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टेक्निकल एनालिसिस

टेक्निकल एनालिसिस

टेक्निकल एनालिसिस क्या है?

पिछले कई अध्यायों को पढ़ने के दौरान हमने कई बार टेक्निकल एनालिसिस का ज़िक्र किया। अब हम आगे इसकी विस्तृत जानकारी लेते हुए देखेंगे कि टेक्निकल एनालिसिस कितना बहुमुखी हो सकता है। हम टेक्निकल एनालिसिस का आधार बनने वाले प्राथमिक अनुमानों और धारणाओं को भी देखेंगे। चलिए, हमेशा की तरह, पहले टेक्निकल एनालिसिस पर ध्यान देते हैं।

टेक्निकल एनालिसिस क्या है?

टेक्निकल एनालिसिस एक निवेश विश्लेषण तकनीक है जिसमें मूल्य के संभावित भविष्य के रूझानों की भविष्यवाणी करने के लिए एसेट के पिछले मूल्य और रूझानों का अध्ययन करते हैं। यह ऐतिहासिक जानकारी का उपयोग करके आने वाले भविष्य का अनुमान लगाने की कोशिश करता है, ताकि ट्रेडर संभावित रूझानों का इस्तेमाल कर मुनाफ़ा कमा सकें।

जैसा कि आप देख सकते हैं कि इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य ऐतिहासिक मूल्य रूझानों का विश्लेषण करके भविष्य की कीमत के रूझान का अनुमान लगाना है। यह दृष्टिकोण फंडामेंटल एनालिसिस से बहुत अलग है, जो हर दिशा से निवेश का मूल्यांकन करने और एक एसेट को प्रभावित करने वाले मात्रात्ममक और गुणात्मक कारकों का विश्लेषण करने पर केंद्रित है। वास्तव में यह अंतर ही शेयरों और दूसरे एसेट के टेक्निकल एनालिसिस को बहुमुखी बनाता है।

बहुमुखी प्रयोग

चलिए रोज़मर्रा की दो गतिविधियां लेते हैं जैसे, खाना बनाना और ड्राइविंग। अब खाना पकाने के लिए प्रत्येक व्यंजन की रेसिपी अलग है। आप एक ही रेसिपी से दो अलग अलग व्यंजन बनाकर, अलग अलग स्वाद की उम्मीद नहीं कर सकते। दूसरे शब्दों में, हर बार जब आप नया व्यंजन बनाते हैं तो आपको अलग सामग्री का उपयोग करने और इसके लिए अलग विधि का पालन करने की आवश्यकता होती है।

फंडामेंटल एनालिसिस कुछ ऐसा ही है। जैसे, हर एसेट के फंडामेंटल पूरी तरह से अलग होते हैं, इसलिए उन मूल सिद्धांतों के विश्लेषण की प्रक्रिया भी हर निवेश विकल्प के लिए बदलती है। उदाहरण के तौर पर, हमने पहले के एक मॉड्यूल में देखा कि इक्विटी शेयरों का फंडामेंटल एनालिसिस करने के लिए आपको उद्योग का मूल्यांकन करने, कंपनी का आकलन करने और फिर उसके फाइनेंशियल्स का विश्लेषण करने के बाद शेयर के मूल्य पर पहुँचना होता है। अब अगर आप एक अलग एसेट, जैसे कृषि उत्पाद का फंडामेंटल एनालिसिस कर रहे हैं, तो ये दृष्टिकोण उस पर काम नहीं करेगा।

ऐसी स्थिति में आपको अलग पहलुओं पर ध्यान देने की ज़रूरत होगी, जैसे मौसम का पैटर्न, फसल चक्र, उसकी मांग और आपूर्ति। अब एक गैर-कृषि उत्पाद के फंडामेंटल, फसल के लिए अध्ययन किए गए फंडामेंटल से अलग होंगे।

लेकिन टेक्निकल एनालिसिस में यह बहुत आसान है। विश्लेषण की केंद्रीय धारणा एक ही रहती है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह के एसेट का मूल्यांकन कर रहे हैं। यह काफी हद तक बाइक चलाने जैसा है। एक बार जब आप एक तरह की बाइक चलाना सीख जाते हैं तो आप व्यावहारिक रूप से किसी भी बाइक की सवारी कर सकते हैं। इसमें कुछ छोटे-मोटे बदलाव हो सकते हैं, लेकिन तकनीक बहुत हद तक समान ही रहते हैं। है ना?

इसी तरह टेक्निकल एनालिसिस, जिसे आप जब एक बार सीख लेते हैं, तो इसे किसी भी प्रकार के एसेट पर आसानी से लागू किया जा सकता है। सभी एसेट के लिए डाटा का वर्ग काफी हद तक समान ही रहता है, हाई प्राइस पॉइंट, लो प्राइस पॉइंट व्यापार किए गए एसेट की मात्रा आदि। यही कारण है कि टेक्निकल एनालिसिस एक बहुमुखी निवेश विश्लेषण तकनीक है जिसे विभिन्न प्रकार के एसेट्स पर लागू किया जा सकता है।

टेक्निकल एनालिसिस की मूल धारणाएँ

अब आप जानते हैं कि जब विश्लेषण के मैट्रिक्स की बात आती है, तो टेक्निकल एनालिसिस बहुत सीधा और सरल है। यह तकनीक केवल पिछले मूल्य और एसेट के व्यापार की मात्रा पर केंद्रित है और इस जानकारी के सहारे भविष्य के रूझानों का अनुमान लगाया जाता है।

इसलिए पिछले डाटा और संभावित भविष्य रूझानों के बीच संबंध स्थापित करने के लिए कुछ धारणाओं या अनुमानों की आवश्यकता होती है। यहां टेक्निकल एनालिसिस की तीन मुख्य धारणाएं हैं:

बाज़ार सब जानता है

कुशल बाज़ार परिकल्पना याद है? जो मानती है कि बाज़ार हर तरह की जानकारी का हिसाब लगाकर उसके प्रभाव को शेयरों की कीमत में शामिल कर लेता है, चाहे वो जानकारी सार्वजनिक हो या निजी या ऐतिहासिक। शेयर और अन्य एसेट्स का टेक्निकल एनालिसिस भी कुछ इसी लाइन पर काम करता है। यह तकनीक इस धारणा पर आधारित है कि कोई भी जानकारी जो किसी एसेट के लिए अहम है वह पहले से ही उस एसेटकी कीमत में शामिल है। दूसरे शब्दों में, बाज़ार पहले से ही सभी उपलब्ध और अफ़वाह जैसी जानकारियों को एसेट की कीमत में शामिल कर लेता है।

तकनीकी विश्लेषक ये अध्ययन करते हैं कि इस सारी जानकारी के संबंध में शेयर की कीमत में किस तरह की प्रतिक्रिया होगी। और एसेट की कीमत के रूझानों के आधार पर विश्लेषक यह निर्धारित करते हैं कि वह एसेट खरीदने के लिए ठीक है या नहीं।

कीमतें रूझानों पर चलती हैं

टेक्निकल एनालिसिस के संबंध में हम जिन मूल्य रूझानों की बात करते रहते हैं वो कोई अनियमित रूझान नहीं है, कम से कम टेक्निकल एनालिसिस तो यही मानता है। इसके अनुसार, मूल्य परिवर्तन हमेशा एक निर्धारित रुझान पर या एक सेट पैटर्न पर चलता है, चाहे वो बुलिश/ तेज़ी(ऊपर की ओर) का हो या बेयरिश/ मंदी (नीचे की ओर )का। ऐसे पैटर्न को समय के साथ पहचाना जा सकता है। एक बार कीमत के रुझान स्थापित हो जाएं, तो शेयर और अन्य एसेट्स का टेक्निकल एनालिसिस यह मानता है कि एसेट उसी दिशा में चलता रहेगा, जब तक कि कोई नया रुझान नहीं आ जाता।

ये ट्रेंड या रुझान, प्रकृति के आधार टेक्निकल एनालिसिस पर छोटी, मीडियम या लंबी अवधि के हो सकते हैं। अगर आप शॉर्ट टर्म ट्रेडर हैं तो आपको छोटी-अवधि के ट्रेंड चार्ट को देखने की आवश्यकता होगी जो प्रति घंटा या मिनट-दर-मिनट के रूझानों को प्लॉट करता है। दूसरी ओर, अगर आप एक लॉन्ग टर्म ट्रेडर हैं तो आपके लिए साप्ताहिक या मासिक चार्ट अधिक उपयोगी साबित होगा।

इतिहास खुद को दोहराता है

यह शायद टेक्निकल एनालिसिस की सबसे मौलिक धारणा है। यह तकनीक मानती है कि मूल्य रुझान समय के साथ खुद को दोहराते है, क्योंकि मानव व्यवहार का एक निर्धारित तौर पर ही काम करता है। उदाहरण के तौर पर, जब बाज़ार में तेज़ी होती है और शेयर की कीमतें बढ़ रही होती हैं , तब भी ट्रेडर ऊँची कीमतों के बावजूद खरीदारी करते हैं, क्योंकि वो मानते हैं कि मूल्य आगे भी बढ़ते रहेंगे, और वो अभी शेयर खरीदकर उस बढ़ोतरी का फायदा उठा सकते हैं। इसी तरह मंदी के बाज़ार में लोग गिरती कीमतों के बावजूद अपने एसेट्स बेचते हैं।

क्योंकि हर बार मानव व्यवहार इसी तरह काम करता है, इसलिए मूल्यों के रुझान भी हमेशा समान ही रहते हैं। और इस धारणा के आधार पर टेक्निकल एनालिसिस अतीत की कीमतों के पैटर्न का अध्ययन करता है ताकि, यह अनुमान लगाया जा सके कि भविष्य के रुझान किस तरह काम करेंगे।

निष्कर्ष

इन प्राइस पैटर्न का अध्ययन करने के लिए टेक्निकल एनालिसिस विभिन्न प्रकार के चार्ट का उपयोग करता है। अगर आप चार्ट के प्रकारों के बारे में और कैंडलस्टिक्स- जो टेक्निकल एनालिसिस में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला चार्ट है, के बारे में अधिक अधिक जानने के लिए उत्सुक हैं तो हमने इन सभी को अगले अध्याय में शामिल किया है।

टेक्निकल एनालिसिस

1.1 संक्षिप्त विवरण पिछले मॉड्यूल में हमने स्टॉक मार्केट के बारे में ज़रूरी ज� ..

2. टेक्निकल एनालिसिस से परिचय

2.1 -संक्षिप्त विवरण पिछले अध्याय में हमने टेक्निकल एनालिसिस की परिभाषा को सम� ..

3. चार्ट के प्रकार

3.1 -संक्षिप्त विवरण अब हम जानते हैं कि बाजार के एक्शन को संक्षेप में देखने का स ..

4. कैंडलस्टिक को समझने की शुरुवात

4.1 इतिहास अपने को दोहराता है– सबसे बड़ी अवधारणा (Assumption) जैसे कि हम पहले भी बात क ..

5. सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न (भाग 1)

5.1 संक्षिप्त विवरण जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न एक क ..

6. सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न्स (भाग 2)

6.1- स्पिनिंग टॉप (The Spinning Top) स्पिनिंग टॉप एक बहुत ही रोचक कैंडलस्टिक है। यह मारूबो ..

7. सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न्स ( भाग 3)

7.1- पेपर अम्ब्रेला (Paper Umbrella) पेपर अंब्रेला एक ऐसा सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न है जो � ..

8. मल्टीपल कैंडलस्टिक पैटर्न (भाग 1)

8.1 – एनगल्फिंग पैटर्न (The Engulfing Pattern) सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न में एक ट्रेडर को केवल ..

9. मल्टीपल कैंडलस्टिक पैटर्न (भाग 2)

9.1 – हरामी पैटर्न (The Harami Pattern) इससे पहले कि आप कुछ और सोचें हम बता देते हैं, ‘हरा� ..

10. मल्टीपल कैंडलस्टिक पैटर्न (भाग 3)

अंतिम दो कैंडलस्टिक पैटर्न जिनका हम अध्ययन करेंगे वो हैं – मॉर्निंग स्टार ..

11. सपोर्ट टेक्निकल एनालिसिस और रेजिस्टेंस

कैंडलस्टिक पैटर्न के बारे में समझते हुए, हमने एंट्री (Entry) और स्टॉपलॉस (Stoploss) प्व� ..

12. वॉल्यूम

वॉल्यूम टेक्निकल एनालिसिस में बहुत जरूरी भूमिका निभाता है क्योंकि यह हमें � ..

13. मूविंग एवरेज

हम सब ने स्कूल में औसत के बारे में सीखा है, मूविंग एवरेज उसी का एक विस्तार है। � ..

14. इंडिकेटर्स -भाग 1

यदि आप किसी ट्रेडर के ट्रेडिंग टर्मिनल पर स्टॉक चार्ट को देखते हैं, तो आपको च� ..

15. इंडिकेटर्स -भाग 2

15.1 मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस एंड डाइवर्जेंस (Moving Average Convergence and Divergence – MACD) सत्तर के दश ..

16. फिबोनाची रीट्रेसमेंट्स

फिबोनाची रीट्रेसमेंट्स काफी रोचक विषय है। फिबोनाची रीट्रेसमेंट्स की अवधा� ..

17. डॉउ थ्योरी – भाग 1

टेक्निकल एनालिसिस का एक बहुत अभिन्न अंग है – डॉउ थ्योरी । कैंडलस्टिक्स के � ..

18. डॉउ थ्योरी – भाग 2

18.1- ट्रेडिंग रेंज (Trading Range) डबल और ट्रिपल फॉर्मेशन के बाद अगला मुद्दा रेंज वाला ब� ..

19. शुरू करने से पहले कुछ ज़रूरी जानकारी

19.1 – चार्टिंग सॉफ्टवेयर (The charting Software) पिछले 18 अध्यायों में हमने टेक्निकल एनालिस ..

20. कुछ ज़रूरी नोट्स – 1

ऐवरज डायरेक्शनल इंडेक्स (Average Directional Index- ADX) ऐवरज डायरेक्शनल इंडेक्स, डायरेक्शनल म ..

21. ट्रेडिंगव्यू के उपयोगी फीचर

यदि आप अब तक नहीं जानते हैं, तो हम बता दें कि अब ट्रेडिंगव्यू (TV) जेरोधा काइट पर ..

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टेक्निकल एनालिसिस से परिचय

2.1 -संक्षिप्त विवरण

पिछले अध्याय में हमने टेक्निकल एनालिसिस की परिभाषा को समझा। इस टेक्निकल एनालिसिस अध्याय में हम इसकी अवधारणाओं और इसके कुछ उपयोगिताओं को जानेंगे।

2.2- अलग अलग परिसंपत्ति यानी एसेट (Asset) में उपयोग

टेक्निकल एनालिसिस की सब से खास उपयोगिता यह है कि किसी भी तरीके के एसेट क्लास में इसका उपयोग किया जा सकता है। शर्त सिर्फ एक है कि उस एसेट क्लास का पुराना ऐतिहासिक डाटा उपलब्ध हो। ऐतिहासिक डाटा का मतलब है कि उस ऐसेट का ओपन , हाई , लो , क्लोज ( OHLC) और वॉल्यूम का डाटा मौजूद हो।

इसे एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं। अगर आपने एक बार कार चलाना सीख लिया तो आप किसी भी तरीके की कार चला सकते हैं। इसी तरह से अगर आपने एक बार टेक्निकल एनालिसिस सीख लिया तो आप इसका इस्तेमाल शेयर ट्रेडिंग , कमोडिटी ट्रेडिंग , विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग , फिक्स्ड इनकम प्रॉडक्ट , कहीं भी कर सकते हैं।

किसी भी दूसरे तरीके की तकनीक के मुकाबले टेक्निकल एनालिसिस का यह सबसे बड़ा फायदा है। उदाहरण के तौर पर फंडामेंटल एनालिसिस में आपको हर शेयर का घाटा मुनाफा , बैलेंस टेक्निकल एनालिसिस शीट , कैश फ्लो जैसी तमाम चीजें देखनी पड़ती है जबकि कमोडिटी के एनालिसिस में इनमें से बहुत सारी चीजें काम नहीं आती। आपको नए तरीके का डाटा इस्तेमाल करना पड़ता है।

अगर आप खेती से जुड़ी कमोडिटी जैसे कॉफी या काली मिर्च की फंडामेंटल एनालिसिस करना चाहते हैं , तो आपको मॉनसून , उपज या पैदावार , मांग , आपूर्ति , रखा हुआ माल जैसी तमाम चीजों के बारे में जानकारी जुटानी होगी। इसी तरीके से अगर धातु या मेटल के बारे में या एनर्जी से जुड़े कमोडिटी जैसे कच्चा तेल की फंडामेंटल एनालिसिस करना है , तो आपको अलग तरह का डाटा चाहिए होगा।

लेकिन हर एसेट क्लास की टेक्निकल एनालिसिस एक ही तरीके से ही की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर मूविंग एवरेज कन्वर्स डायवर्जेंस ( MACD- moving average convergence divergence) या रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स ( RSI-Relative Strength Index) को किसी भी ऐसेट क्लास जैसे इक्विटी कमोडिटी या करेंसी में इस्तेमाल किया जा सकता है।

2.3- टेक्निकल एनालिसिस की अवधारणाएं

टेक्निकल एनालिसिस इस बात पर ध्यान नहीं देती कि कोई शेयर अंडरवैल्यूड यानी अपनी वास्तविक कीमत से सस्ता है या ओवरवैल्यूड यानी अपनी वास्तविक कीमत से महंगा है। टेक्निकल एनालिसिस में सिर्फ एक चीज का महत्व है – और वह है शेयर का पुराना ट्रेडिंग डाटा और यह डाटा आगे आने वाले समय के बारे में क्या संकेत दे सकता है।

टेक्निकल एनालिसिस कुछ मूलभूत अवधारणाओं पर आधारित होती है , जिनके बारे में जानना जरूरी है :

  1. बाजार हर जरूरी चीज को कीमत में शामिल कर लेता है (Markets discount everything)- ये अवधारणा हमें बताती है कि किसी शेयर से जुड़ी हर सूचना या जानकारी उस शेयर की बाजार कीमत में शामिल हो जाती है। उदाहरण के तौर पर कोई व्यक्ति अगर किसी शेयर को चुपचाप बाजार से खरीद रहा है क्योंकि शायद उसे पता है कि कंपनी का अगला तिमाही नतीजा अच्छा आने वाला है तब शेयर से मुनाफा होगा। वह व्यक्ति भले ही ये छुपा कर कर रहा हो लेकिन शेयर की कीमतों में इसका असर दिखने लगता है। एक अच्छा टेक्निकल एनालिस्ट शेयर के चार्ट पर इसको पहचान लेता है और वह इस शेयर को खरीदने के लिए उपयुक्त मानता है।
  2. “क्यों” से ज्यादा जरूरी है “क्या”– यह अवधारणा पहली अवधारणा से ही मिली हुई है। हमारे पिछले उदाहरण में ही अगर देखें तो एक अच्छा टेक्निकल एनालिस्ट यह नहीं जानना चाहेगा कि उस व्यक्ति ने यह शेयर क्यों खरीदा? टेक्निकल एनालिस्ट टेक्निकल एनालिसिस का पूरा ध्यान इस बात पर होगा कि उस व्यक्ति के छुपा कर की गई खरीदारी से शेयर की कीमतों पर क्या असर हो रहा है और आगे क्या होगा?
  3. कीमत में एक चलन दिखता है (Price moves in trend)– टेक्निकल एनालिसिस के मुताबिक कीमत में हर बदलाव एक खास ट्रेंड या चलन को बताता है। उदाहरण के तौर पर- निफ़्टी का 6400 से बढ़कर 7700 तक पहुंचना- एक दिन में नहीं हुआ। यह चलन 11 महीने पहले शुरू हुआ था। इसी से जुड़ी हुई एक दूसरी अवधारणा यह है कि जब एक तरफ की चाल शुरू होती है तो शेयर की कीमत भी उसी दिशा में बढ़ती जाती हैं , कभी उपर की तरफ तो कभी नीचे की तरफ।
  4. इतिहास अपने को दोहराता है– टेक्निकल एनालिसिस के मुताबिक टेक्निकल एनालिसिस कीमत का चलन अपने आप को दोहराता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बाजार के भागीदार एक तरीके की घटना पर हर बार एक ही तरीके की प्रतिक्रिया देते हैं। इसीलिए शेयर की कीमत एक ही तरीके से चलती हैं। उदाहरण के तौर पर ऊपर जा रहे बाजार में बाजार का हर खिलाड़ी किसी भी कीमत पर शेयर खरीदना चाहता है भले ही वह शेयर कितना भी महंगा हो। इसी तरीके से गिरते हुए बाजार में वह किसी भी कीमत पर बेचना चाहते हैं भले ही शेयर की कीमत अपनी वास्तविक कीमत से बहुत सस्ती हो। इंसान की इसी आदत की वजह से इतिहास अपने को दोहराता है।

2.4- बाजार पर नजर रखने का तरीका (The Trade Summary)

भारतीय शेयर बाजार सुबह 9:15 से 3:30 बजे तक खुले रहते हैं। इन 6 .15 घंटों में लाखों ट्रेड होते हैं। किसी एक शेयर में भी हर मिनट कोई ना कोई सौदा हो रहा होता है। सवाल यह उठता है कि बाजार के भागीदार के तौर पर क्या हमें हर सौदे पर नजर रखनी चाहिए?

इसपर गहराई से नजर डालने के लिए हम एक काल्पनिक शेयर की बात करते हैं। नीचे के चित्र पर नजर डालिए , हर बिंदु एक ट्रेड को दिखलाता है। अगर हम हर सेकंड होने वाले वाले हर सौदे को इस ग्राफ पर दिखाएंगे तो इस ग्राफ में कुछ भी नहीं दिखेगा। इसलिए यहां केवल कुछ महत्वपूर्ण बिंदु ही दिखाए जा रहे हैं।

Daily Trade Pattern: दैनिक ट्रेड पैटर्न

बाजार सुबह 9 :15 बजे खुला और शाम के 3:30 बजे बंद हुआ। बाजार का रूख समझने के लिए , इस दौरान जितने भी ट्रेड हुए उन सब को देखने के बजाय उनका एक संक्षिप्त विवरण देख लेना ही काफी होगा।

अगर हम बाजार में ओपन यानी खुलने की कीमत , हाई यानी सबसे ऊंची कीमत , लो यानी सबसे नीची कीमत और क्लोज यानी अंतिम कीमत को देखें तो हमें बाजार का एक मोटा-मोटी सार मिल जाएगा।

ओपन कीमत यानी खुलने के समय की कीमत : जब बाजार खुलता है तो उस समय होने वाले पहले ट्रेड या सौदे की कीमत ओपन कीमत होती है।

हाई यानी सबसे ऊँची कीमत: उस दिन जिस की सबसे ऊँची कीमत जिस पर कोई सौदा हुआ।

सबसे नीची कीमत यानी लो : दिन की वो सबसे नीची कीमत जिस पर सौदा हुआ।

बंद के समय कीमत यानी क्लोज: दिन के आखिरी सौदे में जो कीमत रही। ये कीमत काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इससे पता चलता है कि दिन में शेयर कितना मजबूत रहा। अगर बंद कीमत ऊपर है खुलने वाली कीमत से तो तेजी का दिन माना जाता है। इसी तरह अगर बंद के समय की कीमत अगर खुलने के समय की कीमत से नीचे रहे तो उसे मंदी का दिन माना जाता है।

क्लोज या बंद कीमत को अगले दिन के लिए संकेत के तौर पर भी देखा जाता है और इससे बाजार का मूड आंका जाता है। इसीलिए OHLC में C यानी क्लोज (Close) सबसे महत्वपूर्ण होता है।

टेक्निकल एनालिसिस में इन चारों कीमतों को देखा जाता है। इनको एक चार्ट पर डाल कर एनालिसिस की जाती है।

क्या है टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस? किसी शेयर में निवेश से पहले जानें इसकी अहमियत

शेयर मार्केट में निवेश के समय टेक्निकल एनालिसिस करते समय कुछ फंडामेंटल भी देखना चाहिए और इसी प्रकार फंडामेंटल एनालिसिस करते समय टेक्निकल पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही स्टॉक मार्केट में निवेश को लेकर कई रिकमंडेशन या टिप्स मिलते हैं जिससे आपको खुद एनालिसिस करना चाहिए।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट के लिए बेहतरीन शेयरों का चयन करना पहला स्टेप होता है। इसके लिए मुख्य रूप से दो प्रकार के एनालिसिस होते हैं। पहला फंडामेंटल एनालिसिस और दूसरा टेक्निकल एनालिसिस। लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि इन दोनों ही एनालिसिस के जरिए शेयरों का चयन किया जाता है व कभी एक एनालिसिस के जरिए स्टॉक मार्केट से मुनाफे की रणनीति को अपनाया जाता है।

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शेयर मार्केट में निवेश के समय टेक्निकल एनालिसिस करते समय कुछ फंडामेंटल भी देखना चाहिए और इसी प्रकार फंडामेंटल एनालिसिस करते समय टेक्निकल पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही, स्टॉक मार्केट में निवेश को लेकर कई रिकमंडेशन या टिप्स मिलते हैं जिससे आपको खुद एनालिसिस करना चाहिए। तो ऐसे में आइए जानते हैं कि फंडामेंटल एनालिसिस और दूसरा टेक्निकल एनालिसिस क्या है और दोनों में क्या फर्क है।

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टेक्निकल एनालिसिस

टेक्निकल एनालिसिस फंडामेंटल एनालिसिस की तुलना में अधिक कांप्लेक्स है। इसके तहत रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI), बोलिंजर बैंड्स (Bollinger Bands) जैसे 30-40 टेक्निकल इंडिकेटर का एनालिसिस किया जाता है। इस एनालिसिस में स्टॉक की मजबूती और रुझानों ध्यान में रखकर का अनुमान लगाया जाता है।

फंडामेंटल एनालिसिस

इसमें कंपनी के फाइनेंशियल्स और P/E Ratio और P/B Ratio जैसे रेशियो को पर ध्यान देते हैं। इसके अलावा और भी रेशियो को एनालाइज करते हैं। अब अगर जैसे P/E Ratio की बात करें तो इसकी वैल्यू अगर कम है तो इसका मतलब है कि इसमें ग्रोथ की बहूत उम्मीद है जब P/B Ratio कम होता है तो स्टॉक अंडरवैल्यूड है। साथ ही, इसके अलावा फंडामेंटल एनालिसिस में बीटा को भी ध्यान देखते हैं जो अगर एक से ज्यादा होता है तो इसका अर्थ हुआ कि मार्केट की तुलना टेक्निकल एनालिसिस में यह अधिक वोलेटाइल है। जो कंपनियां हाई डिविडेंड यील्ड वाली होती हैं और कर्ज से मुक्त होती हैं, वे फंडामेंटली रूप से बहुत मजबूत होते हैं।

What is Asset Allocation? (Jagran File Photo)

इन दोनों तरीकों से आप शेयर की प्राइस का सही अनुमान और भविष्य से जुड़ी संभावनाओं के बारे में पता लगा सकते हैं। साथ ही स्टॉक कब खरीदें और कब बेचें, यह निर्णय लेने में भी आपको काफी मदद मिलेगी।

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