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SBI अकाउंट में कैश जमा करने पर भी कटते हैं पैसे, जानिए कारण

देश के सबसे बड़े बैंक जमा के लिए शुल्क स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के ग्राहकों के लिए अहम खबर है। दरअसल, SBI का एक ऐसा नियम है जिसके मुताबिक आपके बैंक अकाउंट से किसी दूसरे बैंक में पैसा जमा कराते हैं तो आप के खाते से पैसे कट जाएंगे। ये नियम कैश डिपॉजिट मशीन यानी CDM से पैसा जमा कराने पर ही लागू होता है। अगर किसी ने आपके बैंक खाते में CDM के जरिये पैसा जमा कराया है तो इसका थोड़ा चार्ज आपके बैंक खाते से भी कटेगा। यहां आपको बता दें कि एक बार पैसा जमा करने पर अकाउंटहोल्डर के खाते से 25 रुपये तक कटते हैं और इस जमा के लिए शुल्क 25 रुपये में GST भी शामिल होता है।

कैसी होती है CDM मशीन

SBI की वेबसाइट पर दी जानकारी के मुताबिक यह एक ATM जैसी मशीन होती है। इस मशीन के जरिये आप ATM या डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करके सीधे अफने खाते में कैश जमा कर सकते हैं। आप ब्रांच में गए बिना अपने खाते में तुरंत इस मशीन के जरिये पैसा जमा कर सकते हैं। इसमें आपको कैश जमा करने की रसीद मिल जाती है। लेकिन आपके खाते से 25 रुपये भी कट जाते हैं। ये एक तरह का सर्विस चार्ज है जिसमें GST शामिल है।

डीयू थीसिस मूल्यांकन का शुल्क बढ़ाने की योजना बना रहा है

नयी दिल्ली, 16 नवंबर (भाषा) दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) पीएचडी थीसिस के मूल्यांकन का शुल्क सभी विद्यार्थियों के लिए 2500 रुपये से ज्यादा करने पर विचार कर रहा है। एक आधिकारिक दस्तावेज़ से इस बाबत जानकारी मिली है।

पहले थीसिस जमा करने का शुल्क फेलोशिप के विद्यार्थियों के लिए पांच हजार रुपये था जो बढ़कर अब 7500 हजार रुपये हो सकता है। इसमें 50 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। वहीं बिना फेलोशिप वाले विद्यार्थियों के लिए शुल्क 80 प्रतिशत बढ़कर साढ़े पांच हजार रुपये हो सकता है जो पहले तीन हजार रुपये था।

हालांकि, विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि फीस में अब थीसिस जमा करने और अस्थायी प्रमाण -पत्र का शुल्क भी शामिल होगा।

उन्होंने दावा किया कि पहले विद्यार्थी को थीसिस जमा करने और अस्थायी प्रमाण पत्र के लिए बाद में भुगतान करना पड़ता था। नए नियम सभी शुल्कों को मिला देंगे और एक बार में एकमुश्त भुगतान करना होगा।

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में फ़ीस जमा' करना के अर्थ देखिए

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सूचनार्थ : औपचारिक आरंभ से पूर्व यह रेख़्ता डिक्शनरी का बीटा वर्ज़न है। इस पर अंतिम रूप से काम जारी जमा के लिए शुल्क है। इसमें किसी भी विसंगति के संदर्भ में हमें [email protected] पर सूचित करें। या सुझाव दीजिए

संदर्भग्रंथ सूची : रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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सूचना के बदले कितना शुल्क

सूचना का अधिकार क़ानून के तहत जब आप कोई सूचना मांगते हैं तो कई बार आपसे सूचना के बदले पैसा मांगा जाता है। आपसे कहा जाता है कि अमुक सूचना इतने पन्नों की है और प्रति पेज की फोटोकॉपी शुल्क के हिसाब से अमुक राशि जमा कराएं। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें लोक सूचना अधिकारी ने आवेदक से सूचना के बदले 70 लाख रुपये तक जमा कराने को कहा है। कई बार तो यह भी कहा जाता है कि अमुक सूचना काफी बड़ी है और इसे एकत्र करने के लिए एक या दो कर्मचारी को एक सप्ताह तक काम करना पड़ेगा, इसलिए उक्त कर्मचारी के एक सप्ताह का वेतन आपको देना होगा। ज़ाहिर है, सूचना न देने के लिए सरकारी बाबू इस तरह का हथकंडा अपनाते हैं। ऐसी हालत में यह जमा के लिए शुल्क जमा के लिए शुल्क ज़रूरी है कि आरटीआई आवेदक को सूचना शुल्क से संबंधित क़ानून के बारे में सही और पूरी जानकारी होनी चाहिए ताकि कोई लोक सूचना अधिकारी आपको बेवजह परेशान न कर सके। इस अंक में हम आपको आरटीआई फीस और सूचना के बदले दिए जाने वाले शुल्क के बारे में बता रहे हैं। यह सही बात है कि सूचना कानून की धारा 7 में सूचना के एवज़ में फीस की व्यवस्था बताई गई है, लेकिन धारा 7 की ही उप धारा 1 में लिखा गया है कि यह फीस सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी। इस व्यवस्था के तहत सरकारों को यह अधिकार दिया गया है कि वे अपने विभिन्न विभागों में सूचना के अधिकार के तहत दिया जाने वाला शुल्क आदि तय करेंगी। केंन्द्र और राज्य सरकारों ने इस जमा के लिए शुल्क अधिकार के तहत अपने-अपने यहां फीस नियमावली बनाई है और इसमें स्पष्ट किया जमा के लिए शुल्क गया है कि आवेदन करने से लेकर फोटोकॉपी आदि के लिए कितनी-कितनी फीस ली जाएगी। इसके आगे धारा 7 की उपधारा 3 में लोक सूचना अधिकारी की ज़िम्मेदारी बताई गई है कि वह सरकार द्वारा तय की गई फीस के आधार पर गणना करते हुए आवेदक को बताएगा कि उसे सूचना जमा के लिए शुल्क लेने के लिए कितनी फीस देनी होगी। उपधारा 3 में लिखा गया है कि यह फीस वही होगी जो उपधारा 1 में सरकार द्वारा तय की गई होगी। देश के सभी राज्यों में और केंद्र सरकारों ने फीस नियमावली बनाई है और इसमें आवेदन के लिए कहीं 10 रुपये का शुल्क रखा गया है तो कहीं 50 रुपये। इसी तरह दस्तावेज़ों की फोटोकॉपी लेने के लिए भी 2 रुपये से 5 रुपए तक की फीस अलग-अलग राज्यों में मिलती है। दस्तावेज़ों के निरीक्षण, काम के निरीक्षण, सीडी, फ्लॉपी पर सूचना लेने के लिए फीस भी इन नियमावालियों में बताई गई है। धारा 7 की उप धारा 3 कहती है कि लोक सूचना अधिकारी यह गणना करेगा कि आवेदक ने जो सूचना मांगी है वह कितने पृष्ठों में है, या कितनी सीडी, फ्लॉपी आदि में है। इसके बाद लोक सूचना अधिकारी सरकार द्वारा बनाई नियमावली में बताई गई दर से यह गणना करेगा कि आवेदक को सूचना लेने के लिए कुल कितनी राशि जमा करानी होगी। इसके लिए किसी लोक सूचना अधिकारी को यह अधिकार कतई नहीं दिया गया है कि वह मनमाने तरीके से फीस की गणना करे और आवेदक को मोटी रकम जमा कराने के लिए दवाब में डाले। ऐसे में जो भी लोक सूचना अधिकारी मनमाने तरीक़े से अपनी सरकार द्वारा तय फीस से कोई अलग फीस आवेदक से मांगते हैं, वह ग़ैरक़ानूनी है। इसी के साथ एक आवेदक को यह भी पता होना चाहिए कि सूचना क़ानून के प्रावधानों के मुताबिक़ अगर लोक सूचना अधिकारी मांगी गई सूचना तय समय समय के अंदर (30 दिन या जो भी अन्य समय सीमा हो) उपलब्ध नहीं कराता है तो आवेदक से सूचना देने के लिए कोई शुल्क नहीं मांग सकता। इसके आवेदक को जब भी सूचना दी जाएगी वह बिना कोई शुल्क लिए दी जाएगी।

ICICI बैंक ने इन खाताधारकों को दिया बड़ा तोहफा, कैश जमा करने पर नहीं लगेगा चार्ज

ICICI बैंक ने इन खाताधारकों को दिया बड़ा तोहफा, कैश जमा करने पर नहीं लगेगा चार्ज

Updated on: Nov 03, 2020 | 4:39 PM

दिवाली से पहले प्राइवेट सेक्टर के आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) ने अपने ग्राहकों को बड़ा झटका दिया है. ICICI बैंक ने कैश एसेप्टर (Cash Acceptor) या रिसाइकलर मशीनों (Recycler machines) के माध्यम से बैंक खातों में पैसा जमा करने के अपने जमा के लिए शुल्क फीस स्ट्रक्चर को संशोधित किया है. अब अगर आप बैंक नॉन-बिजनेस घंटे या छुट्टियों के दिन कैश जमा करने के लिए कैश एसेप्टर या रिसाइकलर मशीनों का इस्तेमाल करते हैं तो बैंक आपसे सुविधा शुल्क के रूप में जमा के लिए शुल्क 50 रुपए वसूलेगा. बता दें कि कैश एसेप्टर या रिसाइकल मशीन के जरिए ग्राहक और ग्राहकों की ओर से प्रतिनिधि भी ICICI बैंक खाते में कैश जमा कर सकते हैं और पैसा तुरंत खाते में क्रेडिट हो जाता है.

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