तकनीकी विश्लेषण का आधार

डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?

डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?
अब आप इस पोस्ट के माध्यम से इंटरनेट की नई पीढ़ी जिसे हम वेब 3.0 के नाम से जान रहे हैं, इससे जुड़ी सभी जरूरी जानकारी आपको इस आर्टिकल के माध्यम से जानने को मिल गई होगी I

Web 3.0 क्या है?: कैसे इससे ये कंपनिया डूबेगी जानिए..

Web 3.0 क्या है?: नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपको इंटरनेट से जुड़े एक महत्वपूर्ण बात वेब 3.0 के बारे में जानकारी जानेंगे आपने Web 3.0 का नाम जरूर सुना होगा जो आज के समय में काफी ज्यादा चर्चा में है क्या ये गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों को मोनोपोली खत्म होने का खतरा बढ़ा रहा है?

क्या वेब 3.0 से यूजर को क्या फायदा होगा आदि प्रकार की सभी जानकारी आपको इस पोस्ट में जानने को मिलेगी कृपया हमारे साथ बने रहे जिससे कि हम आपको इंटरनेट की दुनिया को बदल देने वाला यह नया टर्म Web 3.0 से संबंधित सभी जरूरी जानकारी आपको इस पोस्ट में जानने को मिलेगी ।

Web 3.0 क्या है?

आप नहीं जानते हो कि वेब 3.0 क्या है? तो हम आपको बता दें कि यह वेब 3.0 का एडवांस वर्जन है जो कि आज के समय में जो हम इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं वह इंटरनेट का वेब 2.0 वर्जन है ।

वेब 3.0 में आपको कोई भी कंपनी कंट्रोल नहीं कर पाएगी इसमें कोई भी कंपनी नहीं होगी बल्कि वही अपने कंटेंट का मालिक होंगे I

हम इस बात को इस तरीके से समझासकते हैं कि इन दिनों गूगल चाहे अपनी मर्जी का सर्च इंजन का उपयोग अपने फायदे के लिए कर सकता है क्योंकि उसका पूरा कंट्रोल उसके ऊपर है लेकिन जैसे सर्च रिजल्ट में वह अपनी मनमानी कर सकता है उसके ऊपर की गई गड़बड़ी के अक्सर आरोप लगते रहते हैं I

Web 3.0 क्या है

Web 1.0 क्या है?

जैसे ही हम सब जानते हैं कि वर्ष 1989 में वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) यानी इंटरनेट की शुरुआत हुई थी, तब इंटरनेट के डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? इंटरनेट से काफी अलग था उस समय इंटरनेट पर केवल जानकारी टैक्स यानी अक्षर के रूप में ही मिलती थी I जैसे इसे समय बिताता गया इंटरनेट में बदलाव होते गए, इसके बाद इंटरनेट का एक नया वर्जन वेब 2.0 आया इसमें टेक्स्ट फॉरमैट के साथ-साथ कई प्रकार की मीडिया भी शामिल हो गई जिसमें फोटोस वीडियोस ग्राफिक्स आदि इसमें आ गई I

आज के समय में जो इंटरनेट का उपयोग कर रहे कर रहे हैं वह Web 2.0 यानी मौजूद इंटरनेट एक तरीके से कंट्रोल किया जाता है, यह डिसेंट्रलाइज्ड नहीं है इंटरनेट का ज्यादा पर कांटेक्ट आप गूगल के जरिए सर्च करते हैं यानी आपका डाटा को कंट्रोल करने वाली कंपनियां होती है इन कंपनियों के पास आपका डाटा होता है ।

भारत सरकार की डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? क्रिप्टोकरेंसी बैन की तैयारी, क्रैश हुआ बिटकॉइन

The Fact India: केंद्र सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी (Crypto Currency)पर शिकंजा कसने की पूरी तैयारी कर ली है. अब कभी भी क्रिप्टोकरेंसी को बैन किया जा सकता है. इस खबर के बाद ज्यादातर क्रिप्टोकरेंसियों में गिरावट देखने को मिल रही है. बुधवार सुबह बिटकॉइन 17% से ज्यादा गिरावट देखी जा रही है. क्रिप्टोकरेंसी के लिए सरकार 29 नवंबर से शुरू होने जा रहे शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने वाला विधेयक संसद में पेश करेगी. बिल में सभी तरह की प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर पाबंदी लगाने की बात कही गई है.

सरकार लाएगी बिल

सभी क्रिप्टो करेंसी पर पाबंदी लगाने के लिए सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में ‘द क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिसियल डिजिटल करेंसी बिल 2021’ (The Cryptocurrency & Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021) लाएगी.

Web 1.0 क्या है?

जैसे ही हम सब जानते हैं कि वर्ष 1989 में वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) यानी इंटरनेट की शुरुआत हुई थी, तब इंटरनेट के इंटरनेट से काफी अलग था उस समय इंटरनेट पर केवल जानकारी टैक्स यानी अक्षर के रूप में ही मिलती थी I जैसे इसे समय बिताता गया इंटरनेट में बदलाव होते गए, इसके बाद इंटरनेट का एक नया वर्जन वेब 2.0 आया इसमें टेक्स्ट फॉरमैट के साथ-साथ कई प्रकार की मीडिया भी शामिल हो गई जिसमें फोटोस वीडियोस ग्राफिक्स आदि इसमें आ गई I

आज के समय में जो इंटरनेट का उपयोग कर रहे कर रहे हैं वह Web 2.0 यानी मौजूद इंटरनेट एक तरीके से कंट्रोल किया जाता है, यह डिसेंट्रलाइज्ड नहीं है इंटरनेट का ज्यादा पर कांटेक्ट आप गूगल के जरिए सर्च करते हैं यानी आपका डाटा को कंट्रोल करने वाली कंपनियां होती है इन कंपनियों के पास आपका डाटा होता है ।

Web 3.0 चर्चा में क्यों है?

फेसबुक ने अपना नाम बदलकर मेटा किया है जोकि इंटरनेट को वर्चुअल बनाएगा जबसे इंटरनेट का एक नया वर्जन वेब 3.0 की आने की चर्चा शुरू हो गई है I

Web 3.0 डिसेंट्रलाइज होगा, जिसमें की आपके डाटा का पूरा कंट्रोल आपके पास होगा, यानी आप अपने आप के मालिक होंगे इसमें किसी भी third-party कंपनी का कोई भी कंट्रोल नहीं हो सकेगा I

ऐसा होने से टेक्नोलॉजी से जुड़ी बड़ी बड़ी कंपनियां जैसे गूगल फेसबुक को इसके आने से काफी ज्यादा नुकसान होने की संभावना है, कुल मिलाकर ये नई तकनीक यूजर को फायदे देने वाली तकनीकी होगी, इस वजह से आज के समय में वेब 3.0 की चर्चा ज्यादा हो रही है ।

Web 1.0, Web 2.0, 3.0 में अंतर क्या है?

इसे बड़ी ही आसानी से समझा डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? जा सकता है, जैसे कि आप जानते हो कि Web 1.0 में इंटरनेट पर केवल डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? टैक्सी फॉर्मेट अवेलेबल था, उस समय पर इंटरनेट पर यूजर जानकारी को पढ़ सकता था I

जैसे-जैसे डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? तकनीक में परिवर्तन होता गया, उसके बाद Web 2.0 आया जिसमें टैक्स के साथ-साथ इंटरनेट में मीडिया भी जुड़ गई जिससे कि किसी भी जानकारी को हासिल करने का जरिया इमेजेस वीडियो ग्राफिक्स आदि भी इसमें जुड़ गए आज के समय में हम Web 2.0 का ही इस्तेमाल कर रहे है, लेकिन यह दोनों तकनीकी मैं यूज़र का अपना डाटा पर कोई कंट्रोल नहीं होता है, इसे सिर्फ दूसरी कंपनियां ही कंट्रोल कर सकती है जैसे गूगल फेसबुक I

लेकिन Web 3.0 के आने से यूजर अपने डाटा का मालिक स्वयं हो जाएगा, और वह अपने डाटा को खुद ही ऑपरेट कर सकेगा जिसमें कोई सी भी अन्य तीसरी कंपनी इसमें इंटरफेयर नहीं कर पाएगी वेब 3.0 ब्लॉकचेन पर काम करता है जो कि क्रिप्टोकरंसी भी कार्य करती है जो कि सबसे सुरक्षित तरीका है ।

Top 8 NFTs Crypto Coins List डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? In India (NFT Tokens)

पहला bitcoin 3 जनवरी 2009 में ब्लॉकचैन पर लांच किया गया था डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? और उसका प्राइस शायद 200 से भी कम था पहला बिटकॉइन लगभग 0.0008$ मैं ब्लॉकचेन डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? पर ट्रेड किया गया था और आज की समय में बिटकॉइन सातवें आसमान पर है और इसमें निवेश करने वाले बहुत से लोगों ने इसे करोड़ों कमाए हैं।

भारत मे Bitcoin की शुरुआत

दुख की बात तो यह है कि बिटकॉइन को इंडिया में आते – आते बहुत ज्यादा समय डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? लग गया। इंडिया में टेक्नोलॉजी की कमी होने के कारण हमें इसकी पूरी जानकारी ही नहीं थी कि बिटकॉइन क्या चीज है, तो निवेश करने की बात तो बहुत दूर थी।

भारत में Crypto का विकास

जैसे – जैसे टेक्नोलॉजी विकसित हुई भारत में भी लोग जागरूक होने लगे .धीरे-धीरे हमें पता चलने लगा कि क्रिप्टो करेंसी क्या चीज है और इसमें निवेश करके लाखों कमाए जा सकते हैं।

परंतु तब तक काफी देर हो चुकी थी बिटकॉइन का प्राइस काफी ऊपर जा चुका था। कुछ गिने चुने लोगों ने इसका लाभ जरूर उठाया।

Best 8 NFTs Crypto Coins List

  1. Decentraland
  2. Axie Infinity Token
  3. The Sandbox Token
  4. Theta Token
  5. Flow Token
  6. Gala Token
  7. Enjin Coin
  8. Chiliz Price

Decentraland एक वर्चुअल रियल्टी प्लेटफार्म है, जो की एथेरियम ब्लॉकचेन पर बना है। यह एक ऐसा प्लेटफार्म है जो Metaverse की दुनिया में एक अहम भूमिका रखता है। इस प्लेटफार्म पर यूजर्स को हर तरह के tools और साधन मिलते हैं

जिनका इस्तेमाल करते हुए आप किसी भी तरह की एनएफटी बना सकते हैं और अपने खरीदे हुए वर्चुअल लैंड को मॉडिफाई या डिजाइन करके बेहतर रूप से बनाकर एनएफटी के रूप में ब्लॉकचेन पर ट्रेड कर सकते हैं।

इसमें दो क्रिप्टोकरंसी का इस्तेमाल किया जाता है : Mana & Land

Mana #30 रैंक पर ट्रेड करता है, जिसकी करंट वैल्यू ₹200 के करीब है। निवेश करने के लिए यह एक बेहतर Coin है, जो एनएफटी मार्केट के साथ सीधा – सीधा संबंध रखता है।

‘डिजिटल रुपी’ आने ही वाला है, जानें क्या है यह

नई दिल्ली। Digital Rupee Explainer: मोदी कार्यकाल का 10वां बजट (Budget 2022) आज मंगलवार को संसद में पेश हुआ। अपनी बजट स्पीच के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आरबीआई की डिजिटल करेंसी पर बड़ा ऐलान किया। वित्त मंत्री ने कहा कि आरबीआई की डिजिटल करेंसी ‘डिजिटल रुपी’ को नए वित्त वर्ष की शुरुआत में ही लॉन्च कर दिया जाएगा।

डिजिटल रुपी को ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी व अन्य टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के जरिए पेश किया जाएगा। यह डिजिटल इकनॉमी को बिग बूस्ट देगा। करेंसी मैनेजमेंट को ज्यादा इफीशिएंट और कम लागत वाला बनाएगा। आइए जानते हैं कैसा हो सकता है आरबीआई की डिजिटल करेंसी का स्वरूप…

किसी केन्द्रीय बैंक की डिजिटल डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? करेंसी को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency) कहा जाता है। जिस देश का केंद्रीय बैंक (Central Bank) इसे जारी करता है, उस देश की सरकार की मान्यता इसे हासिल होती है। डिजिटल करेंसी उस देश की केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट (Balance Sheet) में भी शामिल होती है और इसे देश की सॉवरेन करेंसी (Sovereign Currency) में बदला जा सकता है। डिजिटल करेंसी दो तरह की होती है-रिटेल (Retail) और होलसेल (Wholesale)। रिटेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल आम लोग और कंपनियां करती हैं। होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं द्वारा किया जाता है।

रेटिंग: 4.57
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 475
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *