करेंसी क्या है

Common ITR Form: क्या आयकर भरने के अलग-अलग फॉर्म सहज और सुगम बंद कर दिए जाएँगे?
Common ITR Form: क्या आयकर भरने के अलग-अलग फॉर्म सहज और सुगम बंद कर दिए जाएँगे?
- Date : 20/11/2022
- Read: 3 mins Rating : -->
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर भरने के लिए साझा आईटीआर फॉर्म (कॉमन आईटीआर फॉर्म) लाने का प्रस्ताव रखा है।
Common ITR Form: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर भरने के लिए साझा आईटीआर फॉर्म का प्रस्ताव रखा है जिसमें क्रिप्टो करेंसी से प्राप्त मुनाफा भी दर्शाया जा सकेगा। आयकर भरने की प्रक्रिया में सुधार लाते हुए उसे और आसान बनाने की दिशा में यह एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। टैक्स पोर्टल या प्री फील्ड आईटीआर सभी के लिए एक साझा आईटीआर फॉर्म (कॉमन आईटीआर फॉर्म) का प्रस्ताव है। सीबीडीटी द्वारा इस विषय में सभी हितधारकों और नागरिकों से 15 दिसंबर तक सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। इसका उद्देश्य कॉमन आईटीआर द्वारा कर भरने की प्रक्रिया को अधिक सुलभ बनाना है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई अच्छे बिंदुओं को भी अपनाने का विचार है।
क्या है कॉमन आईटीआर फॉर्म
सीबीडीटी प्लान के साथ ही हितधारकों को सही फॉर्म चुनने की समस्या खत्म हो जाएगी। सभी करदाता अब एक ही कॉमन आईटीआर फॉर्म से टैक्स फाइल कर सकेंगे। इसे वन नेशन वन आईटीआर फॉर्म कहा जाएगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने जानकारी दी है कि ट्रस्ट और एनजीओ (गैर सरकारी संगठनों) को छोड़कर सभी करदाता इस साझा आईटीआर फॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं।
एस आईटीआर फॉर्म में वर्चुअल डिजिटल असेट्स यानी क्रिप्टो करेंसी से प्राप्त लाभ को भी सम्मिलित किया जा सकेगा। सीबीडीटी के अनुसार आईटीआर-7 नवंबर के फार्म को छोड़कर अन्य सभी फॉर्म्स को मिलाकर कॉमन आईटीआर फॉर्म लाने का प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य व्यक्तिगत और गैर कारोबारी करदाताओं के रिटर्न जमा करने की प्रक्रिया को आसान और तेज बनाना है।
यह भी पढ़ें: ७ वित्तीय नियम
क्या ‘सहज’ (Sahaj ITR form) और ‘सुगम’ (Sugam ITR form) खत्म हो जाएँगे?
नहीं। करेंसी क्या है यदि आप यह सोचते हैं कि कॉमन आईटीआर फॉर्म आने से ‘सहज’ और ‘सुगम’ फार्म खत्म हो जाएँगे तो ऐसा नहीं होगा। आईटीआर फॉर्म-1 और 4 आगे भी उपलब्ध रहेंगे। करदाता चाहें तो मौजूदा फार्म आईटीआर 1 और आईटीआर 4 विकल्पों को चुनकर टैक्स फाइल कर सकते हैं।
अभी के आईटीआर फॉर्म
मौजूदा व्यवस्था के अनुसार अभी निम्न प्रकार के आईटीआर फॉर्म चलन में हैं,
आईटीआर फॉर्म-1 ‘सहज’ - ₹50 लाख तक की वार्षिक आमदनी के छोटे और मझोले करदाताओं के लिए। इसमें वेतन, मकान- संपत्ति के साथ करेंसी क्या है अन्य स्रोत (ब्याज आदि) से प्राप्त होने वाली आमदनी शामिल है।
आईटीआर फॉर्म-2 – रेसिडेंशियल संपत्ति से प्राप्त आमदनी के लिए इस फार्म का उपयोग किया जाता है।
आईटीआर फॉर्म-3 - व्यापार या व्यवसाय से प्राप्त आमदनी करेंसी क्या है के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
आईटीआर फॉर्म-4 ‘सुगम’ - ₹50 लाख से अधिक वार्षिक आय वाले व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों एवं फर्म द्वारा उपयोग में लाया जाने वाला फॉर्म।
आईटीआर फॉर्म-5 और 6 - सीमित दायित्व की भागीदारी (LLP) एवं कारोबारियों द्वारा भरा जाने वाला फॉर्म।
आईटीआर फॉर्म-7 - गैर सरकारी संगठनों और ट्रस्ट के लिए निर्धारित फॉर्म।
Common ITR Form: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर भरने के लिए साझा आईटीआर फॉर्म का प्रस्ताव रखा है जिसमें क्रिप्टो करेंसी से प्राप्त मुनाफा भी दर्शाया जा सकेगा। आयकर भरने की प्रक्रिया में सुधार लाते हुए उसे और आसान बनाने की दिशा में यह एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। टैक्स पोर्टल या प्री फील्ड आईटीआर सभी के लिए एक साझा आईटीआर फॉर्म (कॉमन आईटीआर फॉर्म) का प्रस्ताव है। सीबीडीटी द्वारा इस विषय में सभी हितधारकों और नागरिकों से 15 दिसंबर तक सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। इसका उद्देश्य कॉमन आईटीआर द्वारा कर भरने की प्रक्रिया को अधिक सुलभ बनाना है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई अच्छे बिंदुओं को भी अपनाने का विचार है।
क्या है कॉमन आईटीआर फॉर्म
सीबीडीटी प्लान के साथ ही हितधारकों को सही फॉर्म चुनने की समस्या खत्म हो जाएगी। सभी करदाता अब एक ही कॉमन आईटीआर फॉर्म से टैक्स फाइल कर सकेंगे। इसे वन नेशन वन आईटीआर फॉर्म कहा जाएगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने जानकारी दी है कि ट्रस्ट और एनजीओ (गैर सरकारी संगठनों) को छोड़कर सभी करदाता इस साझा आईटीआर फॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं।
एस आईटीआर फॉर्म में वर्चुअल डिजिटल असेट्स यानी क्रिप्टो करेंसी से प्राप्त लाभ को भी सम्मिलित किया जा सकेगा। सीबीडीटी के अनुसार आईटीआर-7 नवंबर के फार्म को छोड़कर अन्य सभी फॉर्म्स को मिलाकर कॉमन आईटीआर फॉर्म लाने का प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य व्यक्तिगत और गैर कारोबारी करदाताओं के रिटर्न जमा करने की प्रक्रिया को आसान और तेज बनाना है।
यह भी पढ़ें: ७ वित्तीय नियम
क्या ‘सहज’ (Sahaj ITR form) और ‘सुगम’ (Sugam ITR form) खत्म हो जाएँगे?
नहीं। यदि आप यह सोचते हैं कि कॉमन आईटीआर फॉर्म आने से ‘सहज’ और ‘सुगम’ फार्म खत्म हो जाएँगे तो ऐसा नहीं होगा। आईटीआर फॉर्म-1 और 4 आगे भी उपलब्ध रहेंगे। करदाता चाहें तो मौजूदा फार्म आईटीआर 1 और आईटीआर 4 विकल्पों को चुनकर टैक्स फाइल कर सकते हैं।
अभी के आईटीआर फॉर्म
मौजूदा व्यवस्था के अनुसार अभी निम्न प्रकार के आईटीआर फॉर्म चलन में हैं,
आईटीआर फॉर्म-1 ‘सहज’ - ₹50 लाख तक की वार्षिक आमदनी के छोटे और मझोले करदाताओं के लिए। इसमें वेतन, मकान- संपत्ति के साथ अन्य स्रोत (ब्याज आदि) से प्राप्त होने वाली आमदनी शामिल है।
आईटीआर फॉर्म-2 – रेसिडेंशियल संपत्ति से प्राप्त आमदनी के लिए इस फार्म का उपयोग किया जाता है।
आईटीआर फॉर्म-3 - व्यापार या व्यवसाय से प्राप्त आमदनी के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
आईटीआर फॉर्म-4 ‘सुगम’ - ₹50 लाख से अधिक वार्षिक आय वाले व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों एवं फर्म द्वारा उपयोग में लाया जाने वाला फॉर्म।
आईटीआर फॉर्म-5 और 6 - सीमित दायित्व की भागीदारी (LLP) एवं कारोबारियों द्वारा भरा जाने वाला फॉर्म।
आईटीआर फॉर्म-7 - गैर सरकारी संगठनों और ट्रस्ट के लिए निर्धारित फॉर्म।
NARCO TEST : जिस नारको से श्रद्धा केस का सच आएगा, वो इंडिया में पहली बार कब और किस केस में हुआ था?
Narco Test : श्रद्धा मर्डर केस (Shraddha Murder case) में आरोपी आफताब (Aftab Narco Test) का पहले पॉलीग्राफी टेस्ट और फिर नारको टेस्ट किया जाएगा. असल में आफताब लगातार पुलिस को गुमराह कर रहा है. हालांकि, उसके कमरे से मिले मर्डर के बाद एक मैप से पुलिस को काफी आसानी हुई है. जिसमें मर्डर के बाद लाश के टुकड़ों को कहां-कहां ठिकाने लगाने हैं. उसे लेकर काफी अहम जानकारी और लाश के टुकड़े भी मिले.
लेकिन श्रद्धा केस की पूरी सच्चाई का पता लगाने के लिए आरोपी का नारको टेस्ट कराने की तैयारी शुरू हो गई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में पहला नारको टेस्ट कब और किस केस में हुआ था. नारको टेस्ट में ऐसा क्या होता है कि अपराधी काफी हद तक सच बोल देता है. नारको टेस्ट की क्या कोर्ट में मान्यता है या नहीं. जानेंगे इस रिपोर्ट से.
Narco Test Kon Karta hai?
क्या है नारको एनालिसिस टेस्ट
What is Narco Test : नारको एनालिसिस को नारको टेस्ट भी कहा जाता है. नारको एनालिसिस शब्द के जनल होसले (Hosley) को कहा जाता है. पूरी दुनिया में इसका पहली बार प्रयोग साल 1922 में हुई था. उस समय रावर्ट हाउस ने दो कैदियों से उनका सच उगलवाने के लिए इसका इस्तेमाल किया था. हालांकि, उस समय स्कोपोलामाइन ड्रग का इस्तेमाल कर दोनों कैदियों से सच निकाला गया था. जिसमें ये ड्रग काफी कारगर रहा था. उसी समय से माना गया कि अगर क्रिमिनल कोई बात अपने दिमाग में छुपा ले तो इस तरीके से उसके सच को बाहर लाया जा सकता है.
नारको टेस्ट में किस केमिकल का इस्तेमाल होता है
नारको टेस्ट में किसी भी आरोपी से सच उगलवाने के लिए एक ट्रूथ सीरम (Truth Serum) का इस्तेमाल किया जाता है. उसे सोडियम पेन्टोथाल (Sodium Pentothol) कहा जाता है. इसे थायोपेंटल सोडियम (Thiopental sodium) या सोडियम एमिटल (Sodium Amytal) या स्पोपोलामाइन (Scopolamine) केमिकल को एक खास क्वॉन्टिटी में इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है.
आधा बेहोशी की हालत में सच आता है सामने
इस इंजेक्शन के जरिए कोई भी इंसान आधी बेहोशी की हालत में चला जाता है. असल में वो व्यक्ति ऐसी हालत में हो जाता है कि वो सोचकर कोई झूठ नहीं बोल पाता है. एक तरह से वह सम्मोहन की स्थिति में चला जाता है. जिस वजह से वो हर सवाल का सही सही जवाब देता है. लेकिन ये कह देना कि हर सवाल का वो सही जवाब देगा, ये भी पूरी तरह से सच नहीं है.
असल में कई लोग जो ज्यादा नशा करने के आदी होते हैं वो कभी अर्ध बेहोशी तो कभी होश में आकर अपने तरीके से भी जवाब दे देते हैं. यही वजह है कि नारको टेस्ट का रिजल्ट 100 प्रतिशत सही नहीं होता है. ये 95 से 96 प्रतिशत तक ही सही हो सकता है.
भारत में पहला नारको टेस्ट कब और किस केस में हुआ था
India First NARCO Test : अब मन में सवाल होता है कि इस नारको टेस्ट की शुरुआत भारत में कब हुई. आपको बता दें कि इंडिया में पहला नारको टेस्ट (First NARCO Test in India) साल 2002 में हुआ था. ये गोधरा कांड (Godhra Case) में हुआ था. उस समय गोधरा केस के 5 आरोपियों का नारको टेस्ट किया गया था. इस केस का सच जानने के लिए संदिग्धों के नारको टेस्ट कराए गए थे.
इसके बाद अरुण भट्ट अपहरण कांड, स्टांप घोटाले में अब्दुल करीम तेलगी का भी नारको टेस्ट हुआ था. यूपी में पहला नारको टेस्ट निठारी कांड (Nithari Case) के दोषी सुरेंद्र कोली (Surendra Koli) का हुआ था. आरुषि मर्डर केस (Aarushi Murder Case) में भी नारको टेस्ट हुआ था. इस टेस्ट के दौरान एक्सपर्ट के साथ डॉक्टर, स्पेशलिस्ट, मनोवैज्ञानिक होते हैं. साथ ही पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है.
क्या कोर्ट में नारको लीगल है
Is NARCO Test legal in court : असल में कोर्ट में नारको टेस्ट रिपोर्ट की वैधानिकता नहीं है. मतलब कोर्ट में नारको टेस्ट मान्य नहीं है. असल में विशेष साक्ष्य की धारा-56 के तहत कोर्ट में इसे मान्यता नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि फिर पुलिस किसी अपराधी का नारको टेस्ट क्यों कराती है. असल में कई बार अपराधी पुलिस को बार-बार बदलकर बयान देता है. किसी भी तरह से वो पूरी घटना का सच नहीं बताता है.
किस हथियार से कत्ल हुआ ये तो बता देता है लेकिन उसे कहां फेंका. इसकी जानकारी नहीं देता है. कई सबूतों को कहां छुपाया. उसे भी नहीं बताता है. ऐसे में पुलिस नारको टेस्ट के जरिए उन छुपी हुई डिटेल को जानकर उसी के आधार पर अपराधी के खिलाफ साक्ष्य जुटाते हैं. इससे पुलिस को काफी फायदा मिलता है.