आईपीओ या स्टॉक

पब्लिक होने पर कंपनी को निजी उद्यमों को मिलने वाले लाभ छोड़ने पड़ते हैं. उदाहरणार्थ, प्राइवेट कंपनी को अपनी वित्तीय और लेखांकन से जुडी अधिकतर जानकारी का खुलासा नहीं करना पड़ता. वहीँ पब्लिक कंपनी को सेबी के दिशानिर्देशों के अनुरूप इस जानकारी को सर्वसाधारण के लिए उपलब्ध कराना होना है। इससे कंपनी के कानूनी और लेखांकन से जुड़े खर्च बढ़ जाते हैं. साथ ही प्रबंधन का महत्वपूर्ण समय शेयरधारकों तक कंपनी से जुडी सारी जानकारी देने में लगता है. इसके अलावा, प्रिंसिपल-एजेंट की समस्या खड़ी हो जाती है और नए शेयरधारकों को मिले मतदान अधिकार के चलते संस्थापकों आईपीओ या स्टॉक का नियंत्रण भी छूटने लगता है. कानूनी व विनियामक माप-दंड भी पब्लिक कंपनी के लिए ही अधिक हैं.
आईपीओ की बुनियादी जानकारी
जब कोई कंपनी पहली बार जनता के पास निवेश के लिए प्रस्ताव लेकर जाती है, तो उसे आईपीओ या इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (प्रथम सार्वजनिक प्रस्ताव) कहा जाता है. जन साधारण के लिए कंपनी में निवेश करने का यह पहला मौका होता है. किसी भी नए निवेशक के शुरूआती प्रशनों में एक यह भी होता है कि दरअसल यह आईपीओ है क्या और आईपीओ या स्टॉक इसमें निवेश कितना उचित है. डॉट कॉम बबल के दौरान कई निवेशकों ने आईपीओ में शेयर खरीद पहले दिन ही उन्हें ऊँचें दामों पर बेच भारी मुनाफ़ा कमाया। लेकिन इस बुलबुले के फटते पर इन कंपनियों में से अधिकतर ने अपने दीर्घकालिक निवेशकों को निराश किया, और आईपीओ का आकर्षण जन साधारण के लिए समाप्त हो गया. निचे दिए चार पर्मुख भागों में हम आपको आईपीओ की बुनियादी जानकारी से अवगत कराएंगे.
आईपीओ क्या है
आईपीओ क्या है और उसका जारी करने वाली कंपनी पर क्या असर पड़ता है?
भेड़चाल
Zomato आईपीओ के द्वारा जितनी पूंजी जुटाने का अनुमान कर रही थी .उसने उससे अधिक पूंजी जुटा ली है. कम्पनी ने 855 करोड़ शेयर इश्यू किये थे जिसका मूल्य प्रति शेयर 76 रुपया था. लेकिन जब यह शेयर स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हुई तो लोगों द्वारा 115 रुपये प्रति शेयर खरीदे गए. इससे कम्पनी लगभग 1लाख करोड़ रुपये की पूंजी जुटाने में सफल रही. जोमैटो के एक शेयर पर लगभग 38 लोगों ने आवेदन किये थे. आपूर्ति के तुलना में इस भयंकर मांग के कारण ही इश्यू प्राइस(76 रुपया) बढ़कर 115 रुपया तक चला गया. जबकि जोमैटो ने इस आईपीओ से 93 हजार करोड़ रुपये जुटाने की बात की थी.
जोमैटो पहली यूनिकॉर्न स्टार्टअप है जो स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हुई है. यूनिकॉर्न स्टार्टअप वो होते हैं जिनका मूल्य 1 बिलियन डॉलर का होता है. दूसरी तरफ जोमैटो ने जितना कैपिटल बाजार से आईपीओ के माध्यम से उठाया है उससे वह स्टॉक मार्केट में 100 टॉप कम्पनियों के एलीट क्लास में आ गई है. वहीं मंदी के दौर में इस तरह के स्टार्ट के द्वारा इतने सफल आईपीओ से निवेशकों के मिजाज का पता चलता है कि वो निवेश के मूड में हैं.
ये आईपीओ क्या होता है और कम्पनी इसे क्यों लाती है?
जब कोई कम्पनी शुरू में खुलती है तो कुछ खास लोगों को उसके शेयर बेचे जाते हैं. लेकिन जब कम्पनी ग्रो करती है तब और अधिक पूंजी जुटाने के लिए इसके शेयर को पहली बार सबके लिए उपलब्ध कराया जाता है. किसी कम्पनी या स्टार्टअप के शेयर को पहली बार सार्वजनिक रूप में सबको खरीदने का अवसर देना आईपीओ कहलाता है. आईपीओ पूँजी जुटाने का एक उपकरण है.
यदि कम्पनियां बैंक से लोन लेकर पूंजी जुटाएगी तो उसे एक निश्चित अवधि में ब्याज देने के दबाव से गुजरना होगा. यदि वो बॉन्ड जारी करती है तो मियाद के बाद उसपर लाभांश देना होगा. इसलिए जब कम्पनी को लगता है कि लोगों में उसकी साख है और लोग उसके शेयर को अच्छे मूल्य में खरीदेंगे तो कम्पनी के वो खास शेयर धारक अपने कुछ हिस्से बेचते हैं. कम्पनी की साख यदि अच्छी होती है तो शेयर इश्यू प्राइस से अधिक मूल्य पर बिकती है और कम्पनी बहुत से पैसे बाजार से उठा लेती है. क्योंकि ये नए शेयर धारक कम्पनी के हिस्सेदार होते हैं आईपीओ या स्टॉक तो इन्हें कंपनी लाभांश देती है. अर्थात लाभ होगी तो ही कम्पनी इन्हें उसका अंश देगी.
घाटे में जा रही Zomato के शेयर क्यों इतने महंगे बिके?
बाजार में आईपीओ या स्टॉक दो तरह के निवेशक होते हैं एक जो शेयर खरीदकर उसका कम्पनी के लाभांश पाकर कमाते हैं और दूसरे वो होते हैं जो शेयर के दाम थोड़े बहुत बढ़ने पर उसे बेच के शार्ट टर्म में कुछ कमा लेते हैं. जोमैटो जैसी आईपीओ या स्टॉक कम्पनी अभी घाटे में हैं लेकिन इसका भविष्य उज्ज्वल है.क्योंकि स्विगी और जोमैटो के अलावा भारतीय बाजार में कोई इसकी प्रतिस्पर्धी नही है. Zomato इस तरह की पहली कम्पनी थी जो स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हुई. जोमैटो का विस्तार भी तेजी से हो रहा है घाटे में जाने के बाद भी. इसलिए इस कम्पनी का मालिकाना हक खरीदने से लांग टर्म में फायदे की प्रत्याशा से लोगों ने इसमें निवेश किया है. कोरोना की स्थितियां साफ होने के बाद इस कम्पनी का भविष्य उज्ज्वल होगा.
जिस प्रकार आईपीओ में निवेशकों ने रुचि दिखाई वो अच्छे संकेत हैं. क्योंकि आईपीओ यदि सफल हो रहा है तो इसका अर्थ यह हुआ कि कम्पनी इससे जमा हुई राशि से अपना विस्तार करेगी जबकि मंदी में कम्पनियां सिकुड़ती हैं. इस वर्ष लगभग 22 कम्पनियों के आईपीओ आने हैं कुल मिलाकर. जिसमें पीटीएम और कुछ स्मॉल फाइनेंस बैंक भी हैं. इतने अधिक आईपीओ मंद पड़ी अर्थव्यवस्था में तेजी आने के संकेत माने जा रहे.
IPO- आईपीओ क्या है?
आईपीओ या इनिशियल पब्लिक ऑफर एक कंपनी के लिए अपनी भविष्य की परियोजनाओं के लिए निवेशकों से धन जुटाने और स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने का एक तरीका है। या एक प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) प्राथमिक शेयर बाजार में जनता को प्रतिभूतियों की बिक्री है।
एक निवेशक के दृष्टिकोण से, आईपीओ एक कंपनी के शेयरों को सीधे कंपनी से उनकी पसंद की कीमत पर खरीदने का मौका देता है (इन बुक बिल्ड आईपीओ)। कई बार कंपनियां अपने शेयरों के लिए जिस कीमत पर फैसला करती हैं और जिस कीमत पर निवेशक शेयर खरीदने के इच्छुक हैं, उसके बीच बड़ा अंतर होता है और इससे आईपीओ में निवेशक को आवंटित शेयरों के लिए अच्छा लिस्टिंग लाभ मिलता है। एक संभावित कंपनी से, आईपीओ उन्हें उनके वास्तविक मूल्य की पहचान करने में मदद करता है जो लाखों निवेशकों द्वारा उनके शेयरों को स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होने के बाद तय किया जाता है। आईपीओ उनके भविष्य के विकास के लिए या उनके पिछले उधारों का भुगतान करने के लिए भी धन प्रदान करता है।
आईपीओ (IPO) की कीमत तय की प्रक्रिया
- प्राइस बैंड (Price Band) |
- दूसरा फिक्स्ड प्राइस इश्यू (Fixed price Issue)।
जिन कंपनियों को आईपीओ (IPO) लाने की अनुमति प्राप्त हो जाती है तो उसे अपने सभी शेयरों की कीमत तय करने का अधिकार होता हैं | इसके आईपीओ या स्टॉक अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर और कुछ अन्य क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी (SEBI) और बैंकों को रिजर्व बैंक (RBI) से अनुमति लेना जरूरी होता है | भारत में 20 फीसदी प्राइस बैंड की ही अनुमति प्रदान की गई है |
लंबी अवधि का लक्ष्य रखकर रुके रहना बेहतर
बाजार में गिरावट जारी है। इससे निवेशकों में डर है। हालांकि, एलआईसी आईपीओ या स्टॉक में निवेश करने वाले निवेशकों को इस पर अभी ध्यान देने की जरूरत नहीं आईपीओ या स्टॉक है। मार्केट के जानकारों का यह कहना है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आप निवेशक हैं तो लंबी अवधि के लिए फायदेमंद होगा। लंबी अवधि में एलआईसी के शेयर में शानदार रिटर्न मिल सकता है। कंपनी का कारोबार और बाजार हिस्सेदारी बेहतरीन है। ऐसे में आने वाले समय में शेयर में तेजी देखने को मिलेगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि दो से तीन साल की अवधि में एलआईसी के शेयर अच्छा रिटर्न दे सकते हैं। आने वाले दिनों में कंपनी अपनी क्षमता में और भी बढ़ोतरी कर सकती है।
शेयर बाजार केज्यादातर जानकारों का कहना है कि LIC में निवेश का नजरिया लॉन्ग टर्म के लिए रखें। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि वैल्युएशन कम होने के कारण इस आईपीओ मेंलिस्टिंग गेन की भी पूरी संभावना है। हालांकि, बंपर लिस्टिंग गेन मिलने की उम्मीद नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रे मार्केट में सोमवार को एलआईसी के आईपीओ पर प्रीमियम 36 रुपये है, जो कल के ग्रे मार्केट प्रीमियम (जीएमपी) 60 रुपये से 24 रुपये कम है। उन्होंने कहा कि 92 रुपये के स्तर तक बढ़ने के बाद, एलआईसी आईपीओ जीएमपी लगातार कमजोर हुआ है। इससे जबरदस्त लिस्टिंग की उम्मीद नहीं है। हां, अगर कोई मीडियम टर्म आईपीओ या स्टॉक आईपीओ या स्टॉक में गेन चाहता है तो इसकी भी पूरी-पूरी संभावना दिख रही है। बाजार में करेक्शन का दौर चल रहा है जिसके कारण कई अन्य स्टॉक भी अट्रैक्टिव रेट्स पर मिल रहे हैं। निवेशकों को ग्रोथ स्टॉक की जगह वैल्यु स्टॉक पर फोकस करना चाहिए।