कुल लिक्विडिटी

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RBI बना रहा, दिसंबर तक सरप्लस लिक्विडिटी में 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कटौती की योजना
- Money9 Hindi
- Publish Date - October 10, 2021 / 02:18 PM IST
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने दिसंबर 2021 तक सरप्लस लिक्विडिटी (अधिशेष तरलता) को 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक कटौती करने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है. हालांकि मॉनिटरी कमेटी ने दरों और ग्रोथ प्रोजेक्शन पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए फैसला लिया है. मॉनिटरी कमेटी का फैसला उधारकर्ताओं के लिए अच्छा है लेकिन लिक्विडिटी के विड्रॉल कुल लिक्विडिटी कुल लिक्विडिटी से बॉन्ड यील्ड पर दबाव पड़ेगा, जो अंततः लोन में भी पास हो सकता है. इसको लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की गई है.
क्या कहा गवर्नर शक्तिकांत दास ने?
लिक्विडिटी नॉर्मलाइजेशन रोडमैप की घोषणा करते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वर्तमान में सरप्लस लिक्विडिटी अक्टूबर में अब तक औसतन 9.5 लाख करोड़ रुपये है. RBI की योजना सरप्लस लिक्विडिटी को कम करने की है ताकि रिवर्स रेपो ऑपरेशन के तहत बैंकों से उसकी उधारी दिसंबर 2021 तक घटकर 2-3 लाख करोड़ रुपये हो जाए. यह वर्तमान (current) में लगभग 8.8 लाख करोड़ रुपये है. दास ने अपने संबोधन में लिक्विडिटी को कम नहीं करने के पीछे के तर्क को समझाते हुए कहा, ‘हम जल्दबाजी नहीं चाहते. हम नाव को हिलाना नहीं चाहते हैं क्योंकि हमें किनारे तक पहुंचना है, जो अब दिखाई दे रहा है.
मौद्रिक नीति समिति (monetary policy committee) ने रेपो रेट को 4% पर यथास्थिति बनाए रखने के पक्ष में 5:1 रेश्यो में वोट किया. RBI ने रिवर्स रेपो रेट को 3.35% पर बनाए रखने का भी फैसला किया. वहीं चालू वित्त वर्ष (current financial year) के लिए, RBI ने रियल GDP ग्रोथ के अपने अनुमान को 9.5% पर बरकरार रखा. RBI ने अपने FY22 के रिटेल इन्फ्लेशन प्रोजेक्शन को 5.3% से घटाकर 5.7% कर दिया. उन्होंने कहा कि इन्फ्लेशन ट्रैजेक्टरी अपेक्षा से अधिक अनुकूल हो गई है. उन्होंने बाजारों को फिर से आश्वासन दिया कि ग्रोथ के लिए लिक्विडिटी उपलब्ध रहेगी और रिवर्स रेपो के माध्यम से कुल लिक्विडिटी अवशोषण होगा जहां भागीदारी स्वैच्छिक है.
एफपीआई का नवंबर में अब तक भारतीय बाजारों में 49,553 करोड़ रुपये का निवेश
Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: November 22, 2020 18:20 IST
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एफपीआई का घरेलू बाजार में निवेश बढ़ा
नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने में अब तक भारतीय बाजारों में शुद्ध रूप से 49,553 करोड़ रुपये का निवेश किया है। बाजार जानकारों के मुताबिक कोरोना महामारी के असर से अर्थव्यवस्थाओं को बाहर निकालने के लिए सरकारों के द्वारा उठाए गए कदमों से सिस्टम में लिक्विडिटी काफी बढ़ गई है, जिसकी वजह से बाजारों को फायदा मिला है। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों को लेकर असमंजस दूर होने के बाद भी संकेतक बेहतर हुए हैं, जिससे भारतीय बाजारों में एफपीआई का निवेश बढ़ा है। एफपीआई ने 3 से 20 नवंबर के दौरान शेयरों में शुद्ध रूप से 44,378 करोड़ रुपये तथा ऋण या बांड बाजार में 5,175 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इस तरह का उनका कुल निवेश 49,553 करोड़ रुपये रहा है। अक्टूबर में एफपीआई ने भारतीय बाजारों में 22,033 करोड़ रुपये डाले थे।
बैंकिंग सिस्टम में 41 हजार करोड़ रुपए के नकदी की कमी, लोकसभा चुनाव की वजह से सरकारी खर्चों में आर्इ गिरावट
नर्इ दिल्ली। सरकारी खर्च में मंदी आैर लोकसभा चुनाव के चलते देश के बैंकिंग सिस्टम में नकदी की समस्या बढ़ गर्इ है। ब्लूमबर्ग बैंकिंग लिक्विडिटी गेज की अांकड़ों के मुताबिक, देश के बैंकिंग सिस्टम में कुल 40,859 करोड़ रुपए की नकदी की कमी हो कुल लिक्विडिटी गर्इ है। पिछले साल की सामान अवधि की बात करें तो इस दौरान बैंकिंग सिस्टम में कुल 15,857 करोड़ रुपए की अतिरिक्त नकदी प्रवाह देखने को मिली थी।
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चुनाव के बाद सरकार की जेब में बढ़ सकता है कैश
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक यानी भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति ने कहा, "अप्रैल माह से ही सरकारी खर्च में भारी गिरावट हुर्इ है। इसका नतीजा यह हुआ है कि बैंकिंग सिस्टम में तरलता में तेजी आर्इ है।" परेशानी की बात यह है कि तरलता में थोड़ी भी कमी की वजह से अाम लोगों तक ब्याज दरों में कटौती का पूरा फायदा नहीं मिल सकेगा। कोटक महिंद्रा बैंक के एक अधिकारी ने बताया कि सरकारी खर्च में मंदी ही सबसे बड़ा फैक्टर है जिसकी वजह से बैंकिंग सिस्टम में नकदी की कमी देखने को मिली है। आने वाले दो सप्ताह में हम उम्मीद करते हैं कि इसमें कुछ सुधार देखने को मिल सकता है। इसमें सुधार की प्रमुख वजह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कलेक्शन आैर कर्इ तरह की निलामीयों की वजह से हो सकती है।
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डिपाॅजिट ग्रोथ से अधिक है क्रेडिट ग्रोथ
अप्रैल माह की तुलना में नकदी की कमी में गिरावट आर्इ है। पिछले माह भारतीय बाजार में तरलता की कुल कमी करीब 1.49 लाख करोड़ रुपए रही थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआर्इ) की तरफ से उठाए कदम के बाद इस कमी आैर इजाफा हुआ था। हालांकि, 23 मर्इ को लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद बाजार में नकदी की कमी खत्म हो सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक की डेटा के मुताबिक, 13 मर्इ तक सरकार के पास कुल 44,315 करोड़ रुपए की नकदी थी।
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एफपीआई का नवंबर में अब तक भारतीय बाजारों में 49,553 करोड़ कुल लिक्विडिटी रुपये का निवेश
Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: November 22, 2020 18:20 IST
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एफपीआई का घरेलू बाजार में निवेश बढ़ा
नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने में अब तक भारतीय बाजारों में शुद्ध रूप से 49,553 करोड़ रुपये का निवेश किया है। बाजार जानकारों के मुताबिक कोरोना महामारी के असर से अर्थव्यवस्थाओं को बाहर निकालने के लिए सरकारों के द्वारा उठाए गए कदमों से सिस्टम में लिक्विडिटी काफी बढ़ गई है, जिसकी वजह से बाजारों को फायदा मिला है। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों को लेकर असमंजस दूर होने के बाद भी संकेतक बेहतर हुए हैं, जिससे भारतीय बाजारों में एफपीआई का निवेश बढ़ा कुल लिक्विडिटी है। एफपीआई ने 3 से 20 नवंबर के दौरान शेयरों में शुद्ध रूप से 44,378 करोड़ रुपये तथा ऋण या बांड बाजार में 5,175 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इस तरह का उनका कुल निवेश 49,553 करोड़ रुपये रहा है। अक्टूबर में एफपीआई ने भारतीय बाजारों में 22,033 करोड़ रुपये डाले थे।