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क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है?

क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है?
News18 हिंदी 5 दिन पहले News18 Hindi

समझे क्या है क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल करेंसी में अंतर

डिजिटल रुपये, डिजिटल संपत्ति (asset) और क्रिप्टोकरेंसी के बीच अंतर को समझाते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निकल एक कांफ्रेंस के दौरान बताया कि आरबीआई जो जारी करेगा वह एक डिजिटल मुद्रा ( digital currency) है, और इसके इसके अलावा जो भी करेंसी कोई एक व्यक्ति इस्तेमाल कर रहा है , वह व्यक्तियों द्वारा बनाई गई संपत्ति है। और उन संपत्तियों के लेन-देन से होने वाले मुनाफे पर 30% क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है? कर(tax) लगाया जाएगा।

केंद्रीय बजट पेश करते हुए, वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया था कि ‘RBI जल्द ही डिजिटल रुपया पेश करेगा’ और बजट के दूसरे भाग में, उन्होंने यह भी कहा कि ‘डिजिटल संपत्ति पर 30% कर लगाया जाएगा’। और इन दोनों क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है? बयानों ने मिलकर निवेशकों के बीच काफी भ्रम पैदा किया।
बजट के पेश होने के बाद लगातार निवेशक को में इस बात को लेकर दुविधा थी कि आखिर यह 30 % टैक्स किस चीज पर लगने वाला है और किस तरीके से क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है? लागू होगा।

इस कन्फ्यूजन को मिटाते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने कांफ्रेंस के दौरान बताया कि किसी भी करेंसी को तब करेंसी कहा जाता है जब इसे केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किया जाता है, भले ही वो क्रिप्टो हो । इसके अलावा जो भी करेंसी अभी देश में है जिसे हम आजकल क्रिप्टो करेंसी कहते हैं , वह करेंसी में नहीं आता है।

वह बोली ” आप पहले यह समझे कि, हम उन मुद्राओं(currency) पर टैक्स नहीं लगा रहे हैं जिन्हें अभी जारी किया जाना है। आरबीआई जो जारी करेगा वह एक डिजिटल मुद्रा है, और इसके अलावा जो कुछ भी चल रहा है वह व्यक्तियों द्वारा बनाई गई संपत्ति है। और उन संपत्तियों के लेन-देन से होने वाले मुनाफे पर 30% कर लगाया जाएगा। हम पैसे के हर लेन-देन पर अपनी नजर रख रहे हैं क्योंकि पैसे की हर लेन-देन पर 1% टीडीएस लगाया जाएगा।”

दुनिया भर के अलग-अलग देशों में और बीते 1 साल से भारत में जो क्रिप्टो करेंसी चल रही है वह असलियत में डिजिटल ऐसेट है ना की करेंसी। आप यह समझिए कि ‘डिजिटल रुपया’ एक तरह की करेंसी है जो रिज़र्व बैंक द्वारा डिजिटल रूप में जारी की जाएगी और भौतिक मुद्रा(physical currency) के साथ बदली जा सकेगी। इस सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को नियंत्रित करने वाली नियम शैली अभी भी पूरी नहीं हुई है।

Central Bank Digital Currency (CBDC) एक तरह की वर्चुअल या डिजिटल करेंसी है लेकिन यह क्रिप्टो करेंसी से बहुत अलग है। डिजिटल रूपी बीते 10 सालों में बढ़ रहे क्रिप्टोकरंसी से बहुत मायनों में अलग है क्योंकि डिजिटल रूपी को आरबीआई के अंतर्गत लाया जाएगा जबकि क्रिप्टो करेंसी किसी के द्वारा भी इशू नहीं किया जाता।

आपको बता दें कि भारत सरकार है काफी लंबे समय से क्रिप्टो करेंसी का कड़ा विरोध कर रही थीं। रहक्योंकि केंद्र सरकार को लगता है कि क्रिप्टो करेंसी कहीं ना कहीं देश की सुरक्षा और वित्तीय स्थिति खराब कर सकता है।

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दे श की अपनी डिजिटल करेंसी में होलसेल लेनदेन के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो गया है.और जल्द रिटेल लेनदेन के लिए भी ऐसे ही प्रोजेक्ट को शुरू किया जाएगा. रिजर्व बैंक ने इसी महीने की शुरुआत में ही डिजिटल करेंसी को लॉन्च किया था.

जिसमें 9 बैंकों क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है? को लेनदेन की इजाजत दी गई थी. शुरुआती सफलता के बाद डिजिटल करेंसी को लेकर रिजर्व बैंक आगे की योजना पर काम तेज कर चुका है. अगर आप भी अपने वॉलेट में स्वदेशी और भरोसेमंद डिजिटल करेंसी रखने का इंतजार कर रहे तो जानिए इस दिशा में अभी तक क्या कुछ हो चुका है.

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रिटेल मार्केट में करंसी शुरू करने की तैयारी

पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर ही सही देश में डिजिटल करेंसी की शुरुआत हो चुकी है. नवंबर की शुरुआत से पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर सेकेंडरी मार्केट में सरकारी सिक्योरिटीज की होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए रिजर्व बैंक ने डिजिटल करेंसी की अनुमति दी है. होलसेल मार्केट में डिजिटल करेंसी के पायलेट प्रोजेक्ट के बाद अब रिटेल मार्केट में भी इसको लॉन्च करने की तैयारी की जा रही है.

रिपोर्टस की मानें तो रिटेल मार्केट में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के पायलेट प्रोजेक्ट के लिए रिजर्व बैंक ने 5 बैंकों का चुनाव भी कर लिया है और कुछ और बैंकों को भी डिजिटल करेंसी के रिटेल पायलेट प्रोजेक्ट के लिए चुना जा सकता है. हालांकि सरकार या रिजर्व बैंक की तरफ से अभी यह साफ नहीं किया गया है कि रिटेल में डिजिटल रुपए से लेनदेन के लिए डिजिटल लेनदेन की मौजूदा व्यवस्था का इस्तेमाल होगा या इसके लिए अलग से व्यवस्था तैयार होगी.

बजट में हुआ था ऐलान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 के आम बजट में ब्लॉक चेन आधारित डिजिटल रुपया लॉन्च करने की घोषणा की थी. सरकार की इसी घोषणा को साकार करने के लिए RBI ने डिजिटल रुपया को पायलेट आधार पर लॉन्च किया है. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी भुगतान का एक नया तरीका होगा. जिसे नागरिकों, बिजनेस, सरकार और अन्य के लिए लीगल टेंडर के तौर पर जारी किया जाएगा. इसकी वैल्यू कागजी मुद्रा के बराबर ही होगी.

ख़त्म होगा कैश का सिस्टम

देश में RBI की डिजिटल करेंसी का उपयोग पूरी तरह से शुरू होने के बाद.शायद लेनदेन के लिए कैश रखने की जरूरत ने पड़े. इस करेंसी को आसानी से मोबाइल वॉलेट में रखा जा सकेगा. और यूजर्स आसानी से इसके बदले फिजिकल करेंसी ले सकेंगे. सबसे बड़ी बात ये है कि क्रिप्टोकरेंसी की तरह डिजिटल रुपया गैर-कानूनी नहीं होगा क्योंकि ये RBI के नियंत्रण में होगा और इसे सरकार का समर्थन भी मिलेगा.

E₹-R एक डिजिटल टोकन के रूप में होगा। यह कानूनी निविदाओं का प्रतिनिधित्व भी करेगा। आरबीआई ने यह भी बताया कि डिजिटल रुपया उसी मूल्यवर्ग में जारी किया जाएगा जिसमें वर्तमान में कागजी मुद्रा और सिक्के जारी किए जाते हैं।

चार शहरों में एक क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है? दिसंबर से ई-रूपी का पहला पायलट परीक्षण होगा

दिल्ली: कारोबारियों की तरह अब आम लोग भी ई-रूपी में लेनदेन कर सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इसके लिए देश के चार शहरों में एक दिसंबर से डिजिटल रुपये के खुदरा इस्तेमाल से जुड़ा पहला पायलट परीक्षण करेगा। परीक्षण में सरकारी और निजी क्षेत्र के चार बैंक एसबीआई, आईसीआईसीआई, यस बैंक एवं आईडीएफसी फर्स्ट शामिल होंगे। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) एक डिजिटल टोकन के रूप में होगी। यह लीगल टेंडर होगा यानी इसे कानूनी मुद्रा माना जाएगा। ई-रूपी को उसी मूल्य पर जारी किया जाएगा, जिस पर वर्तमान में करेंसी नोट और सिक्के जारी होते हैं।

आरबीआई ने कल (मंगलवार) को कहा कि एक दिसंबर को बंद उपयोगकर्ता समूह (सीयूजी) में चुनिंदा जगहों पर यह परीक्षण किया जाएगा। यह भौतिक मुद्रा की तरह ही भरोसे, सुरक्षा और अंतिम समाधान (सेटलमेंट) जैसी खूबियों से लैस है। पायलट प्रोजेक्ट वास्तविक समय में डिजिटल रुपये के निर्माण, वितरण और खुदरा उपयोग की पूरी प्रक्रिया की मजबूती का परीक्षण करेगा। इससे पहले एक नवंबर से इसके थोक इस्तेमाल का पायलट परीक्षण शुरू हो चुका है। डिजिटल रूपी में करेंसी नोट वाले सभी फीचर होंगे। लोग डिजिटल रूपी को नकदी में बदल सकेंगे। खास बात है कि क्रिप्टोकरेंसी के उलट इसके मूल्य में कोई उतार-चढ़ाव नहीं आएगा।

डिजिटल रुपये को मोबाइल फोन और दूसरे उपकरणों में रखा जा सकेगा। इसे बैंकों के जरिये वितरित किया जाएगा। उपयोगकर्ता पायलट परीक्षण में शामिल होने वाले बैंकों की ओर से मिलने वाले डिजिटल वॉलेट के जरिये ई-रूपी में लेनदेन कर सकेंगे। आरबीआई ने कहा, ई-रूपी के जरिये व्यक्ति से व्यक्ति (पी2पी) और व्यक्ति से मर्चेंट (पी2एम) दोनों के रूप में लेनदेन कर सकेंगे। मर्चेंट यानी व्यापारियों के यहां लगे क्यूआर कोड के माध्यम से भुगतान किया जा सकेगा।नहीं मिलेगा कोई ब्याज नकदी की तरह ही धारक को डिजिटल क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है? मुद्रा पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा। इसे बैंकों के पास जमा के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। बैंकों को पैसा हस्तांतरित करने में आसानी, मुद्रा छापने का खर्च घटेगा, अवैध मुद्रा की रोकथाम, आसान टैक्स वसूली, काले धन व मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगेगी। भरोसा, सुरक्षा, अंतिम समाधान जैसी खूबियों से लैस है ई-रूपी। ई-रूपी उसी मूल्य पर जारी होगा, जिस पर वर्तमान में जारी होते हैं करेंसी नोट और सिक्के।

इन चार शहरों में परीक्षण दिल्ली, मुंबई, बंगलूरू और भुवनेश्वर में सीबीडीसी के खुदरा इस्तेमाल से जुड़ा पहला पायलट परीक्षण किया जाएगा। अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला में बाद में शुरू होगी सेवा। आरबीआई ने 8 बैंकों का चयन किया है। इसमें पहले चरण में चार बैंक हैं। बाद में अन्य बैंकों को जरूरत के आधार पर इसमें शामिल किया जा सकता है। डिजिटल रूपी में करेंसी नोट वाले सभी फीचर होंगे। लोग डिजिटल रूपी को नकदी में बदल सकेंगे। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) यानी किसी देश के केंद्रीय बैंक की ओर से जारी वर्चुअल या डिजिटल करेंसी। लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी या स्टेबल कॉइन के हजारों प्रकार बाजार में उतर चुके हैं। उनके जैसे सीबीडीसी बनाने की तैयारी में 112 देशों के केंद्रीय बैंक जुटे हैं। सरकारी प्रामाणिकता की वजह से यह क्रिप्टो से क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है? ज्यादा विश्वसनीय है। बाहमास ने अक्तूबर 2020 में सबसे पहले 'सैंड डॉलर' नाम से सीबीडीसी शुरू की। जमैका, नाइजीरिया समेत 8 क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है? पूर्वी कैरेबियाई देशों में भी लॉन्च। रूस, चीन, सऊदी अरब, यूएई, स्वीडन, दक्षिण कोरिया, हांगकांग, थाईलैंड, सिंगापुर, मलयेशिया, यूक्रेन, कजाखस्तान, द. अफ्रीका, क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है? घाना शामिल। भारत सहित 26 देश अभी तक विकास के चरण में थे।

डिजिटल रुपया भारत की डिजिटल यात्रा का अगला कदम साबित होने जा रहा है। जहां दुनिया के तमाम देश डिजिटल करेंसी की संरचना,जोखिम और क्रियान्वयन से जुड़ी रणनीतियों पर सिर खपा रहे हैं, ऐसे में भारत इस क्षेत्र में वैश्विक मानदंड स्थापित करने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। दरअसल, भारत वैश्विक रूप से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और डिजिटल समाधानों (खासतौर से डिजिटल भुगतानों और वित्तीय समावेश) के विकास में अगुवा की भूमिका पहले से निभाता आ रहा है।

हैकर्स क्रिप्टोकरेंसी में क्यों वसूल करते हैं फिरौती, क्‍या है इसकी बड़ी वजह

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News18 हिंदी 5 दिन पहले News18 Hindi

© News18 हिंदी द्वारा प्रदत्त "हैकर्स क्रिप्टोकरेंसी में क्यों वसूल करते हैं फिरौती, क्‍या है इसकी बड़ी वजह"

नई दिल्ली. करीब हफ्ते भर से दिल्ली एम्स (AIIMS) हॉस्पिटल का सर्वर हैक हो जाने की वजह से डाउन पड़ा हुआ है. इससे ओपीडी और बाकी सर्विस प्रभावित हो रही है. सर्वर हैक होने के चलते करोड़ों मरीजों का डेटा दांव पर लगा हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हैकर्स की ओर से क्रिप्टो करेंसी में 200 करोड़ की फिरौती मांगी गई थी.

हालांकि दिल्ली पुलिस ने क्रिप्टो करेंसी में फिरौती की मांग वाली बात को ख़ारिज कर दिया है. इस मामले में अभी भी जांच चल रही है. लेकिन अगर यह बात सच है तो हैकर्स फिरौती की रकम क्रिप्टोकरेंसी में ही क्यों वसूल करते हैं? हैकर्स इसे क्यों पसंद करते हैं हम यही बताने जा रहे हैं.

क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?

क्रिप्टो करेंसी एक मुद्रा होती है जो पूरी तरह कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनी होती है. इसके सारे ट्रांजेक्शन भी कंप्यूटर से ही होते हैं, यानी इसमें कोई फिजिकल करेंसी नहीं होती है. क्रिप्टो करेंसी या वर्चुअल करेंसी को डिजिटल करेंसी भी कहा जाता है. इसे इनक्रिप्शन टेक्नोलॉजी की सहायता से जेनरेट किया जाता है और उसके बाद रेगुलेट भी किया जाता है.

हैकर्स क्रिप्टोकरेंसी क्यों यूज़ करते हैं?

क्रिप्टोकरेंसी शुरुआत से ही हैकर्स या साइबर क्रिमिनल्स का बड़ा हथियार बनी हुई है. क्रिप्टोकरेंसी यूज़ करने का क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है? सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे यूज़ करने वाले की पहचान उजागर नहीं की जा सकती है यानी वो पूरी तरह से गुमनाम रहता है. क्योंकि ये एक डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी की तरह काम करता है और इसमें बैंक जैसी कोई संस्था नहीं होती है. वहीं इसका दूसरा फायदा ये है कि बिटकॉइन और इसकी जैसी दूसरी करेंसी को वर्चुअल वॉलेट्स में रखा जा सकता है. इनकी पहचान सिर्फ नंबर से ही होती है.

क्रिप्टो करेंसी पर किसी अथॉरिटी का नियंत्रण नहीं

क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी मुद्रा है जिसे किसी भी देश की सरकार लागू नहीं करती है. इस मुद्रा पर किसी देश, राज्य या किसी अथॉरिटी का नियंत्रण नहीं होता है यानी यह एक स्वतंत्र मुद्रा है, जो डिजिटल रूप में होती है इसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है. इस तरह की करेंसी को अभी तक दुनिया के किसी भी केंद्रीय बैंक की ओर से मान्यता नहीं मिली हुई है ना ही यह किसी केंद्रीय बैंक की ओर से रेगुलेट होती है. इस तरह की करेंसी पर किसी भी देश की मुहर भी नहीं लगी होती है. ऐसे में फिरौती मांगने वाला अपनी पहचान आसानी से छुपा जाता है.

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