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पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है?

पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है?

पोर्टफोलियो प्रबंधक और फंड मैनेजर के बीच अंतर; पोर्टफोलियो प्रबंधक बनाम फंड मैनेजर

Growth of ETFs & Passive Investing in India | Mr. Vishal Jain, Head of ETFs, Reliance

विषयसूची:

पोर्टफोलियो प्रबंधक बनाम फंड मैनेजर

पद पोर्टफोलियो प्रबंधक और फंड मैनेजर को समानार्थक शब्द के रूप में उपयोग किया जाता है क्योंकि दोनों एक निवेश पेशेवर का वर्णन करने के लिए उपयोग किया जाता है निवेशकों के लिए निवेश के आवंटन को पैदा करने और प्रबंधित करने के लिए जिम्मेदार है ये निवेश आवंटन निवेशकों की रिटर्न आवश्यकता मापदंड, निवेश लक्ष्यों, जोखिम की भूख और बाजार की स्थिति पर निर्भर करते हैं। इस प्रकार, पोर्टफोलियो प्रबंधक और फंड मैनेजर के बीच कोई अंतर नहीं है। कुछ पोर्टफोलियो प्रबंधकों / फंड मैनेजर्स विभिन्न प्रकार के फंडों के प्रबंधन में विशेषज्ञ हैं।

सामग्री

1। अवलोकन और महत्वपूर्ण अंतर
2 कौन पोर्टफोलियो प्रबंधक / निधि प्रबंधक
3 है साइड तुलना द्वारा साइड - टैबलर फॉर्म में पोर्टफोलियो प्रबंधक बनाम फंड मैनेजर
4 सारांश

पोर्टफोलियो प्रबंधक पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है? / निधि प्रबंधक कौन है?

पोर्टफोलियो प्रबंधक / फंड मैनेजर एक उच्च शिक्षित पेशेवर है, अधिमानतः जो सीएफए (चार्टर्ड वित्तीय विश्लेषक) जैसे उच्च निवेश योग्यता रखता है और अत्यधिक कुशल है और व्यापक प्रासंगिक वित्तीय अनुभव है पोर्टफोलियो मैनेजर / फंड मैनेजर कई फंड्स का प्रबंधन करते हैं, जैसे

हेज फंड

हेज फंड पेशेवर निवेश प्रबंधित किए जाते हैं जो कई निवेशकों से एकत्र किए गए धन के पूल से बने होते हैं जो समान निवेश लक्ष्यों को साझा करते हैं एकत्र किए गए फंड का निवेश कई तरह की सिक्योरिटीज जैसे कि स्टॉक, बॉन्ड और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में किया जाता है। हेज फंड उनके आक्रामक निवेश रणनीतियों के लिए जाने जाते हैं जो संपूर्ण रिटर्न बनाने पर केंद्रित होते हैं।

म्युचुअल फंड

म्युचुअल फंड भी बड़े पैमाने पर हेज फंड के समान हैं; हालांकि, यह एक कम आक्रामक निवेश दृष्टिकोण लेता है जो आम तौर पर एक सूचकांक बेंचमार्क के सापेक्ष प्रबंधित होता है।

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ)

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स शेयरों और बांड जैसे अंतर्निहित परिसंपत्तियों के साथ बिक्री योग्य सिक्योरिटीज हैं

चूंकि उपर्युक्त अनुसार विभिन्न प्रकार के निधियां हैं, कई पोर्टफोलियो प्रबंधकों / फंड मैनेजर केवल एक प्रकार के फंड में विशेषज्ञ हैं उस मामले में, उन्हें संबंधित प्रकार के फंड के प्रबंधकों के रूप में संदर्भित किया जाता है।

ई। जी। हेज फंड मैनेजमेंट में विशेषज्ञता वाला एक प्रबंधक हेज फंड मैनेजर के रूप में जाना जाता है।

पोर्टफोलियो प्रबंधक और फंड मैनेजर के बीच अंतर क्या है?

  • पोर्टफोलियो मैनेजर और फंड मैनेजर दो शब्द हैं जिन्हें समानार्थक शब्द के रूप में उपयोग किया जाता है
  • निधि प्रबंधक का इस्तेमाल किया जाता है ओ हे प्रबंधकों को संदर्भित करता है जो केवल विशेष निवेश का प्रबंधन करते हैं

सारांश - पोर्टफोलियो प्रबंधक बनाम फंड मैनेजर

पोर्टफोलियो मैनेजर और फंड मैनेजर दो शब्द हैं जिनका उपयोग ऐसे निवेश पेशेवरों के लिए किया जाता है जो निवेशकों की ओर से निवेश का प्रबंधन करते हैं। जब प्रबंधकों को केवल विशेष निवेश वाहनों का प्रबंधन करते हैं, पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है? तो पोर्टफोलियो प्रबंधक के बजाय टर्म फंड मैनेजर का उपयोग किया जाता है। इस कारण से, पोर्टफोलियो प्रबंधक और फंड मैनेजर के बीच एक मामूली प्रासंगिक अंतर मौजूद है।

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संदर्भ:

"पोर्टफोलियो प्रबंधक " Investopedia । एन। पी। , 25 नवंबर 2003. वेब यहां उपलब्ध है। 07 जुलाई 2017.

चित्र सौजन्य:

1 "2411763" (पब्लिक डोमेन) पिक्साबे

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ई-पोर्टफोलियो मैनेजर

हाल ही में एकेडमिक डिग्रियों को ऑनलाइन करने की बात उठी थी। विशेषज्ञों के अनुसार, यह काम ई-पोर्टफोलियो का हिस्सा है। यही कारण है कि इन दिनों ई-पोर्टफोलियो मैनेजमेंट कोर्स काफी पॉपुलर हो रहे हैं। क्या है ई-पोर्टफोलियो मैनेजमेंट..

आजकल कम्प्यूटर पर निर्भरता बढती जा रही है। यही कारण है कि इससे संबंधित कोर्स काफी हॉट हो रहे हैं। कम्प्यूटर के ऑनलाइन प्रयोग के कारण इससे संबंधित नए-नए क्षेत्र सामने आ रहे हैं। ई-पोर्टफोलियो मैनेजमेंट भी एक नया कोर्स है और अब भारत में भी हॉट करियर ऑप्शन बन रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो

ई-पोर्टफोलियो किसी व्यक्ति, कंपनी या किसी अन्य का डॉक्यूमेंट्स, इन्फॉरमेशंस, लिंक सोर्सेज, आडियो और वीडियो क्लिप्स का वेब-पब्लिश्ड कलेक्शन है, जिसमें उसके बारे में विस्तार से वर्णन होता है। मोटे शब्दों में कहा जा सकता है कि यह पुराने समय के क्लासरूम नोटबुक्स का नया डिजिटल वर्जन है, जिसमें हर चीज को अलग-अलग वर्गीकृत करके रखा जाता है। इन्हें वेबफोलियो भी कहा जाता है।

क्यों हो रहे हैं पॉपुलर

पुस्तकों के मामले में तो हम इन्फॉर्मेशन या डॉक्युमेंट्स का सीमित वर्गीकरण कर पाते हैं, लेकिन इसमें कोई सीमा नहीं। इसमें कितने भी इन्फॉरमेशंस और रिसोर्सेज जोडे जा सकते हैं। वेब आधारित अप-टु-डेट कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम की तरह इसमें यूजर किसी भी तरह की फाइल अपलोड कर सकते हैं, उन्हें फोल्डर में व्यवस्थित कर सकते हैं। यह हर तरह के काम के लिए अलग होता है। स्टूडेंट और इंस्ट्रक्टर के लिए पोर्टफोलियो सिस्टम एक सुविधाजनक और एसेसिबल स्पेस और टूल्स उपलब्ध कराता है। यह स्टूडेंट्स को ऑनलाइन क्वेश्चन, पब्लिश्ड वर्क देता है और उसी रुचि के अन्य स्टूडेंट्स के साथ उसका लिंक भी जोडता है। यानी इसके जरिए एड-हॉक लर्रि्नग कम्युनिटी भी क्रिएट की जा सकती है। यह कहा जा सकता है कि ई-पोर्टफोलियो सिस्टम का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और पोर्टफोलियो सर्विसेज के लिए अहम है। वहीं स्टूडेंट्स व लर्नर भी इससे लाभान्वित हो सकते हैं। इसके जरिए स्टूडेंट्स अपनी इंडिविजुअल ग्रोथ, करियर प्लानिंग और सीवी बिल्डिंग की अच्छी समझ हासिल कर सकते हैं।

विदेश के बाद अब भारत में ई-पोर्टफोलियो का चलन विकसित हो रहा है। इन दिनों कई यूनिवर्सिटीज, मैनेजमेंट इंस्टीट्यूशन और बिजनेस स्कूल इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में मास्टर्स डिग्री और डिप्लोमा प्रोग्राम ऑफर कर रहे हैं। पोर्टफोलियो कोर्सेज आमतौर पर फाइनेंस और एकाउंटिंग प्रोफेशनल्स, जैसे सीएफए, सीए, सीडब्लूए, सीएस और एमबीए वगैरह के लिए फायदेमंद है। सीएफए, सीए, सीडब्लूए, सीएस,सीएआईआईबी, सीटीएम, सीआईबी इत्यादि कर रहे और इनवेस्टमेंट और बैंकों के ट्रेजरी डिपार्टमेंट और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस में काम कर रहे प्रोफेशनल्स के लिए भी यह बेहतर करियर ऑप्शन हो सकता है। इस संबंध में एक्सपर्ट का मानना है कि कॉमर्स, इकोनॉमिक्स, मैथमैटिक्स, स्टैटिस्टिक्स और मैनेजमेंट की बैकग्राउंड वाले स्टूडेंट्स इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में एक्सेलेंट करियर बना सकते हैं।

आज इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के क्षेत्र में बहुत सी जॉब्स उपलब्ध हैं। किसी भी ऑर्गनाइजेशन में पोर्टपोलियो मैनेजर मूल रूप से कंपनी की ओर से चल रहे पोर्टफोलियो टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट्स को मैनेज करने का उत्तरदायित्व निभाता है। यूजर्स की जरूरतों और उन्हें पूरा क रने के डेवलपिंग प्रोग्राम्स और भविष्य की टेक्नोलॉजी को परिभाषित करते हुए इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो और ओवरऑल ग्रोथ के प्रति भी जिम्मेदार होता है। आमतौर पर पोर्टफोलियो मैनेजर से उम्मीद की जाती है कि वह पोर्टफोलियो से संबंधित क्षेत्र के सब्जेक्ट मैटर का विशेषज्ञ हो। वह फर्म के कस्टमर रिलेशनशिप मैनेज करने वाले स्टाफ से को-आर्डिनेट करता है। यदि आप भी इसमें करियर बनाना चाहते हैं, तो इससे संबंधित संस्थानों से जुडकर बेहतर करियर संभावनाएं तलाश सकते हैं।

पर्सनल वर्कप्लेस, जहां कोई भी व्यक्ति लिख सकता है और टेक्स्ट बेस्ड इन्फॉर्मेशन, लिंक्स, डिजिटल इमेज और ऑडियो वीडियो क्लिप्स को पब्लिश कर सकता है (वैसे ही, जैसे ब्लॉग में किया जाता है)।

दूसरों को इसमें ऑप्शनली सुविधा हासिल होती है कमेंट देने की और कंटेंट में कुछ जोडने की (जैसे, विकीपीडिया)।

अपनी रुचि के दूसरे लर्नर या एजुकेटरों तक नेटवर्रि्कग के जरिये पहुंचने की सुविधा, जानकारी के आदान-प्रदान और रिलेटेड टॉपिक्स पर लिखने की सुविधा।

कंटेंट को पब्लिश करने या बांटने के कई तरीकों के टूल्स, जैसे न्यूजलेटर्स, ईमेल्स, आरएसएसफीड, एल‌र्ट्स वगैरह।

टैग देकर उन्हें वर्गीकृत करने, कंटेंट क्रिएट, कलेक्ट और पब्लिश करने के फीचर्स।

शिक्षा में पोर्टफोलियो क्या है?

इसे सुनेंरोकेंएक पोर्टफोलियो मूल्यांकन छात्र कार्यों का एक संग्रह है जो उन मानकों से जुड़ा होता है जिन्हें आप सीखना आवश्यक हैं। काम का यह संग्रह अक्सर यह दर्शाने के लिए एक लंबी अवधि में इकट्ठा किया जाता है कि आपने जो कुछ भी सीखा है, उसे क्या सिखाया गया है।

ई पोर्टफोलियो क्या प्रस्तुत करता है?

इसे सुनेंरोकेंई-पोर्टफोलियो को एक प्रकार के सीखने के रिकॉर्ड के रूप में माना जा सकता है जो उपलब्धि का वास्तविक प्रमाण प्रदान करता है। सीखने के रिकॉर्ड सीखने की योजना से निकटता से संबंधित हैं , एक उभरता हुआ उपकरण जिसका उपयोग व्यक्ति, टीम, रुचि के समुदाय और संगठन सीखने के प्रबंधन के लिए करते हैं।

पोर्टफोलियो के निर्माण के लिए चरण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंऐसे कई पोर्टफोलियो को निम्नलिखित चित्र द्वारा दिखलाया गया हैः . पोर्टफोलियो के उद्देश्य का निर्धारण। प्रतिभूतियों का चुनाव किया जाता है। पुनः इसके बाद प्रतिभूतियों के जोखिम एवं प्रत्याय तत्वों का अध्ययन किया जाना चाहिए।

पोर्टफोलियो का निर्माण कैसे होता है?

इसे सुनेंरोकेंआप भी कई अलग-अलग निवेश विकल्पों से चुनकर एक आदर्श निवेश पोर्टफोलियो बना सकते हैं। एक पोर्टफोलियो का निर्माण करते समय निवेश विकल्पों के रिटर्न के अलावा रिस्क, लिक्विडिटी और अस्थिरता जैसे अन्य कारकों पर भी समान रूप से विचार करना चाहिए। पोर्टफोलियो का निर्माण करते समय आपके निवेश सीमा पर भी ध्यान देना चाहिए

पोर्टफोलियो का क्या अर्थ होता है?

इसे सुनेंरोकेंवित्त में, पोर्टफोलियो किसी संस्था या व्यक्ति द्वारा किये गए निवेशों का एक उचित संयोजन या संग्रह होता है।

पोर्टफोलियो कितने प्रकार के होते हैं?

पोर्टफोलियो कितने प्रकार के होते हैं?

  • एग्रेसिव पोर्टफोलियो: एक आक्रामक पोर्टफोलियो, जैसा कि नाम से पता चलता है, सामान्य प्रकार के पोर्टफोलियो में से एक है जो उच्च रिटर्न की तलाश में अधिक जोखिम लेता है।
  • रक्षात्मक पोर्टफोलियो (Defensive Portfolio): एक रक्षात्मक पोर्टफोलियो वह स्टॉक होता है जिसमें उच्च बीटा नहीं होता है।

हिंदी में पोर्टफोलियो क्या है?

E portfolio योग्यता क्या है?

इसे सुनेंरोकेंई-पोर्टफोलियो मैनेजमेंट भी एक नया कोर्स है और अब भारत में भी हॉट करियर ऑप्शन बन रहा है। ई-पोर्टफोलियो किसी व्यक्ति, कंपनी या किसी अन्य का डॉक्यूमेंट्स, इन्फॉरमेशंस, लिंक सोर्सेज, आडियो और वीडियो क्लिप्स का वेब-पब्लिश्ड कलेक्शन है, जिसमें उसके बारे में विस्तार से वर्णन होता है

आप पोर्टफोलियो से क्या मतलब है पोर्टफोलियो प्रबंधन की प्रक्रिया में शामिल कदम की व्याख्या?

इसे सुनेंरोकेंपीएमएस में पोर्टफोलियो मैनेजर अपने ग्राहक की जरूरत के पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है? हिसाब से फंड का प्रबंधन करते हैं. पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS) सेबी से पंजीकृत एक पेशेवर सेवा है. इसके तहत ग्राहकों को इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट और फंड एडमिनिस्ट्रेशन जैसी सेवाएं मिलती हैं. निवेशक अपनी संपत्ति बढ़ाने के लिए पीएमएस सेवाएं लेते हैं

पोर्टफोलियो प्रबंधन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंपोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं (Portfolio Management Services) आमतौर पर ग्राहकों के एक विशेष समूह को प्रदान किए जाते हैं, जहां उन्हें विभिन्न प्रोडक्ट्स में निवेश करने के लिए अनुभवी और व्यक्तिगत दृष्टिकोण प्रदान किया जाता है।

पोर्टफोलियो गतिविधि क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकिसी भी कक्षा की विज्ञान की पुस्तक से किसी एक पाठ का चयन करते हुए गतिविधि निर्मित करें जिसमें बच्चे मन से सम्मिलित हो प्लान करें। किसी कक्षा के किसी पाठ का विज्ञान पुस्तक से चयन करें। टास्क को पूरा करने के लिए दिए गए टेम्पलेट का उपयोग करें।

पोर्टफोलियो प्रणाली 1861 क्या है?

इसे सुनेंरोकेंलॉर्ड कैनिंग के द्वारा 1859 में प्रारम्भ की गयी पोर्टफोलियो प्रणाली को भी मान्यता दी। पोर्टफोलियो प्रणाली- इसके अंतर्गत वायसराय की परिषद का एक सदस्य, एक या अधिक सरकारी विभागों का प्रभारी बनाया जा सकता था तथा उसे इस विभाग में काउंसिल की तरफ से अंतिम आदेश पारित करने का अधिकार था

fund manager kaise bane/ फंड मैनेजर कैसे बने?

fund manager kaise bane- क्या आप को फ़ंड के बारे में जानना पढ़ना अच्छा लगता है क्या आप ने 12वीं में कॉमर्स, फाइनेंस, इकोनॉमी की पढ़ाई की है तो आप के लिए fund manager kaise bane करियर ऑप्सन अच्छा साबित हो सकता है। म्युचुअल फंड इंडस्ट्री में फंड मैनेजर (fund manager kaise bane) का रोल बहुत ही अहम होता है। फंड मैनेजर ही किसी भी फंड हाउस का चेहरा होता है। आप को बता दें कि फंड मैनेजर की साख पर ही निवेशक अपनी गाढ़ी कमाई निवेश करता है।

आज के इस लेख fund manager kaise bane के तहत आप को fund manager kaise bane, What is fund manager , How to become a fund manager, Education Qualification, work profile, required skills, career scope, main institute and university, Top recruiters, salary के बारे में जानकारी दे रहे है उम्मीद करते है की ये पोस्ट आप को जरुर पंसद आने वाली है।

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fund manager kaise bane

शेयर बाजार का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। कंपनियों या फिर फंड हाउस में कई प्रोफेशनल काम करते है। इन्हीं में से फंड मेंनेजर की एक पोस्ट होती है। म्युचुअल फंड इंडस्ट्री में फंड मैनेजर का रोल बहुत ही अहम होता है। वह ही किसी भी फंड हाउस fund manager kaise bane का चेहरा होता है। फंड मैनेजर की साख पर ही निवेशक अपनी गाढ़ी कमाई निवेश करता है। जोकि एक जिम्मेदारी की पोस्ट होती है।

What is fund manager

फंड मैनेजर वह शख्स होता है, जिस पर म्यूचुअल फंड स्कीमों के पैसे लगाने की जिम्मेदारी होती है। फंड मैनेजर पर फंड के मकसद के हिसाब से इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी पर अमल करने की जिम्मेदारी होती है। फंड मैनेजर निवेश करने से पहले बाजार और अर्थव्यवस्था के ट्रेंड्स पर नजर रखता है। फंड मैनेजर ही किसी भी निवेश के पोर्टफोलियो की दिशा तय करता है। कोई भी निवेशक फंड मैनेजर्स के प्रदर्शन को कई तरह से आंकता है। इनमें निवेश का तरीका, फंड मैनेजमेंट का इतिहास और पुराना रिटर्न देखते हैं। इसके साथ ही मैनेजमेंट टीम का साइज और उसकी क्वॉलिटी भी चेक करते है।

Education Qualification

मैनेजर बनने के लिए न्यूनतम योग्यता कम से कम कॉमर्स, फाइनेंस, इकोनॉमी में स्नातक की डिग्री है। हालांकि एक सफल फंड मैनेजर बनने के लिए इच्छुक उम्मीदवार को एमबीए जैसे स्पेलाइजेशन ग्रेजुएट डिग्री लेनी चाहिए। मैजेंजमेंट के प्रतिष्ठित संस्थानों से फाइनेंस, में विशेषज्ञता या प्रमुख विश्वविद्यालयों के व्यवसाय प्रशासन के विभागों से, या चार्टर्ड अकाउंटेंट के इंस्टीट्यूट से करना चाहिए। आप को बता दें कि स्टॉक एक्सचेंज जैसे संगठन द्वारा संचालित विभिन्न निवेश मेनेजमेंट कोर्स भी नौकरी पाने के लिए आसान हो सकते हैं।

How to become a fund manager

निवेश मेनेजमेंट अपने आप में एक बड़ी टर्म fund manager kaise bane है। ऐसे में इस फील्ड में जाने के लिए कैडिडेट के को कॉमर्स, फाइनेंस, इकोनॉमी में स्ट्रॉग बैकग्राउट होना चाहिए। आइए जान लेते है कि एक fund manager के लिए स्टेप क्या है।

स्टेप-1
12वीं क्लास को कॉमर्स या फाइनेंस सब्जेक्ट्स से क्लियर करने के बाद इच्छुक फंड मैनेजर्स इस फील्ड से संबंधित डिप्लोमा/अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं । कुछ स्नातक पाठ्यक्रम जो उम्मीदवार फंड मैनेजर बनने fund manager kaise bane के लिए आगे बढ़ा सकते हैं:

  • डिप्लोमा इन इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट Diploma in Investment Management
  • एडवांस्ड डिप्लोमा इन इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट/Advanced Diploma in Investment Management
  • B.Com (वित्त और निवेश विश्लेषण)/B.Com. (Finance and Investment Analysis)
  • B.B.M .(वित्त प्रबंधन)/B.B.M. (Finance Management)

वित्त या निवेश प्रबंधन में पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है? अपनी स्नातक की डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त करने के बाद कैडिडेट विभिन्न एएमसी में नौकरी की तलाश कर सकते हैं या इस क्षेत्र में हॉयर एजुकेशन के लिए स्नातकोत्तर डिप्लोमा/डिग्री पाठ्यक्रमों fund manager kaise bane के लिए जा सकते हैं । क्षेत्र में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में से कुछ हैं:

  • M.B.A. (Investment Management)
  • M.B.A. (Finance)

कैडिडेट को देश के कुछ सर्वश्रेष्ठ वित्तीय संस्थानों में संचालित किए जा रहे कोर्स में प्रवेश पाने के लिए भारतीय प्रबंधन संस्थानों और दिल्ली विश्वविद्यालय एफएमएस प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए कैट परीक्षा जैसे किसी तरह की प्रवेश परीक्षा को क्लियर करना पड़ सकता है ।

Required skills

  • Ambition and confidence
  • determination and motivation
  • Strong time management skills
  • Work effectively under pressure
  • Good IT skills
  • Analytical skills and team-working skills.
  • numerical skills
  • problem-solving skills and good communication skills. Career scope
  • Main institute and university

Career scope

फंड मैनेजर के लिए fund manager kaise bane रोजगार के अवसर बहुत अधिक हैं, विशेष रूप से निजी क्षेत्र में कई वित्त और निवेश कंपनियां हैं जो नए स्नातकों और क्षेत्र के अनुभवी दिग्गजों को नौकरी के पदों की एक श्रृंखला प्रदान करते हैं। यहां क्षेत्र के स्नातकों और उम्मीदवारों के लिए कुछ फंड मैनेजर रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। एक ऑकड़ें के मुताबिक, पूरे भारत में लगभग 33 म्यूचुअल फंड कंपनियां 470.04 बिलियन रुपये तक फंड का मेंनेजमेंट कर रही हैं। इन तथ्यों के अनुसार यह आसानी से माना जा सकता है कि निकट भविष्य में फंड प्रबंधकों के लिए संभावनाएं काफी उज्ज्वल हैं। जिससे की नए कैडिडेट के लिए यह करियर फील्ड अच्छा साबित हो सकता है।

Top recruiters

  • ABN AMRO Mutual Fund
  • State Bank of India Mutual Fund
  • Birla Sun Life Mutual Fund
  • Bank of Baroda Mutual Fund (BOB Mutual Fund)
  • HDFC Mutual Fund
  • HSBC Mutual Fund
  • ING Vysya Mutual Fund
  • Prudential ICICI Mutual Fund
  • Sahara Mutual Fund
  • Tata Mutual Fund
  • Kotak Mahindra Mutual Fund
  • Unit Trust of India Mutual Fund
  • Reliance Mutual Fund
  • Standard Chartered Mutual Fund
  • Franklin Templeton India Mutual Fund
  • Escorts Mutual Fund
  • Alliance Capital Mutual Fund
  • Chola Mutual Fund
  • LIC Mutual Fund
  • GIC Mutual Fund salary

Salary

फंड मैनेजर fund manager kaise bane के जहां तक सैलरी का सवाल है तो फंड मेंनेजर की सैलरी 3 लाख से शुरु का सालान पैकेज मिल सकता है। इसके बाद में अनुभव होने पर यह सैलरी 5 से 12 लाख के सालाना पैकेज मिल सकता है। यह भी निर्भर करता है, कि कंपनी, पोस्ट कौन सी है। हालाकिं शुरुआत के बाद में आप को अच्छा सैलरी पैकेज मिल सकता है।

निवेश उत्‍पाद

बैंक ऑफ बड़ौदा पहली बार एवं अनुभवी निवेशकों की आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए म्यूचुअल फंड, पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं (पीएमएस), बांड, एनसीडी, वैकल्पिक निवेश उत्पादों आदि की विस्तृत श्रृंखला पेश करता है.

म्यूचुअल फंड निवेश

  • म्युचुअल फंड दीर्घावधि में मुद्रास्फीति से निपटने एवं कर-बचत प्रतिफल (रिटर्न) प्रदान करते हैं .
  • निवेशक अपने जोखिम / रिटर्न प्रोफाइल के अनुसार विभिन्न आस्ति वर्गों जैसे इक्विटी, ऋण या सोने में निवेश कर सकते हैं.

वैकल्पिक निवेश उत्‍पाद

  • वैकल्पिक निवेश उत्पादों का उपयोग करके पेशेवर प्रबंधित और विविध प्रकार की निवेश नीतियों की सुविधा प्राप्त करें.
  • वैकल्पिक निवेश उत्पाद में पोर्टफोलियो प्रबंधित सेवा, संरचित उत्पाद आदि शामिल हैं.

बड़ौदा ई-ट्रेड 3 इन 1 खाता

  • बाधा रहित और सुरक्षित ट्रेडिंग अनुभव प्राप्‍त करने के लिए बैंक ऑफ़ बड़ौदा के साथ एक सिंक्रोनाइज़ बैंक, डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलें .
  • डिजिटल खाता खोलने की प्रक्रिया 100% कागज रहित और बाधा-रहित मुक्त है.

डिमैट खाता

आसान स्‍टोरेज एवं लेनदेन की सुविधा के लिए प्रतिभूतियों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखें.

  • आसान स्‍टोरेज एवं लेनदेन की सुविधा के लिए प्रतिभूतियों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखें.

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

म्यूचुअल फंड निवेशकों को यूनिट जारी करके और प्रस्ताव दस्तावेज में बताए गए उद्देश्यों के अनुसार प्रतिभूतियों में फंड का निवेश करके धन जमा करने का एक साधन है.

प्रतिभूतियों में निवेश उद्योगों और क्षेत्रों के व्यापक क्रॉस-सेक्शन में फैला हुआ है और इस प्रकार इसमें अनेक प्रकार की जोखिम है क्योंकि सभी स्टॉक एक ही तरह से और एक ही समय में सामान अनुपात में नहीं चल सकते हैं. म्यूचुअल फंड द्वारा निवेशकों को उनके द्वारा निवेश किए गए धन की मात्रा के अनुसार इकाइयाँ जारी किया जाता है. म्यूचुअल फंड के निवेशकों को यूनिटहोल्डर के रूप में जाना जाता है.

इसके अंतर्गत लाभ या हानि निवेशकों द्वारा उनके निवेश के अनुपात में शेयर की जाती है. म्यूचुअल फंड आम तौर पर कई योजनाएं लेकर आते हैं जो समय-समय पर विभिन्न निवेश उद्देश्यों के साथ शुरू की जाती हैं.

म्यूचुअल फंड की किसी विशेष योजना का कार्यनिष्पादन इसके नेट आस्ति मूल्य (एनएवी) द्वारा दर्शाया जाता है.

म्यूचुअल फंड निवेशकों से जुटाए गए रकम को प्रतिभूति बाजार में निवेश करते हैं. सरल शब्दों में, एनएवी योजना द्वारा धारित प्रतिभूतियों का बाजार मूल्य होता है. चूंकि प्रतिभूतियों का बाजार मूल्य प्रत्येक दिन बदलता है, इसलिए किसी योजना का एनएवी भी दैनिक आधार पर बदलता रहता है. प्रति इकाई एनएवी किसी विशेष तिथि पर योजना की कुल इकाइयों की संख्या से विभाजित करके इसकी प्रतिभूतियों का बाजार मूल्य होता है. उदाहरण के लिए, यदि म्यूचुअल फंड योजना की प्रतिभूतियों का बाजार मूल्य रू. 200 लाख है और म्यूचुअल फंड ने निवेशकों को 10 रुपये की 10 लाख इकाइयां जारी की हैं, तो फंड की प्रति यूनिट एनएवी 20 रुपये (यानी, 200) होगी. म्यूचुअल फंड द्वारा दैनिक आधार पर एनएवी का खुलासा करना आवश्यक होता है.

  • परिपक्वता अवधि के अनुसार योजनाएं:

किसी म्यूचुअल फंड योजना को उसकी परिपक्वता अवधि के आधार पर ओपन-एंडेड योजना या क्लोज-एंडेड योजना क्र रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है.

ओपन-एंडेड फंड / योजना

एक ओपन-एंडेड फंड या योजना वह है जो निरंतर आधार पर सदस्यता और पुनर्खरीद के लिए उपलब्ध होता है. इन योजनाओं की कोई निश्चित परिपक्वता अवधि नहीं होती है. निवेशक आसानी से प्रति यूनिट नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) पर यूनिट खरीद और बेच सकते हैं जिसे दैनिक आधार पर घोषित किया जाता है. ओपन-एंड योजनाओं की प्रमुख विशेषता तरलता(लिक्वीडीटी है

क्लोज-एंडेड फंड / योजना

क्लोज-एंडेड फंड या स्कीम के अंतर्गत एक निर्धारित परिपक्वता अवधि होती है, जैसे, 3-5 साल. योजना के शुभारंभ के समय एक निर्दिष्ट अवधि के दौरान ही फंड सदस्यता के लिए खुला रहता है. निवेशक नए फंड की पेशकश के समय इस योजना में निवेश कर सकते हैं और बाद में वे स्टॉक एक्सचेंजों पर योजना की इकाइयों की खरीद या बिक्री कर सकते हैं जहां इकाइयां सूचीबद्ध हैं. निवेशकों को एक एक्जिट मार्ग प्रदान करने के लिए, कुछ क्लोज-एंडेड फंड एनएवी से संबंधित कीमतों पर आवधिक पुनर्खरीद के माध्यम से यूनिट को म्यूचुअल फंड को फिर से बेचने का विकल्प देते हैं.

किसी योजना को उसके निवेश के उद्देश्य पर विचार करते हुए विकास योजना, आय योजना या संतुलित योजना के रूप में भी वर्गीकृत किया जा सकता है. इस तरह की योजनाएं ओपन-एंडेड या क्लोज-एंडेड कोई भी हो सकती हैं जैसा कि इससे पूर्व सूचित किया है. ऐसी योजनाओं को मुख्य रूप से निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है:

विकास/इक्विटी उन्मुख योजना

ग्रोथ फंड का उद्देश्य मध्यम से लंबी अवधि में पूंजी वृद्धि प्रदान करना है. ऐसी योजनाएं आम तौर पर अपनी निधि का का एक बड़ा हिस्सा इक्विटी में निवेश करती हैं. ऐसे फंडों में तुलनात्मक रूप से उच्च जोखिम निहित होता है. ये योजनाएं निवेशकों को लाभांश विकल्प एवं विकास जैसे विभिन्न विकल्प प्रदान करती हैं और निवेशक अपनी पसंद के आधार पर किसी विकल्प का चयन कर सकते हैं. निवेशकों द्वारा अपने आवेदन पत्र में ऐसे विकल्प का उल्लेख करना चाहिए. म्यूचुअल फंड अपने निवेशकों को इसकी तारीख के बाद भी अपना विकल्प बदलने की अनुमति भी प्रदान करते हैं.. दीर्घावधि के दृष्टिकोण वाले निवेशकों के लिए ऐसी विकास योजनाएं अच्छी होती हैं, जो समय की अवधि में इसमें बढ़ोत्तरी चाहते हैं.

आय/ऋण उन्मुख योजना

आय फंड का उद्देश्य निवेशकों को नियमित और निश्चित आय प्रदान करना है. ऐसी योजनाएं आम तौर पर निश्चित आय प्रतिभूतियों जैसे बांड, कॉर्पोरेट डिबेंचर, सरकारी प्रतिभूतियों और मुद्रा बाजार के साधनों में अपना निवेश करती हैं और ऐसे फंड इक्विटी योजनाओं की तुलना में कम जोखिम वाले होते हैं.

हालांकि, ऐसे फंड्स में कैपिटल एप्रिसिएशन के अवसर भी सीमित होते हैं. देश में ब्याज दरों में होने वाले बदलाव के कारण ऐसे फंडों की एनएवी प्रभावित होती है. ब्याज दरें कम होने पर ऐसे फंडों के एनएवी में अल्पावधि में वृद्धि होने की संभावना रहती है और ब्याज दर में वृद्धि होने पर इसके विपरीत प्रभाव पड़ता है. तथापि दीर्घावधि के निवेशक इन उतार-चढ़ावों से परेशान नहीं हो सकते हैं.

संतुलित योजनाओं का उद्देश्य विकास और नियमित आय दोनों ही प्रदान करना है क्योंकि ऐसी योजनाएं इक्विटी और निश्चित आय प्रतिभूतियों दोनों में इनके प्रस्ताव दस्तावेजों में दर्शाए अनुपात में निवेश करती हैं. ये मध्यम वृद्धि की तलाश कर रहे निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं. शेयर बाजारों में शेयर की कीमतों में उतार चढ़ाव होने के कारण भी ये फंड प्रभावित होते हैं. हालांकि, ऐसे फंडों के एनएवी के शुद्ध इक्विटी फंड की तुलना में अस्थिर होने की संभावना कम होती है.

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