नहीं होती।

फ्यूचर मार्किट में और भी सकल्पनाये होती हे जैसे की स्टॉक की लॉट साइज,कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी ,mark to market . फ्यूचर मार्किट में हर एक स्टॉक की एक फिक्स लॉट साइज (lot size) होती है.मतलब जितना किसी स्टॉक की लॉट साइज होती हे उतनी ही हमें लेनी पड़ती हे। और कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी में कॉन्ट्रैक्ट के तीन तरह के प्रकार होते हे पहला near month ,दूसरा mid month ,तीसरा far month . और near month की एक्सपायरी महिले महीने के आखरी गुरुवार को होती हे। mid month की एक्सपायरी दूसरे महीने के आखरी गुरुवार को होती हे और far month की एक्सपायरी तीसरे महीने के आखरी गुरुवार को होती हे।

option marketfuture and option

option market

future and option दोनों अलग अलग हे। ऑप्शन फ्यूचर से बना हे लेकिन वो प्रीमियम बेस पर काम करता हे जैसे की हमें शेयर की चालू कीमत को खरीदने की कोई जरुरत नहीं। हम उसका एक छोटासा premium amount देकर उसे खरीद सकते हे. और प्रॉफिट होने पर उसे बेच दे सकते हे। और इसकी एक फिक्स एक्सपायरी होती हे।

जैसे हमने आज कोई स्टॉक का प्रीमियम खरीद लिए और फ्यूचर में स्टॉक की मैन प्राइज (strike prize ) बढ़ गयी तो हमारा प्रीमियम भी बढ़ेगा। और अगर स्ट्राइक प्राइज निचे गिरती हे तो हमारा प्रीमियम भी निचे गिरता हे मतलब स्टॉक की मेन प्राइज अगर बढ़ेगी तो हमें प्रॉफिट होता क्युकी उसके साथ साथ हमारा प्रीमियम भी बढ़ेगा। और अगर स्टॉक प्राइज निचे गिरता हे तो हमारा प्रीमियम एक्सपायरी तक जीरो हो जायेगा ये बात ध्यान में रख लीजिये।

call & put options

option में प्रकार होते हे एक होता हे call option और एक होता हे put option . पहला call option में call के अंदर खरीदना मतलब आप तेजी की ओर हे और कॉल के अंदर बेचना मतलब आप मंदी की ओर हे। और वैसे हे दूसरा put option में put के अंदर खरीदना मतलब आप मंदी की ओर हे ,और अगर आप put के अंदर कोई स्टॉज बेचते हो तो इसका मतलब आप तेजी की तरफ हे.और इन दोनों की भी एक्सपायरी निच्छित होती हे।

फ्यूचर और ऑप्शन में ट्रेडिंग करके के लिए आपको technical analysis को समझने की बाहर जरुरत होती हे ,इससे आपको ट्रेडिंग में मदत होगी की चार्ट को कैसे देखते हे ट्रेंड लाइन क्या होती हे जो की ट्रेडिंग के लिए बहुत महत्व पूर्ण में अगर आपको technical analysis kya hota he समझना हे तो आप मेरी पिछली पोस्ट में जाकर पढ़ सकते हे उसमे मैंने पुरे डिटेल्स में समझाया हे की टेक्निकल एनालिसिस क्या होता हे और कैसे किया जाता हे वो सभी बाटे उस पोस्ट में लिखी हे .

आपने सुना होगा की ऑप्शन ट्रेडिंग से लोग लाखो रु कमाते हे , सही हे लेकिन में आपसे विनती करूँगा की आप बिना नॉलेज के इसमें न पड़े. मैंने लोगो लाखो रु गवाते भी देखा हे इस ऑप्शन ट्रेडिंग में। तो कृपया आप इसका आप पहले नॉलेज (ज्ञान )ले। और धीरे धीरे इसे सीखे और सिखने के बाद छोटे छोटे अमाउंट से इसमें ट्रेडिंग करे। और जब आप इसमें एक्सपर्ट हो जायेंगे तब आप इसमें लाखो क्या करोडो कमा सकते हे।

यकीं हे आजकी हमारी ये पोस्ट आपको पसंद आयी होगी ,अगर आपको कुछ समज न आया हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर भेज सकते हे.ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है और आपका future and option की संकल्पना समज में आ गयी होती।

और ऐसेही शेयर मार्किट पर ब्लॉग आप पढ़ना चाहते हो तो हमें आप subscribe कर सकते हो. और नयी पोस्ट आने के बाद आपको नोटिफिकेशन मिल जायेगा। और अगर आज की ये पोस्ट अच्छी लगे तो कृपया उसे शेयर जरूर कीजियेगा। धन्यवाद !

फ्यूचर और ऑप्शन में क्या अंतर है? Diffrence Between Future & Option Hindi

फ्यूचर और ऑप्शन डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग का हिस्सा है। फ्यूचर और ऑप्शन कॉन्ट्रक्ट पोर्टफोलियो हेजिंग केलिए सुरु किया गया था। मगर इसको लोगों ने ट्रेडिंग केलिए इस्तेमाल करने लग गए थे। शेयर बाजार में फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग में सबसे लोकप्रिय ऑप्शन ट्रेडिंग है। कारण फ्यूचर ट्रेडिंग में बहोत ज्यादा मार्जिन लगता है। इसमें आपको रिटर्न्स भी ऑप्शन ट्रेडिंग के मुकाबले बहोत कम मिलता है। आपको अच्छे से फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में जानने केलिए नीच दिए गए लेक को पढ़े।

फ्यूचर और ऑप्शन में क्या अंतर है?

इक्विटी बाजार में ट्रेडिंग 2 सेगमेंट होते है

1) कैश ट्रेडिंग

इस प्रकार के ट्रेडिंग में आप मॉर्निज के बिना आपके खुदके पैसों ट्रेडिंग कर सकते है। इसमें आप शेयर की दिलीविरी लेकर खरीद और बिक्री कर ट्रेडिंग करते है। इसमें आपको बहोत कम रिटर्न्स मिलता है। मगर इसमें आर्थिक जोखिम भी बहोत कम होता है। शेयर बाजार में पेशे आदर ट्रेडर इस तरह के ट्रेडिंग नहीं करते है । इसमें लेवल लघु समय ( < 1 वर्ष ) के निवेशक ट्रेडिंग करते है।

2) डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग

इस प्रकार के ट्रेडिंग में आप ब्रोकर मॉर्निज पैसों के साथ आपके ट्रेडिंग कर सकते है। इसमें आप स्टॉक ( ITC , HDFC , Reliance ) , करेंसी ( USD/INR ) , इंडेक्स ( NIFTY 50 / SENSEX ) और कमोडिटी ( Cruid Oil , Gold , Silver ) की दिलीविरी लिए बिना खरीद और बिक्री कर ट्रेडिंग करते है। इसमें आपको बहोत ज्यादा रिटर्न्स मिलता है। मगर इसमें आर्थिक जोखिम बहोत ज्यादा होता है। शेयर बाजार में पेशेदार ट्रेडर इस तरह के ट्रेडिंग करते है ।

डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग 2 तरह के होते है

a) फ्यूचर ट्रेडिंग

शेयर मार्किट में फ्यूचर ट्रेडिंग या फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट ट्रेडिंग का मतलब होता हे की आप किसी भी स्टॉक / इंडेक्स को उसकी एक्सपाइरी डेट से पहले खरीद या बेच सकते हे, कोई भी फिक्स प्राइस पर।

b) ऑप्शन ट्रेडिंग

शेयर बाजार मेंहर दिन शेयर और इंडेक्स की मूल्य ऊपर नीचे होते रहता है । इस में अगर आप किसी शेयर को भबिष्य के किसी निधारित मूल्य (strick price) में बेचना और ख़रीदना हो तो आपको किसी के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट करना होता है । इस को आसान भासा में स्टॉक हेजिंग कहे ते है इस के निबेश की रिस्क कम होजा ता है । सभी कॉन्ट्रैक्ट का एक निधारित समय सीमा होता है । इसी कॉन्ट्रैक्ट (Option) को बेचना और खरीदना को option trading कहते है ।

ट्रेडिंग करने केलिए सबसे अच्छी ट्रेडिंग कंपनी कौन सी है?

बाजार में बहोत सारे ऐप है जो कि ऑप्शन ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है ट्रेडिंग देते है मगर सबमें अलग ब्रोकेज चार्ज और मार्जिन के नियम अलग अलग है । इस लिए आपको बहोत सावधानी से अपना ब्रोकर चुने । में आपको कुछ ब्रोकर की सलाह देसकता है ।

1. जेरोधा सेकुरिट्स
2. ऐंजल ब्रोकिंग
3. मोतीलाल ओसबल सेकुरिट्स
4. IIFL सेकुरिट्स
5. उप स्टॉक

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