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बिटकॉइन का मार्केट वैल्यू कैसे बढ़ता है?

बिटकॉइन का मार्केट वैल्यू कैसे बढ़ता है?
बिटकॉइन के फाउंडर की पहचान अभी भी रहस्य है। (Source: Twitter/@BitcoinMagazine)

2022 में कौन-कौन सी Cryptocurrency की रहेगी धूम

2022 में कौन-कौन सी Cryptocurrency की रहेगी धूम । जाने विशेषज्ञों की राय , जी हां वर्ष 2022 में कैसा रहेगा क्रिप्टोकरंसी का मार्केट यदि आप क्रिप्टो करेंसी में इन्वेस्ट कर रहे हैं या करने वाले हैं तो यह सही समय है, आप सभी के लिए इन्वेस्ट के ख्याल से ,नए साल में भी क्रिप्टोकरंसी की धूम रहने वाली यदि आप क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन थैरियम ईटीसी ऐसे बहुत से क्रिप्टोकरंसी मार्केट में आ चुकी है।

जिसमें आप इन्वेस्ट करते हैं तो 2022 में नए साल में काफी मुनाफा होने वाली है , हम बता दें आपको की नए साल में क्रिप्टोकरंसी में इन्वेस्ट करना बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होने वाला ऐसा क्रिप्टो करेंसी मार्केट के विशेषज्ञों का अनुमान है।

बीते सालों में क्रिप्टोकरंसी अत्याधिक लोगों को आकर्षित किया क्योंकि बीते सालों में करोना के बाद कुछ अच्छी खबर आई है तो वह है क्रिप्टोकरंसी से जुड़ी हुई बिटकॉइन जिसने लोगों के पैसा को उम्मीद से ज्यादा रिटर्न दिया है।

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वर्ष 2022 में कौन-कौन सी Cryptocurrency की रहेगी धूम

वर्ष 2022 में कौन-कौन सी Cryptocurrency की रहेगी धूम । जी हा हम यहा बताने वाले है वर्ष 2022 में कौन-कौन सी Cryptocurrency की रहेगी धूम जिस में आप को इन्वेस्ट कर के काफी प्रॉफिट मिल सकता है । तो चलिए जानते है ऐसे कौन कौन Cryptocurrency है जिस में इन्वेस्ट कर के तगड़ा रिटर्न मिलसकता है ।

Bitcoin

हम बता दें आप को पूरे वर्ल्ड मार्केट पर क्रिप्टो करेंसी का 510000 का रिटर्न अपने इन्वेस्टरों को दिया है जिसमें सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन ने अकेले पिछले साल 69 फ़ीसदी का रिटर्न दिया है मार्केट विशेषज्ञ का मानना है कि अगले साल भी क्रिप्टो मार्केट में काफी तेजी बने रहने की उम्मीद जताई जा रही है

पिछले साल 2021 की शुरुआत में बिटकॉइन की कीमत रहस्यमय तरीके से बढ़ता गया 29000 हजार डॉलर से जाकर 46000 हजार डॉलर के आस पास जा पहुंचा किसी को क्या पता था कि मात्र 13 साल पुरानी बिटकॉइन क्रिप्टो करेंसी आज पूरी दुनिया की सबसे महंगी क्रिप्टोकरंसी हो जाएगी। WWW.Fxstreet.com के टीम के मुताबिक इस साल भी 2022 में भी बिटकॉइन की कीमत 34% के ऊपर जा सकते हैं।

भले ही शुरुआती दौर में बिटकॉइन क्रिप्टो करेंसी मार्केट डाउन हो लेकिन तीसरी तिमाही आते-आते क्रिप्टोकरंसी की जो मार्केट है वह काफी उछाल देखने को मिलेगा। लेकिन मार्किट विशेषज्ञों का ऐसा दबा है की जारही है की कीमत 100000 डॉलर तक पहुंच सकती है ।

यानी कि जो इन्वेस्टर अभी इन्वेस्ट करते है तो अपने इन निवेश पर दुगना रिटर्न मिलने की उम्मीद जताई जा रही है यदि ऐसे में आप भी बिटकॉइन में 2022 में इन्वेस्ट करने की सोच रही है तो यह सही मौका है अभी इन्वेस्ट कर ने के लिए । आपको देखना यह है कि मार्केट का क्या स्थिति हो रहा है यदि बिटकॉइन की मार्केट वैल्यू निचे जा रही है तो उसे होल्ड करें और जैसे ही थोड़ी सी ग्रोथ दिखे उस टाइम में इन्वेस्ट करके उसे खरीद ले और जैसे ही प्राइज उसका ज्यादा बढ़ता है तो उसे सेल कर दें।

Dogecoin

बिटकॉइन के बाद अगर कोई दूसरी क्रिप्टोकरंसी है तो वह है डोगेकोईन । हम बता दें यहां कि दुनिया का सबसे बड़े अमीर व्यक्ति एलन मस्क का यह फेवरेट क्रिप्टोकरंसी है डोगेकोईन अभी हालिया रिपोर्ट के मुताबिक डॉग कॉइन अभी तक 23 अरब डॉलर के मार्केट कैप छू चुका है डॉग कॉइन ने 2021 में अपने इंफेस्ट रो को 1000 हजार डॉलर को 32000 हजार डॉलर बना दिया है विशेषज्ञों का मानना है कि यह करेंसी क्रिप्टो करेंसी 2022 में 130 फ़ीसदी से भी ज्यादा तेजी से ऊपर जाने की उम्मीद है

floki inu

floki inu पीछे हटने वाला नहीं है इसमें भी 2022 में 120% तक उछाल आने की उम्मीद जताई जा रही है।

evergrow coin

मात्र 3 महीने पहले ही शुरू की गई थी इसके अधिकारियों का कहना है कि इसका मार्केट कैप 30 करोड़ तक जा पहुंचा है विशेषज्ञों का कहना है कि 2022 यह $100 यानी कि 10000 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ सकती है.

shiba inu coin

वर्ष 2021 में काफी अधिक अपने निवेशकों का रिटर्न दिया है इसने तो बिटकॉइन एथेरियम को भी पीछे छोड़ के आगे निकल चुका है इसने $100 के निवेशकों को $50000000 में तक रिटर्न दिया है ।जानकारों का कहना है कि इस साल 337 से भी अधिक की तेजी इस करेंसी में बिटकॉइन का मार्केट वैल्यू कैसे बढ़ता है? आने वाली आश्वासन जताई जा रही है।

इन 6 Cryptocurrency के ग्रंथियों के लिहाज से देखा जाए तो 2022 में इन करेंसी का बोलवाला धूम रहने वाली है ।यदि आप करेंसी में इन्वेस्ट करके अच्छा मुनाफा रिटर्न पाना चाह रहे हैं तो हमारी राय है आप सभी से कि सबसे पहले आप क्रिप्टो मार्केट को वाच करें न्य इन्वेस्टर हो या पुराने जो भी हो पहले मार्किट के स्थिति को समझे तब कोई निर्णय ले ।

कि कब क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन एथेरियम जो भी करेंसी है किसका ज्यादा ग्रोथ हो रहा है किसका कम हो रहा है कब इन्वेस्ट करना चाहिए कब नहीं करना चाहिए। कब होल्ड करके रखना चाहिए कब सेल करना चाहिए इन सारे तकनीक को आपको शुरुआती दौर में सीखना होगा समझना होगा तभी जाकर आप इन्वेस्ट करें।

चुकी इन्वेस्ट करना यह आपकी सोच पर डिपेंड करता है हम अपनी तरफ से राय आपको दे रहे हैं। इसमें हमारी कोई रिस्पांसिबिलिटी नहीं होगी यह आपके ऊपर डिपेंड करती है टोटली क्योंकि इन्वेस्ट करना है वित्तीय जोखिम के तहत आती हैं और उस जोखिम को उठाने के लिए आपके नॉलेज स्केल पर डिपेंड करता है।

36 पैसे से शुरू हुई यह वर्चुअल करेंसी 13 लाख रुपये तक पहुंची, जानें क्या है इस ‘धंधे’ का सच

दुनिया में फिलहाल 1 करोड़ बिटकॉइन हैं. यह करेंसी बैंकों में नहीं होती और कंप्यूटर प्रोग्राम से इसे बनाया जाता है जिसे माइनिंग कहते हैं.

36 पैसे से शुरू हुई यह वर्चुअल करेंसी 13 लाख रुपये तक पहुंची, जानें क्या है इस

TV9 Hindi | Edited By: Ravikant Singh

Updated on: Dec 09, 2020 | 11:48 AM

कोरोना वायरस ने लगभग हर चीज को वर्चुअल बना दिया है. रुपये पैसे का लेनदेन तो वर्चुअल हो ही चला है, वर्चुअल करेंसी का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है. इस वर्चुअल करेंसी का नाम है बिटकॉइन. रुपये पैसे या डॉलर की तरह यह करेंसी दिखती नहीं है लेकिन इसका इस्तेमाल खरीद-बिक्री के लिए वैसे ही कर सकते हैं. सबसे बड़ी बात कि बिटकॉइन किसी एक देश की करेंसी से नहीं जुड़ी है, यह यूनिवर्सल है. लोगों को इस करेंसी में अपार संभावनाएं दिख रही हैं तभी 2009 में 36 पैसे के बराबर वैल्यू से शुरू हुई बिटकॉइन आज 13 लाख रुपये तक पहुंच गई है.

क्या है बिटकॉइन बिटकॉइन एक क्रिप्टोकरेंसी है जिसकी खरीद बिक्री किसी बैंक के जरिये नहीं बल्कि ऑनलाइन होती है. आपको बैंक में इसका खाता खुलवाने की जरूरत नहीं बल्कि ऑनलाइन ही सारी प्रक्रिया पूरी होती है. इस करेंसी को किसने शुरू किया यह पर्दे के पीछे है लेकिन सातोशी नाकामोटो के नाम से इस करेंसी का ऑनलाइन अवतार लोगों के सामने आया. 3 जनवरी 2009 को इसका लेजर शुरू हुआ और जैसे अन्य करेंसी की अपनी निश्चित निशानी होती है, वैसे ही बिटकॉइन को BTC, ฿, ₿ निशान के साथ नई पहचान मिली. इसका कनवर्जन रेट (मुद्रा विनियम) देखें तो यह दुनिया की सबसे महंगी करेंसी है. दुनिया के बड़े-बड़े लोगों ने इसमें निवेश किया है जिससे इसकी मांग और भी व्यापक हो गई है.

वैध नहीं है करेंसी इस करेंसी के साथ दिक्कत यह है कि अभी किसी सरकार ने इसे वैध करार नहीं दिया है. भारत सरकार और रिजर्व बैंक के साथ भी यही बात है लेकिन लोगों का इसमें भरोसा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. वैध नहीं बनाने के पीछे वजह इसका वर्चुअल होना है. सोर्स का पता नहीं है इसलिए सरकारें अभी कोई रिस्क लेना नहीं चाहतीं. बिटकॉइन पर आरोप लगते रहे हैं कि इसका इस्तेमाल बड़े स्तर पर हवाला लेनदेन, ड्रग्स, आतंकवाद और कालाधन में होता है. इसे देखते हुए सरकारें वैध बनाने को लेकर अभी संशय में हैं. हालांकि दुनिया की अलग-अलग सरकारें इसके लेनदेन पर रोक लगाने में असरमर्थ हैं और इसका कारोबार दिनों दिन तेज गति से बढ़ता जा रहा है. बिटकॉइन की तरह लगभग 90 क्रिप्टोकरेंसी अभी चलन में है.

कैसे होती है खरीद-बिक्री बिटकॉइन की खरीद और बिक्री के लिए दुनिया में कई एक्सचेंज हैं. जिन्हें इसकी खरीद-बिक्री करनी होती है, उन्हें एक्सचेंज का सहारा लेना पड़ता है. दुनियाभर के बड़े बिजनेसमैन और कई बड़ी कंपनियां वित्तीय लेनदेन में इसका इस्तेमाल कर रही हैं. इसकी वजह यह है कि अगर आपको विदेश में पेमेंट करनी है तो इसके लिए बैंकों का सहारा लेना पड़ेगा. बैंक इसके लिए अलग से शुल्क वसूलते हैं. भारत में अलग शुल्क और जिस देश में आपको पेमेंट करनी है वहां की करेंसी में कनवर्ट कराने के लिए अलग शुल्क. यह पेचीदा काम है और इसमें समय भी लगता है. बिटकॉइन के साथ ये सब झंझट नहीं है. आप डायरेक्ट बिटकॉइन से पेमेंट कर सकते हैं, वह भी वर्चुअली.

इस दिशा में अमेरिकी कंपनी पे-पाल ने सबसे पहले कदम बढ़ाया है जिसने ऐलान किया है कि उसके अकाउंट होल्डर्स अब बिटकॉइन को खरीद और बेच सकते हैं. क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में उतरने का ऐलान करते हुए पे-पाल ने कहा है कि वह अन्य करेंसी की तरह बिटकॉइन भी स्वीकार करेगा. पे-पाल अमेरिका की पेमेंट वॉलेट कंपनी है जिसके लाखों कस्टमर्स हैं. कंपनी ने बिटकॉइन की खरीद-बिक्री का ऐलान इस साल अक्टूबर महीने में की. इसके साथ ही बिटकॉइन अब मेनस्ट्रीम करेंसी में शामिल हो गई है जैसे रुपया, डॉलर और पाउंड हैं. भारत में भी इसके कई खरीदार हैं और जिन्होंने 2-4 साल पहले सस्ते में इसे खरीद लिया था, आज वे मालामाल हैं. जिन लोगों ने पहले इसे सस्ते दामों में खरीदा था, आज वे महंगे दाम पर इसे बेचकर बड़ा कारोबार कर रहे हैं.

बिटकॉइन की कुल संख्या दुनिया में फिलहाल 1 करोड़ बिटकॉइन हैं. यह करेंसी बैंकों में नहीं होती और कंप्यूटर प्रोग्राम से इसे बनाया जाता है जिसे माइनिंग कहते हैं. इसका माइनिंग काफी मुश्किल काम है, इसलिए कहा जा रहा है कि भविष्य में बिटकॉइन की संख्या सीमित होगी लेकिन इसकी मांग बेतहाशा बढ़ेगी. बिटकॉइन माइनिंग का मतलब एक ऐसे तरीके बिटकॉइन का मार्केट वैल्यू कैसे बढ़ता है? से है जिसमें कंप्यूटिंग पावर का इस्तेमाल कर ट्रांजैक्शन प्रोसेस किया जाता है. नेटवर्क को सुरक्षित रखा जाता है साथ ही नेटवर्क को सिंक्रोनाइज भी किया जाता है. इसीलिए बिटकॉइन को रखने के लिए अलग से डिवाइस भी होता है जिसे खरीदना पड़ता है. यह डिवाइस ऑनलाइन नहीं होता ताकि कोई इसे हैक नहीं कर सके. जैसे अन्य करेंसी में अस्थितरता होती है, वैसी बात बिटकॉइन के साथ नहीं है. शुरू से इसमें बढ़ोतरी है, कभी घटते हुए नहीं देखा गया.

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जानिए कैसे कजाकिस्तान की अशांति ने दिया बिटकॉइन माइनिंग इंडस्ट्री को झटका

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जानिए कैसे कजाकिस्तान की अशांति ने दिया बिटकॉइन माइनिंग इंडस्ट्री को झटका

कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहा कजाकिस्तान इन दिनों जबरदस्त हिंसा से गुजर रहा है. इसकी शुरुआत पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत बढ़ने के विरोध के रूप में हुई और जल्दी ही इसने बिटकॉइन का मार्केट वैल्यू कैसे बढ़ता है? गृहयुद्ध का रूप ले लिया. इस हिंसा में 150 से ज्यादा लोग मारे गए, हजारों घायल हुए और हजारों गिरफ्तार किए गए हैं. भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोजगारी जैसी समस्याओं के कारण राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट टोकायेव की सरकार के खिलाफ लोगों में काफी गुस्सा है.

विद्रोह दबाने के लिए पूर्व राजधानी अलमाटी समेत कई शहरों में इंटरनेट और टेलीकम्युनिकेशन सेवाएं कई दिनों के लिए बंद कर दी गईं. अलमाटी में पांच दिनों बाद इंटरनेट सेवा तो बहाल कर दी गई, लेकिन कई शहरों में एहतियातन अभी अंकुश जारी है. इस अशांति ने एक नई उभरती इंडस्ट्री को बड़ा झटका दिया है और वह है क्रिप्टो करेंसी माइनिंग इंडस्ट्री.

18% बिटकॉइन की माइनिंग कजाकिस्तान में ही

पिछले साल बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी की माइनिंग अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा कजाकिस्तान में ही हो रही थी. पूरी दुनिया में जितनी क्रिप्टो करेंसी की माइनिंग होती है, उसका 18 से 20 फीसदी कजाकिस्तान में ही किया जा रहा था. लेकिन इंटरनेट सेवा बंद होने से वहां क्रिप्टो माइनिंग लगभग ठप पड़ गई. इस साल 10 दिनों में बिटकॉइन की वैल्यू जो 47 हजार डॉलर से घटकर 40 हजार डॉलर पर आई है, उसकी एक वजह कजाकिस्तान भी है. वैसे चार महीने में बिटकॉइन की वैल्यू 68 हजार डॉलर से 40 फीसदी घटी है.

चीन में रोक के बाद कजाकिस्तान में माइनिंग

कजाकिस्तान करीब एक साल से ही क्रिप्टो करेंसी माइनिंग का हब बना है. खासकर जब चीन में इस पर अंकुश लगाया गया. बिटकॉइन सबसे ज्यादा चलन वाली क्रिप्टो करेंसी है. वर्षों तक चीन ही में ही इसकी सबसे ज्यादा माइनिंग होती थी. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के अनुसार 2019 में 75% बिटकॉइन की माइनिंग चीन में हुई थी. पिछले साल भी अप्रैल में दो-तिहाई बिटकॉइन की माइनिंग चीन में ही हुई थी. लेकिन उसके बाद चीन सरकार ने माइनिंग के साथ-साथ क्रिप्टो करेंसी के ट्रेड पर भी प्रतिबंध लगा दिया.

दरअसल क्रिप्टो करेंसी की माइनिंग में बहुत ज्यादा बिजली खर्च होती है, इससे कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है. चीन ने कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए क्रिप्टो माइनिंग पर प्रतिबंध लगाया है. उसके बाद ही माइनिंग इंडस्ट्री ने कजाकिस्तान और कनाडा जैसे देशों में नया ठिकाना बनाया.

माइनिंग में शक्तिशाली कंप्यूटरों का इस्तेमाल

माइनिंग को मोटे तौर पर इस तरह समझा जा सकता है. क्रिप्टो करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं. कंप्यूटरों के जरिए एक तरह की मैथमेटिक्स की पहेली को सुलझाना होता है. सुलझाने वाले को एक ‘ब्लॉक’ मिलता है. एक ब्लॉक का मतलब है 6.25 बिटकॉइन. इसी को माइनिंग कहते हैं.

बिटकॉइन के शुरुआती दिनों में घरों में इस्तेमाल होने वाले सामान्य कंप्यूटर से माइनिंग की जा सकती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब इसके लिए शक्तिशाली हाइटेक कंप्यूटरों के नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाता है. ये कंप्यूटर लगातार चलते रहते हैं और काफी बिजली खपत करते हैं. कंप्यूटर लगातार चलने से उनका हार्डवेयर ज्यादा गर्म ना हो जाए, इसके लिए कूलिंग की भी जरूरत पड़ती है. इसलिए अब बड़े डाटा सेंटर में माइनिंग की जाने लगी है.

स्वीडन से ज्यादा बिजली खर्च होती है बिटकॉइन में

जितनी ज्यादा बिटकॉइन या क्रिप्टो करेंसी बाजार में आती है, नए कॉइन की माइनिंग उतनी अधिक मुश्किल होती जाती है. तब नए कॉइन की माइनिंग में और ज्यादा बिजली खर्च होती है. अनुमान है कि बिटकॉइन की माइनिंग का 60% खर्च बिजली का ही होता है. हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू ने मई 2021 में एक रिपोर्ट में बताया कि बिटकॉइन तैयार करने में हर साल 110 टेरा यूनिट बिजली खर्च होती है. यह दुनिया के कुल बिजली उत्पादन का 0.55% है.

दूसरे शब्दों में कहें तो मलेशिया और स्वीडन जैसे छोटे देशों में लोग हर साल जितनी बिजली खर्च करते हैं, उतनी बिजली सिर्फ बिटकॉइन बनाने में खर्च हो जाती है. बीते पांच वर्षों में क्रिप्टो करेंसी बनाने में बिजली का खर्च 10 गुना बढ़ा है. माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में कहा था कि बिटकॉइन के हर काम में जितनी बिजली खर्च होती है, उतनी किसी और काम में नहीं होती.

इसलिए कजाकस्तान में बढ़ी क्रिप्टो माइनिंग

क्रिप्टो करेंसी की माइनिंग दुनिया में कहीं बिटकॉइन का मार्केट वैल्यू कैसे बढ़ता है? बिटकॉइन का मार्केट वैल्यू कैसे बढ़ता है? भी हो सकती है, लेकिन बिजली खपत अधिक होने के कारण माइनिंग इंडस्ट्री वहीं ठिकाना बनाती है जहां बिजली सस्ती हो. चीन के कुछ प्रांतों में बरसात के दिनों में पनबिजली सरप्लस हो जाती है. इसलिए भी चीन में क्रिप्टो माइनिंग बढ़ी. कजाकस्तान में दुनिया का तीन फीसदी तेल भंडार है.

इसके अलावा कोयला और गैस का भी विशाल भंडार है. इसलिए वहां बिजली सस्ती थी और माइनिंग इंडस्ट्री ने वहां डेरा जमाया था. लेकिन मांग ज्यादा बढ़ने के कारण हाल में बिजली कटौती होने लगी. विशेषज्ञों का अनुमान है कि नए घटनाक्रम के बाद यह इंडस्ट्री किसी सुरक्षित जगह का रुख कर सकती है.

क्रिप्टो माइनिंग में एक और समस्या ई-वेस्ट की है. क्रिप्टो करेंसी की माइनिंग में लगे लोग लगातार नए और तेज कंप्यूटर चाहते हैं, क्योंकि तभी उन्हें ‘ब्लॉक’ मिल पाएगा. एक अनुमान के मुताबिक हर डेढ़ से दो साल में माइनिंग हार्डवेयर की क्षमता की जरूरत दोगुनी हो जाती है. ऐसे में पुराने कंप्यूटर बेकार हो जाते हैं. इसलिए बिटकॉइन से जितना बिटकॉइन का मार्केट वैल्यू कैसे बढ़ता है? ई-वेस्ट निकलता है, वह कई देशों में निकलने वाले ई-वेस्ट से ज्यादा है.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)

सुनील सिंह वरिष्ठ पत्रकार

लेखक का 30 वर्षों का पत्रकारिता का अनुभव है. दैनिक भास्कर, अमर उजाला, दैनिक जागरण जैसे संस्थानों से जुड़े रहे हैं. बिजनेस और राजनीतिक विषयों पर लिखते हैं.

13 साल का हुआ बिटकॉइन, छह पैसे से तय किया 48.2 लाख का सफर

बिटकॉइन को औपचारिक तौर पर लांच हुए 13 साल हो गए हैं। आज इसकी कीमत 48 लाख को पार कर चुकी है। इसके फाउंडर की पहचान भी अब तक रहस्य ही है।

13 साल का हुआ बिटकॉइन, छह पैसे से तय किया 48.2 लाख का सफर

बिटकॉइन के फाउंडर की पहचान अभी भी रहस्य है। (Source: Twitter/@BitcoinMagazine)

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को नए जमाने की हकीकत बनाने वाले बिटकॉइन (Bitcoin) के अब 13 साल पूरे हो चुके हैं। इस 13 साल में बिटकॉइन ने ऐसा सफर तय किया है, जिसके ऊपर यकीन करना मुश्किल हो जाता है। महज छह पैसे के भाव से शुरू हुआ यह सफर अभी 48.2 लाख के शिखर पर जा पहुंचा है।

13 साल पहले प्रकाशित हुआ था पहला Bitcoin White Paper

आज से 13 साल पहले 31 अक्टूबर 2008 को बिटकॉइन की औपचारिक शुरुआत हुई थी। उस रोज पहली बार बिटकॉइन का व्हाइट पेपर पब्लिश (Bitcoin White Paper) हुआ था। इसे सातोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) के नकली नाम से ऑनलाइन पब्लिश किया गया था। ‘बिटकॉइन: अ पीअर-टू-पीअर इलेक्ट्रॉनिक कैश सिस्टम’ शीर्षक से प्रकाशित व्हाइट पेपर में बताया गया था कि कैसे बिना किसी सरकारी के नियंत्रण वाली भविष्य की ऑनलाइन पेमेंट प्रणाली से लोगों को फायदा हो सकता है।

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Most Valuable Cryptocurrency है बिटकॉइन

आज के समय में बिटकॉइन सबसे अधिक वैल्यू वाली क्रिप्टोकरेंसी (Most Valuable Cryptocurrency) है। जब इसकी औपचारिक शुरुआत हुई थी, तब इसके एक यूनिट का भाव महज 0.0008 डॉलर (करीब छह पैसे) था। आज भारत में बिटकॉइन 64,400 डॉलर (करीब 48.2 लाख रुपये) के स्तर पर ट्रेड कर रहा था। इस तरह बिटकॉइन ने 13 साल की अब तक की अपनी यात्रा में छह पैसे से 48.2 लाख का अविश्वसनीय मुकाम हासिल किया है।

लिमिटेड है Bitcoin Mining

बिटकॉइन की वैल्यू में इस अविश्वसनीय वृद्धि के पीछे एक अहम कारण इससे जुड़ी बुनियादी शर्त है। नाकामोतो ने इसकी औपचारिक शुरुआत के समय ही यह तय कर दिया था कि बिटकॉइन के यूनिट की संख्या कभी भी 2.10 करोड़ से अधिक नहीं हो सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2021 तक मार्केट में 1.87 करोड़ बिटकॉइन यूनिट उपलब्ध थे। इस तरह अब बिटकॉइन के सिर्फ 23 लाख यूनिट की माइनिंग (Bitcoin Mining) की जा सकती है। सप्लाई सीमित होने और मांग बेतहाशा होने से बिटकॉइन के यूनिट का भाव तेजी से चढ़ा है।

कोई नहीं जानता बिटकॉइन के डेवलपर का नाम

बिटकॉइन के साथ एक रोचक बात इसे डेवलप करने वाले की गोपनीयता है। आज तक कोई नहीं जानता कि बिटकॉइन के डेवलपर सातोशी नाकामोतो की असल पहचान क्या है। नाकामोतो ने पेमेंट के तरीके में क्रांति लाने वाला प्रोडक्ट डेवलप करने के महज तीन साल बाद क्रिप्टो मार्केट को छोड़ दिया। बताया जाता है कि नाकामोतो 2011 में क्रिप्टो मार्केट से बाहर निकल गए।

बिटकॉइन के इंवेंटर के वॉलेट में पड़ी है करीब पांच लाख करोड़ रकम

सातोशी नाकामोतो के वॉलेट (Satoshi Nakamoto Wallet) में अभी 66 बिलियन डॉलर यानी करीब 4.97 लाख करोड़ रुपये के बिटकॉइन टोकन मौजूद हैं। 2011 के बाद भी नाकामोतो के वॉलेट का वजन बढ़ता गया है। मजेदार है कि नाकामोतो ने इनमें से कुछ भी खर्च नहीं किया है और सारे टोकन बिना इस्तेमाल के पड़े हुए हैं।

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