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इक्विटी शेयर के प्रकार

इक्विटी शेयर के प्रकार

Equity- क्या होती है इक्विटी

क्या होती है इक्विटी?
इक्विटी (Equity) को आम तौर पर शेयरधारकों की इक्विटी या निजी तौर की कंपनियों के लिए मालिकों की इक्विटी कहा जाता है। इक्विटी उस धन की राशि का प्रतिनिधित्व करती है जो कंपनी के शेयरधारकों को उस स्थिति में वापस कर दी जाएगी, अगर कंपनी के इक्विटी शेयर के प्रकार सारे एसेट लिक्विडेट हो जाते हैं और लिक्विडेशन के मामले में कंपनी के सारे ऋण चुका दिए जाते हैं। अधिग्रहण के मामले में यह कंपनी सेल्स की वैल्यू है, जिसमें कंपनी के ऊपर किसी देनदारी को सेल के साथ ट्रांसफर नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त, शेयरधारक इक्विटी किसी कंपनी की बुक वैल्यू का प्रतिनिधित्व कर सकती है। इक्विटी को कभी कभार पेमेंट-इन-काइंड के रूप में ऑॅफर किया जा सकता है। यह कंपनी के शेयरों के यथानुपात (प्रो राटा) स्वामित्व का भी प्रतिनिधित्व करती है। इक्विटी कंपनी के बैलेंस शीट पर पाई जा सकती है और यह कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य का अनुमान लगाने के लिए तैनात सर्वाधिक आम आंकड़ों में से एक है।

हम इक्विटी को किसी कंपनी या एसेट में अवशिष्ट स्वामित्व या उस एसेट से संबंधित सभी ऋणों को घटाने के बाद की एक डिग्री के रूप में भी सोच सकते हैं। इक्विटी कंपनी में शेयरधारकों की हिस्सेदारी का प्रतिनिधित्व करती है, जिसकी कंपनी की बैलेंस शीट पर पहचान की जाती है। इक्विटी की गणना किसी कंपनी की कुल देनदारियों को घटाने के बाद उसके कुल एसेट के रूप में की जाती है और इसका उपयोग आरओई जैसे प्रमुख वित्तीय अनुपातों में किया जाता है। कुल एसेट, देनदारियों और कुल इक्विटी के योग के बराबर होगा।

निवेशकों द्वारा इक्विटी का किस प्रकार उपयोग किया जाता है?
इक्विटी निवेशकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण अवधारणा है। उदाहरण के लिए, कंपनी पर गौर करते समय निवेशक यह निर्धारित करने के एक बेंचमार्क के रूप में शेयरधारकों की इक्विटी का उपयोग कर सकता है कि क्या कोई विशिष्ट खरीद कीमत महंगी है। अगर उस कंपनी ने पारंपरिक रूप से 1.5 की बुक वैल्यू की कीमत पर ट्रेड किया है तो निवेशक उस वैल्युएशन से अधिक भुगतान करने पर दोबारा सोचेगा, जब तक वे यह नहीं सोचते कि कंपनी की संभावनाओं में मूलभूत रूप से सुधार आया है।

शेयर मार्केट में इक्विटी क्या है और इक्विटी और शेयर में अंतर (Equity Share In Hindi)

Equity Share Market In Hindi: अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो एक शब्द आपने आमतौर पर सुना होगा वह है इक्विटी. लेकिन क्या आप जानते हैं Equity क्या है. यदि नहीं तो आज का यह लेख आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि हर एक निवेशक को इक्विटी के बारे में जरुर पता होना चाहिए.

आज के इस लेख में हम आपको इक्विटी शेयर क्या है, इक्विटी मार्केट क्या है, इक्विटी ट्रेडिंग क्या है, इक्विटी और शेयर में क्या अंतर है और इसी प्रकार के इक्विटी से जुडी सारी जानकारी प्रदान करवाने वाले हैं, इसलिए इक्विटी के बारे में अच्छे से समझने के लिए लेख को अंत तक जरुर पढ़ें.

तो चलिए आपका अधिक समय न लेते ही इक्विटी शेयर के प्रकार शुरू करते हैं आज का यह लेख, और सबसे पहले जानते हैं Equity का मतलब क्या होता है.

ईक्विटी शेयर , प्रकार - Equity Shares, Types

कंपनी अधिनियम की धारा 43 के अनुसार, ईक्विटी शेयर से आशय उन शेयरों से है जो पूर्वाधिकार शेयर नहीं है अर्थात् इन शेयरों पर लाभांश का भुगतान पूर्वाधिकार शेयरों पर निश्चित दर से लाभांश चुकाने के पश्चात किया जाता है तथा कंपनी के समापन के समय पूँजी वापसी भी पूर्वाधिकार शेयरधारियों की पूँजी को लौटाने के पश्चात ही की जाती है। इन शेयरों पर लाभांश तभी दिया जा सकता है जब संचालक-मंडल उसकी सिफारिस करे तथा कंपनी वार्षिक साधारण सभा में उसको घोषित किया जाए। यही कारण है कि ऐसे शेयरों द्वारा प्राप्त शेयर पूँजी "जोखिम पूँजी " का नाम दिया जाता है। ऐसे शेयर धारियों का भाग्य कंपनी की उन्नति एवं अवनति के साथ बाँधा होता है। यदि कंपनी असफल होती है तो वास्तविक जोखिम इन शेयरधारियों को ही सहन करनी होती है, इसके विपरीत कंपनी की असाधारण सफलता पर साधारण शेयरधारी को सबसे अधिक लाभ होता है।

इक्विटी शेयरों के प्रकार

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 43 के अनुसार, अब भविष्य में कंपनियाँ निम्नलिखित दो प्रकार के ईक्विटी शेयर निर्गमित कर सकती है:

1) मताधिकार सहित इक्विटी शेयर ऐसे इक्विटी शेयरधारियों को सामान्य मताधिकार प्राप्त होते हैं; उन्हें कंपनी की किसी भी साधारण सभा में पारित किये जानेवाले प्रत्येक संकल्प पर मतदान का अधिकार प्राप्त होता है। मतगणना के लिए उनके मताधिकार कंपनी की प्रदत्त इक्विटी शेयर पूँजी में उनके शेयर के अनुपात में होता है। इन शेयरधारियों का ही वास्तव में कंपनी के प्रबंधन एवं संचालन पर नियंत्रण होता है। ऐसे शेयरों को केवल इक्विटी शेयर' के नाम से भी जाना जाता है।

2) विभेदात्मक अधिकार वाले इक्विटी शेयर ऐसे इक्विटी शेयरधारियों को लाभांश एवं मताधिकार के प्रति, केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित नियमों तथा शर्तों के अनुसार, विभेदात्मक अधिकार प्राप्त होते हैं।

केन्द्र सरकार ने इस धारा के अंतर्गत प्राप्त शक्ति का उपयोग करते हुए विभेदात्मक अधिकार वाले इक्विटी शेयरों के संबंध में नियम अधिसूचित कर दिये हैं। इन नियमों को कंपनी (शेयर पूँजी एवं ऋण पत्र) नियमावली 2014 के नाम से जाना जाता है। इस नियमावली का नियम 4, अन्य बातों के साथ साथ, "लाभांश एवं मताधिकार के संबंध में विभेदात्मक अधिकारों वाले इक्विटी शेयरों के निर्गमन इक्विटी शेयर के प्रकार के संबंध में नियमों को बताता है। संक्षेप में, इन नियमों के कुछ प्रावधान निम्नलिखित है :

i. शेयरों द्वारा सीमित प्रत्येक कंपनी अपनी कुल निर्गमित प्रदत्त ईक्विटी शेयर पूँजी के 21 प्रतिशत तक लाभांश एवं मताधिकार के प्रति विभेदात्मक अधिकार वाले इक्विटी शेयर निर्गमित कर सकती है बशर्ते गत तीन वित्तीय वर्ष के दौरान कंपनी इक्विटी शेयर के प्रकार के पास कंपनी अधिनियम की धारा 123 के अनुसार लाभ की वितरण योग्य राशि रही हो तथा उसके निक्षेपों या ऋणपत्रों की परिपक्वता पर उनके पुनर्भुगतान करने में चूक न की हो ।

ii. कंपनी की अंतर्नियमावली में ऐसे शेयरों के निर्गमन की व्यवस्था होनी चाहिए तथा शेयरधारियों के साधारण संकल्प द्वारा साधारण सभा में ऐसे संकल्प की पुष्टि कराई जानी चाहिए।

iii. साधारण सभा में पुष्टि कराई गई साधारण संकल्प में अन्य बातों के साथ-साथ (क) मताधिकार की दर एवं (ख) अतिरिक्त लाभांश की दर, जो कि विभेदात्मक मताधिकार वाली इक्विटी शेयर पूँजी पर लागु हो दी जानी चाहिए।

iv. कंपनी अपनी सामान्य मताधिकार वाली इक्विटी शेयर पूँजी को विभेदात्मक मताधिकार वाली इक्विटी शेयर पूँजी में तथा विभेदात्मक मताधिकार वाली इक्विटी शेयर पूँजी को सामान्य मताधिकार वाली इक्विटी शेयर पूँजी में परिवर्तित नहीं कर सकेगी।

V. मताधिकार या लाभांश के संबंध में विभेदात्मक अधिकार वाले इक्विटी शेयरधारियों के उसी वर्ग के बोनस शेयर या अधिकार शेयर प्राप्त करने का अधिकार होगा तथा उन्हें उस विभेदात्मक मताधिकार जिनके साथ उन्हें शेयर जारी किये गये थे, को छोड़कर कंपनी की सदस्यता संबंधी अन्य सभी अधिकार प्राप्त होंगे।

इस प्रकार अब कंपनियां लाभांश की अतिरिक्त दर वाले गैर-मतदान शेयरों सहित विभेदात्मक मताधिकार वाले इक्विटी शेयरों को निर्गमित कर सकती है।

शेयर कितने प्रकार के होते हैं ?

इक्विटी शेयर को आम भाषा में केवल 'शेयर ' कहा जाता है। विभिन्न प्रकार के शेयरों की अलग-अलग विशेषताएँ होती हैं । अत: इनके प्रकार को समझना आवश्यक है, ताकि निवेशक अपनी जरूरत तथा विवेक के अनुसार उनका चयन कर सके।

भारत में निवेशकों को दो प्रकार के शेयर विकल्प उपलब्ध हैं-

  1. इक्विटी शेयर (Equity Shares)
  2. प्रीफरेंस शेयर (Preference Shares)

इक्विटी शेयर (Equity Shares)

प्राइमरी तथा सेकंडरी मार्केट से निवेशक जो शेयर हासिल करता है, वह ' साधारण शेयर ' कहलाता है। इस प्रकार का शेयरधारक कंपनी का आंशिक हिस्सेदार होता है तथा कंपनी के नफे-नुकसान से जुड़ा रहता है । साधारण शेयरधारक ही इक्विटी शेयर होल्डर होते हैं । शेयरों की संख्या के अनुपात में कंपनी पर इनका मालिकाना अधिकार होता है। कंपनी की नीति बनानेवाली जनरल मीटिंग में इन्हें वोट देने का अधिकार होता है। इसी प्रकार, ये कंपनी से जुड़े रिस्क तथा नफा-नुकसान के हिस्सेदार भी होते हैं। यदि कंपनी अपना व्यवसाय पूर्ण रूप से समाप्त करती है, तब कंपनी अपनी सारी इक्विटी शेयर के प्रकार देनदारी चुकता करने के बाद बची हुई पूँजी संपत्ति को इन साधारण शेयरधारकों को उनकी शेयर संख्या के इक्विटी शेयर के प्रकार अनुपात से वितरित करती है।

प्रीफरेंस शेयर (Preference Shares)

साधारण शेयर के विपरीत कंपनी चुनिंदा निवेशकों, प्रोमोटरों तथा दोस्ताना निवेशकों को नीतिगत रूप से प्रिफरेंस शेयर (तरजीह आधार पर) जारी करती है। इन प्रिफरेंस शेयरों की कीमत साधारण शेयर की मौजूदा कीमत से अलग भी हो सकती है। साधारण शेयर के विपरीत प्रिफरेंस शेयरधारकों को वोट देने का अधिकार नहीं होता। प्रिफरेंस शेयरधारकों को प्रतिवर्ष निश्चित मात्रा में लाभांश (डिविडेंड) मिलता है। प्रिफरेंस शेयरधारक साधारण शेयरधारक की अपेक्षा अधिक सुरक्षित होते हैं, क्योंकि जब कभी कंपनी बंद करने की स्थिति आती है तो पूँजी चुकाने के मामले में प्रिफरेंस

शेयरधारकों को साधारण शेयरधारकों से अधिक तरजीह दी जाती है। कंपनी अपनी नीति के अनुसार प्रिफरेंस शेयरों को आंशिक अथवा पूर्ण रूप से साधारण शेयर में परिवर्तित भी कर सकती है। जब कोई कंपनी बहुत अच्छा बिजनेस कर रही है तो उसके साधारण शेयरधारक को ज्यादा फायदा होता है।

प्रिफरेंस शेयरधारक को लाभ में से सबसे पहले हिस्सा मिलता है; लेकिन इन्हें कंपनी का हिस्सेदार नहीं माना जाता है। लाभ के आधार पर प्रिफरेंस शेयर चार तरह के होते हैं-

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