ऑनलाइन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान

डीमैट अकाउंट क्या है ?
डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट की तरह है, जिसमें आप शेयर सर्टिफिकेट और अन्य सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फार्म में रख सकते हैं। डीमैट अकाउंट ऑनलाइन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान का मतलब डिमैटेरियलाइजेशन अकाउंट होता है। इसमें शेयर, बॉन्ड्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज , म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस और ईटीएफ जैसे इन्वेस्टमेंट को रखने की प्रक्रिया आसान हो जाती है। इस अकाउंट के माध्यम से शेयरों और संबंधित डॉक्युमेंट्स के रखरखाव की परेशानियों दूर हो जाती हैं।
डीमैट अकाउंट का अर्थ हम एक उदाहरण के माध्यम से समझ सकते हैं। मान लीजिए आप कंपनी X का शेयर खरीदना चाहते है, शेयर खरीदने के साथ का वह आपके नाम पर ट्रांसफर भी होंगे। पहले आपको अपने नाम के साथ शेयर सर्टिफिकेट भी मिलते थे। जिसमें पेपर वर्क की कार्रवाई भी शामिल है। जितनी बार कोई शेयर खरीदा या बेचा जाता था तो उतनी बार सर्टिफिकेट बनाने पड़ते थे। इस कागजी कार्रवाई की प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने के लिए भारत ने एनएसई पर व्यापार के लिए 1996 में डीमैट अकाउंट प्रणाली की शुरुआत की।
आज के समय में कोई पेपर वर्क नहीं होती है और न ही कोई भैतिक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। इसलिए जब आप कंपनी X के शेयर खरीदते हैं, तो आपको जो भी मिलता है, वह आपके डीमैट अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में एंटर हो जाता है। डीमैट एकाउंट को ऐसे ही आसान शब्दों में आप समझ गए होंगे।
यदि आप आज शेयर बाजार (एनएसई और बीएसई) या किसी अन्य सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट करना चाहते हैं, तो डीमैट अकाउंट अनिवार्य है. आपके द्वारा किए जाने वाले ट्रेड और लेनदेन के इलेक्ट्रॉनिक सेटेलमेंट के लिए डीमैट अकाउंट नंबर अनिवार्य है.
डीमैट अकाउंट कैसे प्राप्त करें?
जब आप डीमैट अकाउंट के बारे में जान गए हैं, तो आइए जानते है डीमैट अकाउंट ऑनलाइन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान कैसे खोला जा सकता है। आप डीमैट अकाउंट नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL ) या सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CSDL) के साथ खोल सकते हैं। ये डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स (DP) एजेंट नियुक्त करती हैं, जो स्वंय और इन्वेस्टर्स के बीच मध्यस्थ के रूप में काम करती है। उदाहरण के रूप में एचडीएफसी बैंक एक डीपी है, जिसके साथ आप डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। स्टॉकब्रोकर और फाइनेंसियल इंस्टीटूशन भी डीपी है। आप उनके साथ भी डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं।
जिस तरह से एक बैंक अकाउंट में पैसा होता है, उसी तरह से एक डीमैट अकाउंट आपके इन्वेस्टमेंट को इलेक्ट्रॉनिक फार्म में रखता है, जो लैपटॉप या स्मार्ट डिवाइस और इंटरनेट के साथ आसानी से एक्सेस हो सकता है। जिसको एक्सेस करने के लिए आपके पास एक यूनिक लॉगिन आईडी और पासवर्ड होना चाहिए। हालांकि, बैंक अकाउंट के विपरीत, आपके डीमैट अकाउंट में किसी भी प्रकार का 'न्यूनतम बैलेंस' होना आवश्यक नहीं है।
आप किसी भी डिपॉजिटर्स की वेबसाइट पर जाकर उनकी डीपी की सूची प्राप्त कर सकते है। जिसके साथ आप डीमैट एकाउंट खोलना चाहते है। डीपी का चुनाव उनके वार्षिक शुल्क पर निर्भर होना चाहिए।
यह ध्यान देना चाहिए कि आप एक से अधिक डीमैट एकाउंट को एक डीपी के साथ न जोड़े। क्योंकि एक पैन कार्ड को कई डीमैट अकाउंट के साथ जोड़ा जा सकता है।
डीमैट अकाउंट का विवरण
आपका डीमैट अकाउंट खुलने के बाद सुनिश्चित करें, कि ऑनलाइन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान आपको अपने डीपी से निम्न विवरण प्राप्त किया :
डीमैट अकाउंट नंबर : सीडीएलएस के तहत यह बेनिफिशियरी आईडी' के रूप में जाना जाता है। यह मुख्यत 16 कैरेक्टर का मिश्रण है।
डीपी आईडी : यह आईडी डिपॉजिटर प्रतिभागी को दी जाती है। जो आपके डीमैट अकाउंट नंबर का हिस्सा है।
पीओए नंबर : यह पावर ऑफ अटॉर्नी एग्रीमेंट का हिस्सा है, जहां एक इन्वेस्टर दिए गए निर्देशों के अनुसार स्टॉक ब्रोकर को अपने अकाउंट को संचालित करने की अनुमति देता है।
ऑनलाइन एक्सेस के लिए आपको अपने डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट्स पर एक यूनिक लॉगिन आईडी और पासवर्ड भी मिलेगा।
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट
डीमैट अकाउंट एक ट्रेडिंग अकाउंट के साथ होता है. जो शेयर बाजार में शेयर खरीदने औऱ बेचने के लिए जरूरी है. उदाहरण के रूप में एचडीएफसी बैक का एक डीमैट अकाउंट 3 इन 1 होता है, जिसमें सेविंग, डीमैट और ट्रेडिंग तीनों को जोड़ा जाता है.
लोग कभी-कभी डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बीच कंफ्यूज होते हैं कि वे एक जैसे नहीं हैं। एक डीमैट एकाउंट में आपके नाम के शेयरों और अन्य सिक्योरिटीज का विवरण होता है। शेयर खरीदने और बेचने के लिए, आपको एक ट्रेडिंग एकाउंट खोलना होगा। कई बैंक और ब्रोकर ऑनलाइन ट्रेडिंग सुविधाओं के साथ ट्रेडिंग एकाउंट की पेशकश करते हैं, जिससे आम इन्वेस्टर्स के लिए शेयर मार्केट में भाग लेना आसान हो जाता है।
डीमैट अकाउंट के प्रकार
अब हम डीमैट अकाउंट की परिभाषा समझ गए हैं। तो आइए डीमैट अकाउंट के प्रकारों को देखें। यह मुख्य रूप से तीन प्रकार हैं:
रेगुलर डीमैट अकाउंट: यह उन भारतीय नागरिकों के लिए है जो, देश में रहते हैं।
रिपेट्रिएबल डीमैट अकाउंट: इस तरह का डीमैट अकाउंट प्रवासी भारतीयों (NRI) के लिए है, जो विदेशों में फंड ट्रांसफर करने सक्षम बनाता है। हालांकि, इस तरह के डीमैट अकाउंट को एनआरई बैंक अकाउंट से लिंक ऑनलाइन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान करने की जरूरत है।
नॉन-रिपेट्रिएबल डीमैट अकाउंट: यह भी एनआरआई के लिए है, लेकिन इस प्रकार के डीमैट अकाउंट के साथ, विदेशों में फंड ट्रांसफर करना संभव नहीं है। साथ ही इसे एनआरओ बैंक अकाउंट से भी लिंक कराना होगा।
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* इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य है और यह केवल सूचना के प्रयोजनों के लिए है। यह आपकी अपनी परिस्थितियों में विशिष्ट सलाह का विकल्प नहीं है।
शेयर ट्रेडिंग से हुई इनकम पर कैसे टैक्स लगता है?
साल में एक लाख रुपये तक के एलटीसीजी पर कोई टैक्स नहीं पड़ता है. इसके अलावा 31 जनवरी 2018 से पहले तक खरीदे गए शेयरों पर एलटीसीजी ग्रैंडफादरिंग क्लॉज के तहत आता है. यानी इस तारीख तक शेयरों से हुआ मुनाफा भी टैक्स के दायरे में नहीं आता है.
शेयर ट्रेडिंग से हुए फायदे या नुकसान को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (एसटीसीजी) या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के तौर पर क्लासिफाई करना होगा.
एकेएम ग्लोबल में पार्टनर अमित माहेश्वरी कहते हैं, चूंकि पार्थ की शेयर ट्रेडिंग से इनकम है. इसलिए उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने के लिए आईटीआर-2 का इस्तेमाल करना होगा.
हालांकि, पार्थ अगर इंट्रा-डे ट्रेडिंग कर रहे हैं तो उसे स्पेकुलेटिव बिजनेस के तौर पर देखा जाएगा. उस स्थिति में उन्हें आईटीआर-3 में अपना रिटर्न फाइल करने की जरूरत होगी. इसके अलावा शेयर ट्रेडिंग से हुए फायदे या नुकसान को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (एसटीसीजी) या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के तौर पर क्लासिफाई करना होगा. शेयर से हुए गेंस को अगर एक साल तक रखा जाता है तो उसे एसटीसीजी में वर्गीकृत किया जाता है. वहीं, अगर इसे एक साल से ज्यादा समय के लिए रखा जाता है तो यह एलटीसीजी में क्लासिफाई होता है.
एसटीसीजी पर 15 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. दूसरी ओर एलटीसीजी पर टैक्स की यह दर 10 फीसदी होती है. हालांकि, साल में एक लाख रुपये तक के एलटीसीजी पर कोई टैक्स नहीं पड़ता है. इसके अलावा 31 जनवरी 2018 से पहले तक खरीदे गए शेयरों पर एलटीसीजी ग्रैंडफादरिंग क्लॉज के तहत आता है. यानी इस तारीख तक शेयरों से हुआ मुनाफा भी टैक्स के दायरे में नहीं आता है.
आइए, अब शौर्य का सवाल लेते हैं.
शौर्य ने दिल्ली में चार साल पहले एक फ्लैट खरीदा था. इसके लिए उन्होंने एसबीआई से लोन लिया था. उन्होंने गुरुग्राम में एक और फ्लैट बुक कराया था. यह पजेशन के लिए तैयार है. वह इस फ्लैट को बेचना चाहते हैं. इसकी बिक्री से मिली रकम से वह होम लोन खत्म कर देना चाहते हैं. उन पर किस तरह टैक्स देनदारी बनेगी?
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर होम ऑनलाइन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान मिस्त्री कहते हैं कि अगर शौर्य पजेशन लेने से पहले घर को बेचते हैं तो फायदा उस स्थिति में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में आएगा अगर उन्होंने इस पर कम से कम तीन साल अधिकार रखा है. इस पर 20 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा. साथ ही लागू सरचार्ज और सेस भी वसूला जाएगा. ऐसा नहीं होने पर इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस के तौर पर उनकी इनकम पर लागू स्लैब रेट से टैक्स लगेगा.
वहीं, शौर्य अगर घर का पजेशन लेने के तुरंत बाद इसे बेचते हैं तो इस बात की ज्यादा संभावना है कि इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाए. इस पर स्लैब रेट के अनुसार टैक्स लगेगा. शौर्य को कोई भी फैसला लेने से पहले इन पहलुओं को देख लेना चाहिए.
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Career Tips: शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले समझ लें ये बातें और फायदे
Stock Market: आज हम आपको बताएंगे कि शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले ट्रेनिंग क्यों जरूरी है और इससे आपको क्या फायदा होगा।
Image Credit: freepik
हाइलाइट्स
- ट्रेनिंग सेंटर ढूंढते समय इन बातों का रखें ध्यान
- जानें कौन-से हैं स्टॉक मार्केट के बेस्ट कोर्स
- जानें शेयर बाजार ट्रेनिंग के फायदे
- संस्थानों और दी जाने वाली सेवाओं के बारे में अच्छी तरह से अध्ययन करें।
- सेवाओं और संस्थानों की संक्षिप्त तुलना करें।
- जांचें कि क्या आपकी आवश्यकताओं के अनुसार कोर्स मौजूद है।
- उसी संस्थान में एक उन्नत कार्यशाला की तलाश करें।
- ट्रेडिंग में तकनीकी विश्लेषण
- मूल्य चार्ट का रुझान विश्लेषण और पैटर्न विश्लेषण।
- सकारात्मक और नकारात्मक अंतर
- शॉर्ट टर्म, मिडटर्म ट्रेडिंग और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट तकनीक।
- धन प्रबंधन और रिस्क मिटिगेशन टेक्निक।
- स्टॉक और ट्रेड मार्केट की दुनिया में सही सफलता पाने के लिए पूर्ण और गहरी समझ, ज्ञान होना बहुत जरूरी है।
- इसमें लाभ और हानि दोनों होते हैं और नुकसान की संभावना अधिक होती है, यदि आप अच्छी तरह से प्रशिक्षित (trained) नहीं हैं या दिए गए आंकड़ों के आधार पर बाजार की अच्छी तरह से भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं।
- बहुत सारे लोग एक बड़ी गलती यह करते हैं कि पैसा कमाने के लालच में कम ज्ञान और समझ के साथ शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं। इसके परिणामस्वरूप कम लाभ के साथ-साथ उन्हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है।
- शेयर बाजार में उतरने से पहले यदि ट्रेनिंग किसी अच्छे संस्थान से लिया गया है, तो आपको ट्रेडिंग स्टॉक, इसकी प्रवृत्ति और पैटर्न और अपेक्षित मूल्य का पूरा तकनीकी एनालिसिस नॉलेज होगा।
- ट्रेडिंग से सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको एक अच्छे स्टॉक मार्केट प्रशिक्षण में शामिल होने की आवश्यकता है। गंभीर और गतिशील प्रत्येक व्यक्ति के लिए बिना किसी जोखिम के शेयर बाजार से अच्छा रिटर्न अर्जित करना आवश्यक और फायदेमंद है।
- ट्रेनिंग शेयर बाजार में ज्यादा मुनाफा कमाने की पूरी तकनीक को समझने में मदद करता है।
- स्टॉक मूल्य मूमेंट की पहचान करने के लिए रुझानों और पैटर्न का गहन तकनीकी ज्ञान देता है।
- शॉर्ट टर्म, मिड-टर्म ट्रेडिंग और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के बारे में पूरी जानकारी के साथ एक अच्छा ट्रेडर बनने में मदद करता है।
- शेयर बाजार में जोखिम कम करने और अधिक लाभ हासिल करने के लिए ट्रेडिंग रणनीति बनाने में मदद करता है।
- बिना किसी नुकसान के प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिए आपको मजबूत बनाता है।
- आपको ट्रेडिंग के लिए बाजार के हिसाब से लचीला बनाता है।
- शेयर और शेयर बाजार के हर क्षेत्र में विश्वास पैदा करने में मदद करता है।
- निवेश के सभी क्षेत्रों में नॉलेज बढ़ाता है।
- धन प्रबंधन और जोखिम प्रबंधन तकनीकों को समझना
- आपको सही समय और ट्रेंड में ग्रोथ स्टॉक्स में अधिक निवेश करने में सक्षम बनाता है। यह आपको बाजार से लगातार समानांतर आय स्रोत अर्जित करने में सक्षम बनाता है।
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डीमैट अकाउंट के फायदे|7 Benefits Of Demat Account In Hindi.
नमस्कार दोस्तो:हमारे पिछले आर्टिकल में हम ने डीमैट अकाउंट के नुकसान के बारे में बात की थी.और आज के आर्टिकल में हम बात करने वाले है डीमैट अकाउंट के फायदे के बारे में.तो चलिए आज का आर्टिकल शुरू करते है.
Table of ऑनलाइन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान Contents
डीमैट अकाउंट के फायदे (Benefits Of Demat Account In Hindi.)
डीमैट अकाउंट के फायदे
पहिले के टाइम शेयर्स को फिजिकल फॉर्म में रखा जाता था.जिस से ट्रेडर्स को बहुत सारी प्रॉब्लम को फेस करना पड़ता था.लेकिन दोस्तो डीमैट अकाउंट होने से ट्रेडर और इन्वेस्टर्स की लाइफ काफी आसान हो चुकी है.तो चलिए एक एक करके इन फायदो के बारे में बात करते है.
1. ट्रेडिंग करना आसान हो गया है.
दोस्तों डीमेट अकाउंट के होने से ट्रेडिंग करना बहुत ही आसान हो गया है.क्योंकि अब यहां आप बिना किसी ब्रोकर या स्टॉक एक्सचेंज के पास जाए बिना कहीं से भी अपने मोबाइल या कंप्यूटर/ लैपटॉप का यूज करके भारत के किसी भी कोने से ट्रेडिंग कर सकते हो और यही इसकी खास बात है.
2.Foreign investors का भरोसा बढ़ गया है.
पहले के मुकाबले फॉरेन इन्वेस्टर का भारतीय स्टॉक बाजार को देखने का नजरिया बदल गया है.उनकी सोच बदल गई है,और भरोसा बढ़ गया है भारतीय मार्केट पर.
3.ट्रांसफर प्रोसेस आसान हो गई है.
दोस्तों आज के जमाने में सारी प्रोसेस ऑनलाइन होने के चलते एक डीमैट अकाउंट के शेयर दूसरे डिमैट अकाउंट में आसानी से ट्रांसफर किए जाते हैं.लेकिन पहले ये प्रोसेस काफी मुश्किल हुआ करती थी.जिसको ऑनलाइन के जमाने में काफी आसान बना दिया है.
4.दूसरे सिक्योरिटी को भी खरीद सकते है.
डीमैट अकाउंट में सिर्फ शेयर ही नही रखे जाते,बलकी शेयर्स के साथ दूसरे सिक्योरिटी जैसे की,बॉन्ड,म्यूचुअल फंड,डिबेंचर्स को भी अपने डीमैट अकाउंट में रख सकते हो.
क्युकी डीमैट अकाउंट अलग तरह के सिक्योरिटी को रखने के लिए ही बनाया गया है.ये बात अलग है की भारत में डीमैट अकाउंट का ज्यादातर यूज शेयर्स रखने के लिए किया जाता है.
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5.दूसरे खर्चों से छुटकारा मिल जाता है.
स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए डीमैट अकाउंट होने से आपके दूसरे खर्च बच जाते है जैसे की,ऑपरेटिंग कॉस्ट,स्टंप ड्यूटी या हैंडलिंग फीस etc. डीमैट अकाउंट मे आपको बस AMC ( Annual Maintenance Charges ) और ब्रोकरेज चार्ज ही देना होता है.
6.लोन की सुविधा
डीमैट अकाउंट के जमा सिक्योरिटी पर आप भारत के अलग अलग बैंको से लोन भी ले सकते हो.
7.Other Benefit
- डीमैट अकाउंट होने से आपको शेयर सर्टिफिकेट गायब या चोरी होने वाले खतरे से छुटकारा मिल गया है.
- नॉमिनी को add करने की फैसिलिटी आपको डीमैट अकाउंट प्राइवेट कराता है.
- कंपनी के बोनस शेयर डिस्ट्रीब्यूशन के वक्त कोई फिजिकल डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं पड़ती,शेयर्स अपने आप (Automatic) डीमैट अकाउंट में क्रेडिट हो जाते है.
- दोस्तो अगर आपको अपने डीमैट अकाउंट की सर्विस पसंद नही आती है,तो आप ऑनलाइन तरीके से डीमैट अकाउंट को आसानी से बंद भी कर सकते हो.
- डीमैट ऑनलाइन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान अकाउंट के जरिए ट्रेडिंग करने से टाइम की बचत भी हो जाती है.
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Conclusion
दोस्तो में उम्मीद करता हु आज के हमारे आर्टिकल में दी गई जानकारी (डीमैट अकाउंट के फायदे) आपको पसंद आई होगी.आज का आर्टिकल आपको कैसा लगा हमे नीचे कॉमेंट करके या फिर ईमेल करके जरूर बताए.
अपने उन दोस्तो के साथ जरूर इस आर्टिकल को शेयर करो,जिन्हे Finance,Taxation, Economics और Stock Market के बारे में कुछ न कुछ नया सिखना अच्छा लगता है.और इसी तरह के नए नए इनफॉर्मेशन रीड करने के लिए हमारे वेबसाइट पर दोबारा जरूर विजिट करे.
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शेयर बाजार से होती रहेगी मोटी कमाई, अपनाएं एक्सपर्ट के 5 गोल्डेन टिप्स
शेयर बाजार वो जगह है जहां कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है.
शेयर बाजार वो जगह है जहां कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है.
शेयर बाजार वो जगह है जहां कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. वहीं अगर जोखिम हावी हो जाए तो बड़ा नुकसान भी हो सकता है. सिर्फ दूसरे की देखा देखी या किसी के कहने से निवेश करने से बड़ा नुकसान हो सकता है. वहीं, कुछ बातों को ध्यान में रखकर और समझदारी से शेयर बाजार में पैसा लगाएं तो कम समय में अमीर बन सकते हैं. ट्रेडिंग उतनी ही गंभीरता से करना चाहिए, जितनी गंभीरता से आप किसी अन्य पेशे में काम करते हैं. भावी जोखिम को ध्यान में रखकर, लंबी अवधि के लक्ष्य बनाकर निवेश करना फायदेमंद होता है. यहां बाजार से जुड़े कुछ ऐसे टिप्स हैं, जिन्हें फॉलो कर आप भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
ट्रेडिंग को सट्टा न समझें
शेयर बाजार में ट्रेडिंग को सट्टा लगाने की तरह न समझें. इसमें बेहद अभ्यास और समझदारी की जरूरत होती है. अगर आप ट्रेडिंग से जुड़े नियमों का पालन नहीं करेंगे तो नुकसान हो सकता है. ट्रेडिंग में आपको जोखिम उठाना पड़ता है, लेकिन इसे समझ लें तो इसका फायदा लंबी अवधि में मिलता है. हालांकि कुछ नियमों, बाजार की खबरों और एक्सपर्ट के सुझावों के साथ अपनी समझ का इस्तेमाल करते हुए इस जोखिम को कम किया जा सकता है.
बाजार को लेकर भ्रम न होने दें
ट्रेडिंग करते समय सिर्फ एक या दो इंडिकेटर्स पर ही ध्यान देना चाहिए. इससे न केवल आपको बाजार के रूझानों के बारे में जानकारी मिलती है, बल्कि आप सोच समझ कर फैसला ले सकते हैं. वहीं, कई इंडिकेटर्स को ध्यान में रखने से भ्रम पैदा होता है और आप सही दिशा से भटक जाते हैं. अपनी ऑनलाइन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान एकाग्रता बनाए रखें, ताकि आप बेस्ट रिजल्ट पा सकें.
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सिर्फ गिरावट देखकर पैसा न लगाएं
कभी भी यह सोच कर ट्रेडिंग न करें कि गिरावट के बाद बाजार में तेजी आएगी ही. हो सकता है कि आपको बाजार में तेजी के लिए लंबा इंतजार करना पड़े और बाद में प्रतिकूल स्तर तक पहुंच कर बाहर आना पड़े. गिरावट के बाद बाजार में उछाल आ सकता है, लेकिन कई बार इसमें महीनों लग जाते हैं. इसलिए ट्रेडिंग करते समय हमेशा बाजार के रूझानों पर ध्यान दें और उन कंपनियों में निवेश करें जिनकी नींव मजबूत है.
ज्यादा फायदे के पीछे न भागें
ज्यादा फायदे का मतलब ज्यादा मुनाफे से है. निवेशकों को उन बेहतर कंपनियों के शेयर में पैसा लगाना चाहिए, जिनका बेस के ऑनलाइन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान साथ साथ फंडामेंटल भी मजबूत हों. जो कंपनियां मुनाफा कमा रही हों. यहां पैसा लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए. ज्यादा मुनाफे के लिए गलत जगह पैसा न लगा दें. कम समय में ज्यादा कमाई के चक्कर में आपको एक दो बार तो फायदा हो सकता है, लेकिन इसमें नुकसान ज्यादा है.
ऑनलाइन ट्रेडिंग में फायदे
कई बार निवेशक ट्रेडिंग के लिए पूरी तरह से ब्रोकर पर डिपेंड हो जाते हैं. इस मामले में ऐसा हो सकता है कि ब्रोकर आपसे कमाई की उम्मीद में आपको लंबी अवधि के लिए निवेश की सलाह न दे. इसलिए खुद की रिसर्च पर भरोसा करें. आप खुद ऑनलाइन ट्रेडिंग कर आप अपना पैसा और समय दोनों बचा सकते हैं. सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया, इंटरनेट की पहुंच को बढ़ावा देने से ऑनलाइन ट्रेडर्स को प्रोत्साहन मिल रहा है और इस क्षेत्र में नई तेजी आई है.
(लेखक अमित गुप्ता ट्रेडिंग बेल्स के सीईओ और को-फाउंडर हैं.)
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