क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर

वहीं, विदेश में अमेरिकी मुद्रा की मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के चलते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को शुरुआती कारोबार में 31 पैसे टूटकर अब तक के सबसे निचले स्तर 80.15 रुपये पर आ गया है. रुपया शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले 79.84 पर बंद हुआ था. इससे पहले रुपये का ऑल टाइम लो 80.06 था.
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी, विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 537.518 अरब डॉलर
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार आठवें हफ्ते भी गिरावट दर्ज की गई। 23 सितंबर को समाप्त सप्ताह के जारी आंकड़ों के मुताबिक यह यह 8.134 अरब डॉलर घटकर 537.518 बिलियन रह गया है। इसकी जानकारी रिजर्व बैंक ने दी।
लगभग 70 अरब डॉलर घट चुका है विदेशी मुद्रा भंडार
इस वित्तीय वर्ष में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 70 अरब डॉलर तक की कमी हो चुकी है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने तथा अमेरिकी बॉन्ड यील्ड के बढ़ने से विनिमय दर में बदलाव देखने को मिला है। इस वित्तीय वर्ष में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में काफी गिरावट देखने को मिली है। 2 अप्रैल को देश का विदेशी भंडार 606.475 अरब डॉलर था जो अब घटकर 537.5 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया है।
रुपए के मूल्य में गिरावट के मायने
व्यापक व्यापार घाटे के साथ हाल ही में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण भारतीय रुपए के मूल्य में गिरावट दर्ज़ की गई और कुछ ही समय पहले यह अब तक के निचले स्तर पर पहुँच गया। रुपए के मूल्य में हो रही गिरावट आम आदमी से लेकर अर्थव्यवस्था तक सभी के लिये चिंता का विषय बनी हुई है। ऐसे में यह जानकारी होना आवश्यक है कि रुपए के मूल्य में हो रही गिरावट के मायने क्या हैं?
- विदेशी मुद्रा भंडार के घटने या बढ़ने का असर किसी भी देश की मुद्रा पर पड़ता है। चूँकि अमेरिकी डॉलर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा माना गया है जिसका अर्थ यह है कि निर्यात की जाने वाली सभी वस्तुओं की कीमत डॉलर में अदा की जाती है।
- अतः भारत की विदेशी मुद्रा में कमी का तात्पर्य यह है कि भारत द्वारा किये जाने वाले वस्तुओं के आयात मूल्य में वृद्धि तथा निर्यात मूल्य में कमी।
- उदहारण के लिये भारत को कच्चा तेल आदि खरीदने हेतु मूल्य डॉलर के रूप में चुकाना होता है, इस प्रकार भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से जितने डॉलर खर्च कर तेल का आयात किया उतना उसका विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ इसके लिये भारत उतने ही डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात करे तो उसके विदेशी मुद्रा भंडार में हुई कमी को पूरा किया जा सकता है। लेकिन यदि भारत से किये जाने वाले निर्यात के मूल्य में कमी हो तथा आयात कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही हो तो ऐसी स्थिति में डॉलर खरीदने की ज़रूरत होती है तथा एक डॉलर खरीदने के लिये जितना अधिक रुपया खर्च होगा वह उतना ही कमज़ोर होगा।
Forex Reserves: 7 हफ्तों से घटता जा रहा देश का विदेशी क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर मुद्रा भंडार, जानिए क्यों आ रही इसमें गिरावट
देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में लगातार सातवें हफ्ते गिरावट दर्ज की गई। RBI के आंकड़ों के मुताबिक, 16 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 5.219 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर रह गया। यह पिछले 2 सालों (2 अक्टूबर 2020 के बाद) का इसका सबसे निचला स्तर है। RBI ने शुक्रवार 23 सितंबर को यह जानकारी दी।
इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.23 अरब डॉलर घटकर क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर 550.87 अरब डॉलर रहा था।
16 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के पीछे सबसे मुख्य वजह फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) में 4.7 अरब डॉलर की गिरावट रही, जो अब घटकर 484.90 अरब डॉलर पर आ गया। फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA), दरअसल कुल विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा और प्रमुख हिस्सा होता है।
दो साल के निचले स्तर पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार, देश की अर्थव्यवस्था पर होगा असर?
दो साल के निचले स्तर पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार (फाइल फोटो)
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दो वर्षों में सबसे निचले स्तर पर आ गया। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में जानकारी क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर दी गई है। आरबीआई के अनुसार, रुपए 80 प्रति डॉलर के नीचे चला गया है, वहीं आरबीआई ने इसे ऊपर रखने के लिए काफी प्रयास किया था।
आरबीआई के साप्ताहिक क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर सांख्यिकीय आंकड़ों के अनुसार, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 19 अगस्त को समाप्त सप्ताह में 6.687 अरब डॉलर क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर गिरकर 564.053 अरब डॉलर हो गया, जो दो साल में सबसे कम और लगातार तीसरे सप्ताह में गिरावट है। नवीनतम सप्ताह में गिरावट की मात्रा, 6.687 बिलियन डॉलर है, जो जुलाई के मध्य के बाद सबसे बड़ी थी।
विदेशी मुद्रा भंडार का उद्देश्य क्या है?
फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व्स का सबसे पहला उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि रुपया तेजी से नीचे गिरता है या पूरी तरह से दिवालिया हो जाता है तो आरबीआई के पास बैकअप फंड है. दूसरा उद्देश्य यह है कि यदि विदेशी मुद्रा की मांग में वृद्धि के कारण रुपये का मूल्य घटता है, तो आरबीआई भारतीय मुद्रा बाजार में डॉलर को बेच सकता है ताकि रुपये के गिरने की रफ्तार को रोका जा सके. तीसरा उद्देश्य यह है कि विदेशी मुद्रा का एक अच्छा स्टॉक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए एक अच्छी छवि स्थापित करता है क्योंकि व्यापारिक देश अपने भुगतान के बारे में सुनिश्चित हो सकते हैं.
अमेरिका स्थित रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि उभरते बाजारों को खाद्य पदार्थों की अधिक कीमतों, अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व और टाइट फाइनेंशियल कंडीशंस से बड़े पैमाने पर बाहरी दबाव का सामना करना पड़ रहा है.